सौभाग्य सुंदरी व्रत कल, देखें शुभ मुहूर्त व पूजा विधि
- By Habib --
- Thursday, 10 Nov, 2022
Saubhagya Sundari fasting tomorrow
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की तृतीया तिथि के दिन सौभाग्य सुंदरी का व्रत(saubhaagy sundaree ka vrat) रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है। इस व्रत को करवा चौथ के बराबर ही माना जाता है। इस व्रत को करने से पति की लंबी और अच्छा स्वास्थ्य मिलता है। इसके साथ ही दंपति की कुंडली में लगा मांगलिक दोष भी दूर होता है।
सौभाग्य सुंदरी व्रत का शुभ मुहूर्त
अगहन मास की तृतीया तिथि आरंभ- 10 नवबंर 2022 को शाम 6 बजकर 33 मिनट से शुरू
अगहन मास की तृतीया तिथि समाप्त- 11 नवंबर रात 8 बजकर 17 मिनट पर समाप्त
11 नवंबर को उदया तिथि होने के कारण इसी दिन सौभाग्य सुंदरी व्रत रखा जाएगा।
सौभाग्य सुंदरी व्रत का महत्व
सौभाग्य सुंदरी व्रत का पर्व वैवाहिक जीवन में सकारात्मकता और सौभाग्य लाने के लिए रखा जाता है। इसके साथ ही पति और पुत्रों की सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं इस व्रत को रखती हैं। माना जाता है कि जो महिला इस व्रत को रखती हैं उसे सुखी और सफल जीवन प्राप्त होता है। इसके साथ ही जिन अविवाहित लड़कियां की कुंडली में विवाह दोष हो, वह भी इस व्रत को करके दोष से मुक्त हो सकती है। जो महिलाएं ‘मांगलिक दोष’ और कुंडली में प्रतिकूल ग्रहों की स्थिति से पीडि़त हैं वह भी इस व्रत को रखकर समस्याओं से छुटकारा पासकती है। सौभाग्य सुंदरी तीज को महिलाओं के लिए ‘अखंड वरदान’ के रूप में जाना जाता है।
पूजा विधि
सौभाग्य सुंदरी के दिन सूर्योदय के समय उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
अब भगवान शिव और माता पार्वती का मनन करके हुए व्रत का संकल्प लें।
एक चौकी में लाल या पीला रंग का वस्त्र बिछाकर माता पार्वती, शिव जी और गणेश जी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित कर दें।
मां पार्वती को सोलह श्रृंगार अर्पित करें। इसके साथ ही सिंदूर, रोली, फूल, माला, कुमकुम के साथ भोग लगाएं और एक पान में 2 सुपारी, 2 लौंग,
2 हरी इलाचयी, 1 बताशा और 1 रुपए रखकर चढ़ा दें।
भगवान शिव को भी सफेद रंग का चंदन, अक्षत, फूल, माला चढ़ाने के साथ भोग लगा दें।
अंत में घी का दीपक और धूप जलाकर चालीसा, मंत्रों का जाप करें।
मां पार्वती के इस मंत्र का जाप करें।
ऊँ उमाये नमा:
‘देवी देइ उमे गौरी त्राहि मांग करुणानिधे माम् अपरार्धा शानतव्य भक्ति मुक्ति प्रदा भव’
अंत में आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें।