आर्थिक तंगहाली झेल रहे नगर निगम का नया कारनामा:
Sculpture will be Installed in front of Houses
13 मकानों के सामने निगम डुबोयेगा 1.91 करोड़ रुपये
क्रॉसर: सेक्टर 31 में एयरफोर्स के कुछ मकानों के आगे स्क्रैप व सीमेंट कंक्रीट से बने लगाये जाएंगे कुछ स्कल्पचर
-आम जनता के प्रवेश निषेध वाले डिफेंस एरिया में किया जा रहा कारनामा, आम आदमी के देखने पर भी हो सकती है रोक
मकान नंबर 3315 से लेकर 3328 तक के मकान के सामने यह स्कल्पचर लगेंगे
चंडीगढ़, 20 अक्तूबर (साजन शर्मा)
कहावत है कि जंगल में मोर नाचा किसी ने न देखा। यह चंडीगढ़ प्रशासन पर बिलकुल सटीक बैठती है। चंडीगढ़ नगर निगम हमेशा नए कारनामे करने के लिए मशहूर रहा है। कभी चंद मीटर की दूरी पर एक ट्यूबवैल पंप से जेनरेटर दूसरी जगह पहुंचाने के लिए पांच लाख से ज्यादा का टैंडर लगा दिया जबकि इतनी राशि में नया जेनरेटर आ जाता है। अब विभाग ने नया कारनामा कर दिखाया है। सेक्टर 31 के एयरफोर्स कालोनी के प्रवेश निषेध वाले एरिया में निगम ने स्क्रैप से बने स्कलप्चर लगाने के लिए 1.91 करोड़ रुपये के टैंडर जारी कर दिये। वह भी मकान नंबर 3315 से लेकर 3328 तक के मकान के सामने यह लगेंगे। अब सवाल ये है कि यह काम किसी सिफारिश पर किया जा रहा है या शहर की आम जनता के लिए। इसका खुलासा इन स्कल्पचर लगने के बाद ही हो पायेगा।
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सीमेंट कंक्रीट व स्क्रैप लैंडस्केपिंग वर्क से यह स्कलप्चर तैयार होंगे जो 3315 नंबर मकान से लेकर 3328 नंबर मकान तक यानि महज 13 मकानों के आगे लगेंगे। सवाल फिर वही है कि क्या यहां कोई वीआईपी रहता है? इन 13 मकानों के आगे लैंडस्केपिंग का भी बेहतरीन काम होगा। सबसे हैरान करने वाला तथ्य यह है कि इस पर 1.91 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि खर्च की जाएगी। यह स्कल्पचर अलग अलग तरह के होंगे व जहां ये लगेंगे उस छोटे से एरिया को स्वच्छ सर्वेक्षण 2022-23 की टूलकिट के तहत विकसित किया जाएगा। इस पार्क को वेस्ट एंड वंडर पार्क का नाम दिया जाएगा और इसे स्वच्छता पोर्टल पर भी डाला जाएगा। इस जगह का एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अपने एसडीई व जेई समेत निरीक्षण भी कर चुके हैं। अफसरों ने यहां संपूर्ण खर्चे का एक एस्टीमेंट तैयार किया है। बताया गया है कि इस काम पर 1.91 करोड़ रुपये की भारीभरकम रकम खर्च होगी। इसे प्रशासनिक अप्रूवल के लिए भेजकर सही हैड में राशि जारी करने का अनुरोध किया गया है। एमसी के जनरल हाऊस की अप्रूवल के लिए यह एजेंडा पहले ही भेजा जा चुका है।
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एक हाथ दे, दूसरे हाथ ले का मसला तो नहीं?
नगर निगम ने एक नया कदम आगे बढ़ाया, इस पर किसी को ऐतराज नहीं लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि जिस जगह पर यह काम निगम की ओर से कराया जा रहा है वह जमीन एयरफोर्स की जमीन है। यानि डिफेंस से जुड़ी जमीन होने के चलते यहां आम आदमी का प्रवेश पूरी तरह से निषेध है। यहां लगे बोर्ड पर यह भी लिखा गया है कि किसी भी प्राइवेट आर्गेनाइजेशन को कोई वेंचर या गतिविधि यहां शुरू करने की अनुमति नहीं है। एयरफोर्स अथॉरटी से यहां गैदरिंग के लिए या फंक्शन के लिए पहले अनुमति लेनी होगी। यह आर्डर एस्टेट आफिस के कमांडिंग अफसर की ओर से जारी किया गया है। सैकेंड इनिंग एसोसिएशन के चेयरमैन आरके गर्ग ने सवाल उठाया है कि आखिर ऐसा क्षेत्र जिसमें आम जनता को घुसने तक की अनुमति नहीं है तो वहां इतनी भारी भरकम राशि खर्च करने के पीछे नगर निगम का क्या मंतव्य है? क्या किसी खास अफसर या अफसरों को खुश करने के लिए यह प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। एक और नगर निगम अपनी आर्थिक तंगहाली का रोना रोता है और दूसरी तरफ बेफिजूल के खर्चे करता है। कहीं प्रशासनिक अफसरों ने चंद एयरफोर्स के अधिकारियों के लिए तो यह पैसा नहीं लुटा दिया? इस मामले की जांच होनी चाहिए। लोगों के सामने सच आना चाहिए ताकि पता चले कि कहीं एक हाथ ले, दूसरे हाथ दे का खेल तो नहीं? यहां बता दें कि बीते कुछ दिनों से एयरफोर्स के अधिकारियों का प्रशासक व प्रशासन के अधिकारियों के साथ कई मुद्दों को लेकर तालमेल बढ़ा है। एक तो गवर्नमेंट प्रेस में म्यूजियम बनाने का जिम्मा एयरफोर्स के सुपुर्द किया गया था, दूसरा हाल ही में एयरफोर्स ने सुखना झील पर प्रशासन के अनुरोध पर जोरदार एयरशो किया था। सेक्टर 31 में एयरफोर्स के चंद अफसरों का बसेरा है जहां महज 13 मकानों के बीच ये मोटी रकम खर्च की जा रही है।