Number of Students: केवल छात्रों की संख्या के आधार पर मर्ज कर रहे स्कूल

Number of Students: केवल छात्रों की संख्या के आधार पर मर्ज कर रहे स्कूल

Number of Students

Number of Students: केवल छात्रों की संख्या के आधार पर मर्ज कर रहे स्कूल

स्कूलों में बढ़े विद्यार्थी को तो फिर से खोलने को तैयार
कांग्रेस सरकार में भी रेशनेलाइज हुए थे आठ सौ स्कूल
आरटीई नियम से 33 घंटे कम लग रहे हरियाणा के स्कूल

चंडीगढ़। Number of Students: हरियाणा में कम विद्यार्थियों वाले 105 स्कूलों को बंद करने के आदेश जारी करने के बाद चौतरफा घिरी सरकार(all-round government) ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है। सरकार ने स्कूृलों को मर्ज करने के पीछे रेशनेलाइजेशन तथा विद्यार्थियों की कम संख्या को आधार बनाया है।

हरियाणा सरकार द्वारा शनिवार की रात प्रदेश में बीस से कम विद्यार्थियों वाले 97, दस से कम विद्यार्थियों वाले छह तथा 25 से कम विद्यार्थियों वाले दो स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया था। 

हरियाणा सरकार ने सोमवार को दावा किया कि बीस से कम छात्र संख्या वाले एक ही वार्ड या गांव के तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूलों को मर्ज किया गया है, ताकि ऐसे बच्चे शिक्षक की कमी से न जूझें।

रेशनेलाइजेशन का सबसे बड़ा फायदा

रेशनेलाइजेशन(rationalization) का सबसे बड़ा फायदा होगा कि इससे अधीनस्थ स्कूलों के हेड का न केवल बोझ कम होगा बल्कि वो बच्चों को पढाई के लिए अधिक वक्त दे पाएगा। स्कूल और स्टाफ से सम्बंधित सभी प्रकार के कार्यों का बोझ मुख्य स्कूल के मुखिया पर ही होगा।

वेतन बनाने से लेकर छुट्टी स्वीकृत जैसे तमाम अतिरिक्त कार्यों से मुक्ति मिलेगी और स्कूली कार्यों के लिए बीईओ दफ्तर के चक्कर भी नही काटने पड़ेंगे। विभाग की ओर से सभी प्राथमिक और मिडल स्कूलों में सह शिक्षा को लागू करने की दिशा में कदम उठाया जा रहा है। 

शिक्षा विभाग ने साफ किया है कि फिलहाल कक्षा छह से 12वीं तक 45 छात्रों पर एक सेक्शन बनाया गया है, सर्वे के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर(National level) पर छात्रों की 18 फीसदी अनुपस्थिति दर है, जिसके हिसाब से करीब आठ छात्र प्रतिदिन अनुपस्थित रहते है,जिससे साफ है कि वास्तव में 37 छात्र एक सेक्शन में पढ़ाई करते हैं,जबकि नई शिक्षा नीति भी 35 छात्रों पर एक सेक्शन बनाने की बात कहती है। इसी तरह हर छात्र के लिए स्कूल में 45 घंटे

प्रति सप्ताह और 180 घंटे प्रति मास पढाई के लिए दिया गया है,जबकि 36 पीरियड प्रत्येक सप्ताह हर अध्यापक को लेने अनिवार्य है।

इस समय राज्य के स्कूल 147 घंटे प्रतिमाह लग रहे है जो कि आरटीई नियम(RTE Rules) से 33 घंटे कम है। छात्र शिक्षक अनुपात को सुधारने के लिए रेशनेलाइजेश या स्कूल मर्जर पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पहले साल 2013 में भी करीब 800 स्कूलों को रेशनेलाइजेशन के दायरे में लाया गया था।

हरियाणा सरकार ने साफ किया है कि जिन 97 स्कूलों को 20 से कम छात्र संख्या के चलते मर्ज किया गया है उन स्कूलों को दाखिले बढ़ाने पर फिर से खोलने का आश्वासन भी विभाग की ओर से दिया गया है।