Editorial:कर्नाटक में महिलाओं के अश्लील वीडियो का मामला शर्मनाक
- By Habib --
- Thursday, 02 May, 2024

porn videos of women in karnataka
Shameful case of obscene videos of women in Karnataka यह बेहद शर्मनाक है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री का पोता, मौजूदा सांसद एवं लोकसभा उम्मीदवार का नाम ऐसे मामले में सामने आ रहा है, जोकि देश को हिलाने वाला है। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना पर जिस प्रकार के आरोप लगे हैं, वे बेहद गंभीर और चिंताजनक है। रेवन्ना के खिलाफ महिलाओं के यौन उत्पीड़न, धमकाने और साजिश रचने के आरोप हैं। निश्चित रूप से इस मामले के सामने आने के बाद जद एस की ओर से निलंबन की जो कार्रवाई की गई है, वह स्वाभाविक है। लेकिन इस मामले में बाकी अन्य लोग भी बच नहीं सकते। आखिर रेवन्ना को इसकी इजाजत कहां से मिल गई कि वह इस प्रकार के भीषण अपराध को अंजाम दे सके। पश्चिम बंगाल में भी महिलाओं के शोषण का मामला सामने आ चुका है, यहां पर सत्ताधारी दल के प्रभाव में यह सब करने का आरोप है। लेकिन कर्नाटक में तो कांग्रेस की सरकार है, लेकिन फिर भी विपक्ष में बैठी पार्टी का एक मौजूदा सांसद एवं फिर से चुनाव लड़ रहा नेता ऐसी करतूत को अंजाम दे रहा है।
राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है, निश्चित रूप से इस मामले में सब कुछ सामने आना जरूरी है। आखिर सत्ता के प्रभाव में इस प्रकार महिलाओं के शोषण के मामले कब रूकेंगे। इस समय देश में लोकसभा चुनाव जारी हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिलाओं के खिलाफ अत्याचार एवं उनके शोषण के मामले लगातार उठा रहे हैं, हालांकि प्रभावी कार्रवाई का सभी को इंतजार है।
गौरतलब है कि अश्लील वीडियो बनाकर उससे कमाई का यह तरीका देश में लगातार बढ़ रहा है। एक फिल्म अभिनेत्री के पति को ऐसे ही मामले में महाराष्ट्र पुलिस गिरफ्तार कर जेल की हवा खिला चुकी है। उस मामले में सामने आया था कि किस प्रकार अश्लील वीडियो बनाकर महिलाओं का शोषण किया जाता था। देश में अश्लील वीडियो प्रतिबंधित हैं, बावजूद इसके ऐसे आरोपियों के द्वारा इस प्रकार की गतिविधि को अंजाम दिया जाना यह बताता है कि उन्हें कानून का डर नहीं है। मालूम हो एक ऐसा दावा भी सामने आया है, जिसमें कहा गया था कि संबंधित नेता के पास महिलाओं के यौन शोषण के करीब 3000 वीडियो हैं, जिनका इस्तेमाल महिलाओं को ब्लैकमेल करने में किया जाता रहा है।
क्या यह आज के तथाकथित सभ्य समाज पर सवाल नहीं है कि वह मानसिक रूप से बीमार होता जा रहा है। अपने मनोविकारों को तुष्ट करने के लिए ऐसे वीडियो का सहारा लेता है। रपट बताती है कि देश में इंटरनेट पोर्नोग्राफी काफी लोकप्रिय है। इसका कारोबार 30 फीसदी से बढक़र 70 फीसदी जा पहुंचा है। एक अन्य रपट बताती है कि युवाओं को इसकी भयंकर लत लग चुकी है और 74 फीसदी अपने मोबाइल फोन में ही ये अश्लील वीडियो या फोटो देखते हैं। कहा जाता है कि इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले ५० फीसदी भारतीय अपने मोबाइल फोन पर अश्लील वेबसाइट्स देख रहे हैं।
सांसद रेवन्ना मामले में जांच जारी है, संभव है, इसमें और भी नाम सामने आएं। हालांकि हैरानी की बात यह है कि एक पूर्व प्रधानमंत्री के घर में ही बच्चों को ऐसे संस्कार नहीं दिए गए हैं कि वे बेहतर समाज बनाने में अपना योगदान दें। एक सांसद बनकर कोई अगर इस प्रकार के मामलों में संलिप्त होगा तो उससे किस प्रकार इसकी उम्मीद की जा सकती है कि वह जनता के काम आएगा। वह तो जनता को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहा है। वह तो जनता से अपनी बंदगी करवा रहा है। देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा एवं उनके प्रति यौन अपराधों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। अनेक राज्यों में महिला विरुद्ध अपराधों की सूची अब लंबी होती जा रही है।
हालांकि सरकारें इससे इनकार करती नजर आती हैं या फिर वे दूसरे राज्यों का उदाहरण देने लगती हैं। यह नहीं समझा जाता कि जिस राज्य की सीमाओं के अंदर ऐसे अपराध घटते हैं, तो उस राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह अपने यहां उस पर अंकुश लगाए। राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस संबंध में कर्नाटक पुलिस से रपट मांगी है। वास्तव में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों पर राज्य सरकारों को बेहद सख्त रुख अपनाना चाहिए। पुलिस का कार्य न्याय दिलाना होना चाहिए, लेकिन महिलाएं थानों में जाने से कतराती हैं। कर्नाटक में जिन महिलाओं के साथ यौन अपराध हुआ, संभव है वे आरोपी के प्रभावशाली होने से भयभीत थीं। क्या देश में वह दिन आएगा, जब महिलाओं के खिलाफ अपराध बंद हो जाएंगे?
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