सफरनामा आईएएस आरएस वर्मा का: साधारण खेती बाड़ी वाले परिवार से उठकर पहुंचे आईएएस तक
- By Vinod --
- Friday, 29 Jul, 2022
Safarnama IAS of RS Verma: After rising from a simple farming family to the IAS
बतौर एचसीएस चंडीगढ़ में भी दी अपनी सेवाएँ, डायरेक्टर पब्लिक रिलेशन के पद पर रहे
आठ साल तक पहले तीसरी श्रेणी में जूनियर ऑडिटर के तौर पर भी दी सेवाएं
चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I साधारण खेती से जुड़े परिवार से उठकर IAS रैंक तक पहुंचने वाले RS Verma आरएस वर्मा ३१ जुलाई को करीब ४० साल की सेवा देकर रिटायर हो जाएंगे। शुक्रवार को उन्हें सहयोगियों की तरफ से विदाई पार्टी भी दे दी गई क्योंकि कल ३० जुलाई व ३१ जुलाई को शनिवार व रविवार का अवकाश है। अपनी मेहनत व लग्न के बूते हरियाणा Haryana में आईएएस की कुर्सी तक पहुंचने वाले आरएस वर्मा मूल रूप से हिसार Hisar के पास गांव आर्य नगर के रहने वाले हैं।
गांव के स्कूल में जब छठी कक्षा से अंग्रेजी बच्चों को पढ़ाई जाती थी, उस समय स्कूल का सफर शुरू किया। हिसार के कालेज से बीएससी की। इसके बाद राजस्थान यूनिवर्सिटी से एक एमए जबकि रोहतक की एमडीयू से दूसरी एमए कर अपनी शिक्षा में इजाफा किया। जहां तक प्रोफेशनल जिंदगी की शुरुआत की बात करें तो उन्होंने बतौर जूनियर ऑडीटर अपना नौकरी का सफर शुरू किया। तीसरी श्रेणी की इस पोस्ट पर रहते हुए अगले मिशन की तैयारी करते रहे।
पहले छह साल बतौर एचसीएस चुने जाने के बाद सेवाएं दी। फिर बाद में २००९ में आईएएस बन गए। एचसीएस के पद पर रहते एसडीएम महेंद्रगढ़, नारनौल, लौहारू व रेवाड़ी में रहे। बतौर आईएएस रिटायरमेंट से पहले वह रेवेन्यू एंड डिजास्टर मैनेजमेंट के सेक्रेट्री के तौर पर सेवाएं दे रहे थे। रोहतक में वह कमीश्नर के तौर पर भी रहे। शुगरफैड के एमडी, डीसी रोहतक, रजिस्ट्रार कोपरेटिव सोसायटी, डायरेक्टर टूरिज्म, एमडी टूरिज्म, डायरेक्टर एनवायरमेंट एंड क्लाइमेंट चेंज रहे। जब स्टेट सिविल सर्विस में थे तो चंडीगढ़ में भी उन्होंने सेवाएं दी। २००७-०८ में वह डायरेक्टर पब्लिक रिलेशन एंड कल्चरल अफेयर्स, (Director Public Relation & Cultural Affairs) जीएमसीएच ३२ (GMCH-32) में एडमिनिस्ट्रेटर, टेक्नीकल एजूकेशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर भी रहे।
बतौर आईएएस व एचसीएस उनका सेवाकाल २९ साल का रहा। दो साल तक वह डिस्ट्रिक्ट सोशल वेलफेयर अफसर भी रहे। ८ साल तक वह तीसरे दर्ज के ओहदे पर बतौर जूनियर ऑडिटर काम करते रहे। यहीं रहते उन्होंने पहले एचसीएस बनने व फिर आईएएस बनने के सपने को पूरा किया। आरएस वर्मा ने अर्थप्रकाश से बातचीत में बताया कि उनकी पत्नी का उनकी इस सफलता व सेवा पूरा करने में विशेष योगदान रहा।
उनके पांच बच्चे हैं जिनमें तीन बेटियां व दो बेटे जो जुड़वां है शामिल हैं। एक बेटी पंचकूला में लेबर इंस्पेक्टर है। दूसरी बेटी ने एमटेट कंप्यूटर साइंस किया हुआ है और अपना परिवार देखती हैं। तीसरी बेटी डॉक्टर है। तीसरी बेटी की राह पर ही दोनों जुड़वां बेटे भी डॉक्टरी कर रहे हैं और एमबीबीएस फाइनल ईयर में हैं। आरएस वर्मा के मुताबिक वह खेतीबाड़ी वाले साधारण परिवार से हैं। पिता खेती करते थे लेकिन उन्होंने पढ़ालिखा कर इस काबिल बनाया जिससे एक मुकाम पर पहुंचे।