सिद्धू मूसेवाला के आखिरी गाने से घबराई सरकार, देखें एसवाईएल पर क्या कह दिया

musewal

Sarkar panicked over Sidhu Moosewala'

चंडीगढ़। पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के ठीक 24 दिन बाद यानी 23 जून 2022 को यूट्यूब पर 'एसवाईएलÓ के नाम से उनका सॉन्ग रिलीज हुआ। रिलीज होने के महज 72 घंटे के अंदर इस गाने को यूट्यूब पर 2.7 करोड़ ज्यादा लोगों ने देखा। इसके बाद यूट्यूब ने केंद्र सरकार से कानूनी शिकायत मिलने की बात कहकर 'एसवाईएलÓ सॉन्ग को अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिया।

23 जून 2022 को यूट्यूब पर रिलीज हुए सिद्धू मूसेवाला के सॉन्ग 'एसवाईएलÓ में पंजाबी इतिहास और पहचान लौटाने की बात की गई है। इसके साथ ही मूसेवाला गाने में चंडीगढ़, हरियाणा और हिमाचल लौटाने की बात भी करते हैं। वह कहते हैं कि पानी तो भूल जाओ, हम एक बूंद नहीं देंगे जब तक कि हमें हमारी संप्रभुता नहीं दोगे।

इसी गाने में आगे 1990 के सतलुज-यमुना नहर की उस घटना का जिक्र होता है, जिसमें 2 इंजीनियरों की हत्या कर दी गई थी। अपने इस सॉन्ग में मूसेवाला ने दोनों इंजीनियरों के हत्यारे बलविंदर सिंह जटाना की तारीफ की थी।

इसके साथ ही किसान आंदोलन के दौरान 26 जनवरी 2021 को लाल किला पर फहराए गए सिख झंडे, 1984 के सिख दंगे, पंजाब के सिख बंदियों और खालिस्तान समर्थक आतंकियों की बात भी इस गाने में की गई थी। यही वजह है कि रिलीज होने के बाद ही यह गाना वायरल होने लगा। बाद में केंद्र सरकार के निर्देश पर इस गाने के वीडियो को यूट्यूब ने हटा दिया है।

पंजाब और हरियाणा के बीच पानी के बंटवारे को लेकर लड़ाई कोई नई नहीं है, बल्कि यह 66 साल पुरानी है। बात 1955 की है, जब नॉर्थ इंडिया के राज्यों जैसे- पंजाब, जम्मू कश्मीर और राजस्थान ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किया। इस समझौते में पेप्सू यानी आज के हरियाणा, हिमाचल और पंजाब के कुछ क्षेत्र भी शामिल थे। हालांकि जल बंटवारे को लेकर किया गया यह समझौता आने वाले समय में सफल नहीं रहा।

इसके बाद जब 1 नवंबर 1966 को हरियाणा राज्य पंजाब से अलग हुआ तो इसके साथ ही दोनों राज्यों के बीच जल विवाद का मामला गहरा गया। बाद में इसे खत्म करने के लिए दोनों राज्यों के बीच 214 किलोमीटर लंबा जल मार्ग सतलुज-यमुना लिंक नहर बनाने पर सहमति बनी।

इसके तहत सतलुज नदी को नहर के जरिए यमुना नदी से जोड़ा जाना था। इस नहर का 122 किलोमीटर लंबा हिस्सा पंजाब में जबकि 92 किलोमीटर हिस्सा हरियाणा में बनाया जाना था। दोनों राज्य सरकारों ने 1981 में इंदिरा गांधी की मौजूदगी में इस नहर के बचे हुए काम को 1983 से पहले पूरा करने का वादा किया था।

हरियाणा और पंजाब दोनों ही राज्यों को मिलकर इस 214 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण करना था। पंजाब में 30 किलोमीटर ज्यादा नहर का हिस्सा था, इसलिए हरियाणा सरकार को नहर बनाने के लिए कुछ पैसा पंजाब सरकार को देना था। हरियाणा ने 1976 में ही एक करोड़ रुपए की पहली किश्त पंजाब सरकार को दे दी थी। इसके बाद 2006 तक करीब 192 करोड़ रुपए पंजाब को एसवाईएल नहर बनाने के लिए दिया था।

वहीं, हरियाणा ने अपने हिस्से की नहर का निर्माण 1980 में करीब 250 करोड़ रुपए खर्च करके पूरा कर लिया था। पंजाब ने इस नहर को बनाने में ज्यादा इंट्रेस्ट नहीं लिया। जिससे दोनों राज्यों के बीच विवाद बढ़ा तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं।