Samb SadaShiv Naam Jap- चमत्कारिक है भगवान शिव का यह नाम जप; प्रेमानंद महाराज ने बताया- कैसे दिखाता है प्रभाव

चमत्कारिक है भगवान शिव का यह नाम जप; प्रेमानंद महाराज ने बताया- कैसे दिखाता है प्रभाव, महादेव के इस मंत्र को न जपने की दी चेतावनी

Samb SadaShiv Naam Jap Premanand Maharaj Shiv Puja Vidhi Sawan 2024

Samb SadaShiv Naam Jap Premanand Maharaj Shiv Puja Vidhi Sawan 2024

Samb SadaShiv Naam Jap: आज सोमवार (22 जुलाई) से भगवान शिव के प्रिय महीने सावन की शुरुवात हो गई है। वहीं सावन पर शिव को खुश करने और उनकी कृपा पाने के लिए भक्त पूजा-पाठ के लिए बड़ी संख्या में शिवालयों में पहुंच रहे हैं। देशभर के शिवालयों में शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। खासकर भोले के अनन्य भक्तों में सावन को लेकर अति उत्साह देखा जा रहा है। चारो ओर शिव की जय-जयकार हो रही है। ''हर-हर महादेव'' के साथ इस दौरान शिव भक्त ''ॐ नमः शिवाय'' का जप भी कर रहे हैं और शिव का यह तेज मंत्र ध्वनिनाद से गुंजायमान है।

लेकिन शिव भक्तों को क्या यह जानकारी है कि, भगवान शिव के लिए ''ॐ नमः शिवाय'' का जप और उच्चारण तभी किया जा सकता है जब गुरु द्वारा ये मंत्र दिया गया हो। गुरु पद्धति और विधान से ही भगवान शिव के लिए ''ॐ नमः शिवाय'' का जप और उच्चारण किया जा सकता है। ऐसा हम खुद से नहीं कर रहे हैं। यह कहना है वृंदावन के विश्वविख्यात संत और राधारानी के परम भक्त प्रेमानंद महाराज का। जो एक समय में काशी में भगवान शिव के अनन्य उपासक और भक्त रहे हैं। भगवान शिव के लिए घोर तप किया है। भगवान शिव को जाना है और अपने रोम-रोम में बसाया है।

निगेटिव प्रभाव को पुष्ट कर देता है

दरअसल, प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि, भगवान शिव के लिए ''ॐ नमः शिवाय'' का जप और उच्चारण गुरु द्वारा लेने पर ही किया जा सकता है। वरना ये निगेटिव भाव और प्रभाव को पुष्ट कर देता है। कोई भी वैदिक मंत्र गुरु पद्धति और विधान से ही जपना चाहिए। ऐसे मनमानी नहीं करनी चाहिए। आजकल लोग जिस प्रकार से कर रहे हैं वो ठीक नहीं है।

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि, जब तक गुरु प्रदत्त ये ये मंत्र न मिल जाये तब तक इस मंत्र को नहीं जपना चाहिए और न उच्चारण करना चाहिए। इससे मंत्र की सफलता नष्ट हो जाती है। वहीं प्रेमानंद महाराज ने बताया कि, वैदिक मंत्रों का कभी गान नहीं करना चाहिए। मंत्रों को तेज बोलकर नहीं कहा जाता है। यह मंत्र विरुद्ध है। मंत्रों का हमेशा जिभ्या से बोला जाता है और उनका मनन होता है।

''सांब सदाशिव'' नाम जप करें- प्रेमानंद महाराज

जब भगवान शिव के लिए ''ॐ नमः शिवाय'' का जप और उच्चारण बिना गुरु प्रदत्त नहीं करना है तो फिर क्या करना चाहिए। इस बारे में प्रेमानंद महाराज ने बताया कि, ''सांब सदाशिव'' नाम जप करना चाहिए। जितना हो सके, जैसे भी हो सके। ''सांब सदाशिव'' नाम जप करें। ''सांब सदाशिव'' का अर्थ है 'माता अंबा के साथ भगवान शिव'। यानि ''सांब सदाशिव'' के जप से हम दोनों को एक साथ भजते हैं और नमन करते हैं।

प्रेमानंद महाराज ने बताया कि, ''सांब सदाशिव'' नाम जप बेहद चमत्कारिक है और प्रभावी है। उन्होंने खुद ''सांब सदाशिव'' नाम जप किया है और चमत्कार को महसूस किया है। प्रेमानंद महाराज ने कहा कि, ''सांब सदाशिव'' नाम जप से माता अंबा और भगवान शिव दोनों ही अपनी कृपा करते हैं और अगर उनकी कृपा हो गई तो निहाल हो जाओगे.

सावन पर ऐसे करें शिव की पूजा

वैसे भगवान शिव बड़े दयालु हैं। वह सबसे जल्दी रीझ जाते हैं। शिव की पूजा में सबसे ज्यादा महत्व आपकी श्रद्धा-भाव का है। आप कुछ भी न करें। सिर्फ सच्चे गहरे भाव से शिव को खाली पुकारते ही रहें। आपकी बात इतने में भी बन जाएगी।

इसके साथ ही शिव जी सिर्फ एक लोटे जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन श्रद्धा-भाव के साथ शिव जी की विशेष पूजा का भी अपना महत्व है। इसलिए शिव जी की शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शक्कर और शहद से अभिषेक का खास महत्व माना गया है। शिव जी की पूजा में ये चीजें अवश्य अर्पित की जाती हैं।

सावन के दिनों में आप सुबह जल्‍दी स्‍नान करके साफ कपड़े पहनें। हो सके सफेद कपड़े धारण करें। व्रत रख रहें हैं तो बहुत अच्‍छा है। शिव पूजा शुरू करने पर आप सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं। फिर भगवान शिव का जलाभिषेक करें।

इसके बाद दूध, दही, घी, शक्कर और शहद से अभिषेक करें। और बाद में फिर से भगवान शिव का जलाभिषेक करें और इसके बाद उनपर सफेद चंदन, अक्षत, सफेद फूल, बेल पत्र, धतूरा, सुपारी, भस्म आदि चढ़ाएं। शमी के पत्‍ते भी चढ़ाएं। भगवान शिव को सुगंधित फूल-माला अप्रित करें।

ध्यान रहे कि, भगवान शिव पर भूलकर भी केतकी का फूल नहीं चढ़ाना है। उन पर सिंदूर भी नहीं चढ़ाना है। भगवान शिव को आप फल-मिठाइयों का भोग लगाएं और आखिर पूजा खत्म होने पर उनकी आरती जरूर करें। इसके बाद भगवान शिव के आगे नतमस्तक होते हुए और बम-बम भोले के जयकारे के साथ पूजा संपन्न करें। भूल-चूक की माफी मांग लें।