नपूर शर्मा को फटकार लगाने वाले देखें कौन हे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस

नपूर शर्मा को फटकार लगाने वाले देखें कौन हे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस

नपूर शर्मा को फटकार लगाने वाले  देखें कौन हे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस

नपूर शर्मा को फटकार लगाने वाले देखें कौन हे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस

दिल्ली। शुक्रवार  को पैंगेबर पर विवादित बयान देने वाली नपूर शर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने जो सख़्त टिप्पणी की है उन में नपूर शर्मा को फटकार लगाने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज सूर्यकांत  की  स्टोरी एक अलग किसम की हे ।आपको  बत्ता दें   
 जस्टिस सूर्यकांत हिसार के उपमंडल नारनौंद के पेटवाड़ गांव से हैं। जस्टिस सूर्यकांत ग्रामीण पृष्टभूमि के हैं और मध्यवर्गीय परिवार से संबंधित है। गांव में उनके परिवार में बड़े भाई रिटायर्ड टीचर रिषीकांत रहते हैं। एक भाई डाक्टर शिवकांत और एक आईटीआई से रिटायर्ड देवकांत है।
रिषीकांत ने बताया कि वे चार भाई है। सूर्यकांत सबसे छोटे हैं। परिवार में दूर की रिश्तेदारी में भी कोई वकील नहीं था। सूर्यकांत शुरू से ही परिवार में भी किसी भी विषय पर डिबेट करते। रोहतक के एमडीयू से लॉ करने के बाद शिक्षक पिता मदन गोपाल शास्त्री ने उन्हें एलएलएम करने के लिए कहा। परंतु सूर्यकांत चंडीगढ़ में जाकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में प्रेक्टिस करना चाहता था। उसने कहा कि वह प्रेक्टिस करूंगा। तब पिता जी ने कहा कि चंडीगढ़ में रहने वाले वकीलों के पास चाय के पैसे नहीं होते और रहने के लिए मकान का किराया कहां से देगा। परंतु सूर्यकांत ने कहा कि वह प्रेक्टिस करेगा तो किसी अच्छी कोर्ट में करेगा। उन्होंने चंडीगढ़ में अरूण कुमार जैन के पास प्रेक्टिस शुरू की। इसके बाद वे सिविल और सर्विस मैटर के केसों की पैरवी करनी शुरू कर दी। धीरे धीरे उनकी ख्याति बढ़ती गई और वकील उनकी बहस सुनने के लिए कोर्ट में आने लगे।

तत्कालीन प्रिंसिपल कंजरवेटर का केस लड़ा

बड़े भाई रिषीकांत ने पुराने दिनों को ताजा करते हुए बताया कि सूर्यकांत को ख्याति तब मिली, जब उसने तत्कालीन सीएम भजन लाल के समय वन विभाग के प्रिंसिपल कंजरवेटर गुरनाम सिंह का केस लड़ा। सरकार ने गुरनाम सिंह को उनके पद के समकक्ष पद बनाकर उस पर स्थांतरित कर दिया। इसके खिलाफ गुरनाम सिंह कैट में गए। सूर्यकांत ने उनका केस लड़ा और जीते। इसके विरोध में हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट गई। सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट में भी केस जीत लिया। इस केस ने उन्हें ख्याति दी।

गांव में माता पिता के नाम पर ट्रस्ट

गांव पेटवाड में उनके पिता मदन गोपाल शास्त्री और माता शशि देवी के देहांत के बाद उनके नाम पर ट्रस्ट बनाया हुआ है। ट्रस्ट के माध्यम से हर साल गांव के स्कूल में मेधावी छात्र छात्राओं को सम्मानित करते हैं। जस्टिस सूर्यकांत खेती के भी शौकीन है। गांव के स्कूल में दसवीं पास की। उन्हें खेती का भी शौक है और वे अपने ताऊ के साथ खेती के काम में भी हाथ बढ़ाते थे। रिषी कांत ने बताया कि वे कविता लिखने के शौकीन है। रूढ़ि वादिता के खिलाफ मेड पर पानी चढ़ा दो कविता लिखी। वे कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ है और रागिनी सुनने के शौकीन है। वे पर्यावरण प्रेमी है, पशु पक्षियों के लिए खेत में तालाब बनवाया हुआ है। जब भी गांव में आते हैं तो खेतों में बनवाए तालाब पर जरूर जाते हैं। अपनी शादी के समय दहेज में एक चम्मच तक नहीं लिया।

गांव आते तो सबसे खुलकर मिलते

हिसार कोर्ट में प्रेक्टिस कर रहे उनके चचेरे भाई प्रदीप कुमार शर्मा ने बताया कि इनके पिता मदन गोपाल शास्त्री ने ग्रामीण पृष्टभूमि पर किताब लिखी है। जब भी वे गांव में आते हैं तो ग्रामीणों से खुलकर मिलते हैं और सिक्योरिटी वालों को घर पर ही रहने के आदेश देते हैं। उनमें किसी प्रकार का कोई घमंड नहीं है। हिसार कोर्ट में 1985 से 1987 तक एआर बंसल के पास प्रेक्टिस की।