बेवजह लगाई जा रही शहर में धारा 144

बेवजह लगाई जा रही शहर में धारा 144

बेवजह लगाई जा रही शहर में धारा 144

बेवजह लगाई जा रही शहर में धारा 144

-डीएम कहते हैं पुलिस की संस्तुति पर लगाई जाती है धारा 144, पुलिस कह रही उनकी ओर से कोई संस्तुति नहीं, रूटीन में धारा लगाने का लैटर होता है जारी

चंडीगढ़, 27 अप्रैल (साजन शर्मा)

चंडीगढ़ में धारा 144 को लेकर प्रशासन गंभीर नहीं है। बरसों से यहां तैनात रहे डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट बिना किसी इमरजेंसी के धारा का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे आमजन में धारा का महत्व ही समाप्त हो रहा है।

डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट सीआरपीसी के तहत धारा 144 का आर्डर 60 दिन के लिये जारी करते हैं। इसे रूटीन आर्डर की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। 60 दिन के बाद धारा 144 को लेकर दोबारा आर्डर जारी कर दिये जाते हैं। धारा 144 के बेवजह इस्तेमाल को लेकर जुलाई 2021 में प्रधानमंत्री कार्यालय के पास लैटर भेजा गया जिसे कार्यालय से डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, चंडीगढ़ को भेज दिया गया और आवेदक को जवाब देने को कहा गया। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की ओर से कहा गया कि सीआरपीसी के तहत धारा 144 लॉ एंड आर्डर सिचुएशन पर अंकुश लगाने की दृष्टि से लगाई जाती है ताकि आम पब्लिक व उनकी प्रॉपर्टी को किसी भी गैरकानूनी या गैर जरूरी गतिविधि के चलते सुरक्षा दी जा सके। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट देखभाल के बाद धारा 144 लागू करने का फैसला लेता है। पुलिस विभाग की तरफ से भी लॉ एंड ऑर्डर सिचुएशन हैंडल करने के लिए धारा 144 को लेकर संस्तुति मिलती रहती है जिससे आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने में मदद मिलती है। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ऑफिस की ओर से कहा गया कि आम जनता को परेशान करने के लिए यह रिस्ट्रिक्शन नहीं लगाई जाती लेकिन उनकी मदद के लिए इन्हें लागू किया जाता है।

डीएम ऑफिस की ओर से कहा गया कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सबको अधिकार है कि वह शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन कर सकें लेकिन इसके लिए चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से सेक्टर 25 रैली ग्राउंड की जगह चिन्हित की गई है। उसके लिए भी पहले जिला प्रशासन से परमिशन लेनी जरूरी है। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को लॉ एंड ऑर्डर की सिचुएशन मेंटेन करने के लिए तैनात किया गया है। जो भी ज्ञापन विरोध प्रदर्शन करने वाले देना चाहते हैं वह उनके जरिये सरकार या प्रशासन तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं।

डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के लिखित जवाब पर जब आरटीआई में पुलिस से पूछा गया कि बीते दो साल में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को सेक्शन 144 के तहत कोई संस्तुति भेजी गई है तो सीआईडी ऑफिस से जवाब मिला कि ऑफिस की ओर से ऐसी कोई संस्तुति डीएम को नहीं भेजी गई लेकिन रूटीन में ऑफिस डीएम को धारा 144 लगाने के लिए लैटर भेजता रहता है।

 

लॉ एंड आर्डर को खतरा, तभी लागू हो सकती धारा

धारा 144 के आर्डर को रूटीन आर्डर की तरह लागू किया जा रहा है। यह अधिकारों का हनन है। कोर्ट की ओर से भी इस मामले में कहा गया कि इसे रूटीन प्रेक्टिस की तरह लेना गलत है। अगर कोई इमरजेंसी सिचुएशन बनती है या पुलिस की ओर से ऐसी कोई संस्तुति आती है तो इसका इस्तेमाल किया जाए, अन्यथा रूटीन प्रेक्टिस न बनाई जाए।

अगर शहर में ऐसे हालात बन रहे हैं कि रास्ता रुकने, दंगा भडक़ने, पब्लिक लाइफ डिस्ट्रब होने या लॉ एंड ऑर्डर की सिचुएशन खराब होने का अंदेशा है, पब्लिक की सुरक्षा तक पर हो तो डीएम इसे तत्काल लागू कर सकता है। किसी जगह पांच लोगों से ज्यादा जुटने पर रोक लगा सकता है।

 

यहां ये बता दें कि धारा 144 लगाने के बावजूद भी डीएम ने बीते कुछ सालों में शहर में हुई गतिविधियां रोकने की कोशिश की, ऐसा सामने नहीं आया। केवल एक रूटीन के तौर पर धारा 144 का इस्तेमाल हुआ। शहर में बीते कुछ सालों में लगातार रैली, धरने, नारेबाजी, रोड शो या रास्ते रोकने इत्यादि की घटनाएं हुई लेकिन बावजूद धारा 144 लागू होने के बाद भी इन पर प्रशासन अंकुश लगाने में कामयाब नहीं हुआ। खासतौर से राजनीतिक पार्टियों ने तो मनमाने तरीके से धरना प्रदर्शन किये। हाल ही में कालोनी नंबर 4 को गिराये जाने को लेकर रोड रोकी गई और प्रशासक कार्यालय की ओर मार्च किया गया। धनास मार्केट में मार्बल की दुकानें गिराये जाने के विरोध में भी रास्ता रोका गया। धारा 144 पूरी तरह विफल रही।

 

पंजाब आतंकवाद के चलते 1983 में डिस्टर्ब एरिया घोषित हुआ था चंडीगढ़

चंडीगढ़ को 1983 में पंजाब के आतंकवाद के चलते डिस्टर्ब एरिया घोषित किया गया था। लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर ऐसा किया गया था। तब धारा 144 के आदेश को आगे बढ़ाने की शहर को लगातार जरूरत थी क्योंकि लॉ एंड आर्डर की स्थिति बरकरार रखना निहायत जरूरी था क्योंकि हालात ही ऐसे थे। सितंबर 2012 में डिस्टर्ब एरिया का टैग चंडीगढ़ के ऊपर से हटा दिया गया। हाईकोर्ट की ओर से कहा गया कि अब चंडीगढ़ शांत है लिहाजा यह टैग रखने का कोई मंतव्य नहीं बनता। बावजूद इसके चंडीगढ़ प्रशासन ने धारा 144 के आर्डर लगातार जारी रखे हालांकि इन्हें विशेष इमरजेंसी परिस्थितियों में ही लगाये जाने का प्रावधान है। लोगों का कहना है कि लगातार जारी किये जा रहे यह आर्डर लोगों में भ्रम पैदा कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि प्रशासन विचार करे कि क्या रूटीन में यह आर्डर लगाये जाने का मतलब है? इसे रिव्यू किया जाए और इसके बजाये जरा जरा से मसलों में प्रशासन खुद की निहित पॉवर का इस्तेमाल करे और समस्या का निदान करे। इस संबंध में डीसी से बात करने की कोशिश की गई लेकिन बात नहीं हो पाई।