एससीओ शिखर सम्मेलन में एस जयशंकर ने पाकिस्तान पर जमकर साधा निशाना, कहा पाकिस्तान में “तीन बुराइयां है”

एससीओ शिखर सम्मेलन में एस जयशंकर ने पाकिस्तान पर जमकर साधा निशाना, कहा पाकिस्तान में “तीन बुराइयां है”

एस जयशंकर मंगलवार को इस्लामाबाद पहुंचे जो लगभग एक दशक में पाकिस्तान का दौरा करने वाले पहले भारतीय विदेश मंत्री बन गए हैं।

1947 यानी जब से भारत और पाकिस्तान दो अलग देश का निर्माण हुआ तब से लेकर आज तक इन दोनों के रिश्ते में हमेशा खटास देखने को मिली है। अब यह खटास भले ही कश्मीर को लेकर हो या फिर आतंकवाद के मुद्दे को लेकर लेकिन दोनों के रिश्तों में कभी भी कोई सुधार नहीं देखने को मिला। अभी हाल ही में पाकिस्तान एससीओ शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें भारत के एस जयशंकर ने भी हिस्सा लिया और पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा। तो चलिए पूरे विस्तार से हम आपको यह खबर देते हैं और जानते हैं कैसे जयशंकर ने क्या-क्या कहा।

जयशंकर की ऐतिहासिक यात्रा

एस जयशंकर मंगलवार को इस्लामाबाद पहुंचे जो लगभग एक दशक में पाकिस्तान का दौरा करने वाले पहले भारतीय विदेश मंत्री बन गए हैं। उन्होंने पाकिस्तानी राजधानी में SCO CHG शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व किया। विचार विमर्श से पहले प्रधानमंत्री शरीफ ने जयशंकर से हाथ भी मिलाया और शिखर सम्मेलन स्थल जिन्ना कन्वेंशन सेंटर में उनका और SCO के सभी सदस्य देशों के अन्य नेताओं का भी स्वागत किया, और फिर शिखर सम्मेलन शुरू होने के बाद एस जयशंकर ने पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा।

पाकिस्तान में तीन बुराइयां

जयशंकर ने पाकिस्तान की धरती से उसे सीधा संदेश देते हुए कहा कि आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की तीन बुराइयों से चिन्हित सीमा पार की गतिविधियां व्यापार संपर्क, ऊर्जा प्रवाह को बढ़ावा नहीं देंगे। जयशंकर ने कहा कि हमारे प्रयास तभी आगे बढ़ेंगे जब चार्टर के प्रति हमारी दृढ़ निष्ठा रहेगी। जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान को ईमानदार रहकर सीमा विवाद और व्यापार, ऊर्जा प्रवाह के विषय में बातचीत करनी चाहिए। इसके अलावा जयशंकर ने चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के विस्तार और इसे मजबूत संपर्क ढांचे में एकीकृत करने के विरोध में भी बात की, क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है, और भारत लंबे समय से इस आर्थिक गलियारे का विरोध करता आया है।

एससीओ चार्टर का पालन करना चाहिए

जयशंकर ने एससीओ चार्टर का पालन करने पर जोर दिया तथा आपसी विश्वास मैत्री और अच्छे पड़ोसी के भाव को मजबूत करने के इस चार्टर के अंतरहीत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता देनी चाहिए इसे वास्तविक साझेदारी पर आधारित होना चाहिए ना कि एक तरफ एजेंडा पर। उनकी यह टिप्पणी व्यापार और कनेक्टिविटी जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चीन के मुख्य व्यवहार का इनडायरेक्ट विस्तार थी।