श्रापित सोच से कुंठित मदरसे की करतूत, मदरसे से मिली RSS को आतंकी संगठन बताने वाली किताब
'RSS material' books recovered from Madrasa
मौलवी पढ़ा रहा - "आरएसएस एक आतंकी संगठन"
'RSS material' books recovered from Madrasa: हाल ही में एक राष्ट्रीय दैनिक अख़बार में छपी खबर ने झकझोर कर रख दिया। खबर की हैडलाइन कुछ यूँ लिखी थी "मदरसे में मिली आरएसएस को आतंकी बताने वाली किताब "। मानो पैरों तले ज़मीन खिसक गयी हो। वर्ष 2024 यानि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लगभग 100 वर्षों के बाद भी निश्छल एवं निस्वार्थ भाव से देश सेवा में समर्पित इस संगठन को आज भी एक आतंकी संगठन के रूप में पेश करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
विडम्बना यह की बच्चो को ये सब पढ़ाने वाला एक मौलवी है और इस किताब का लेखक एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी बताया जा रहा है। मदरसे में बच्चे बेहतर तालीम और तहज़ीब सीखने की लिए भेजे जाते हैं लेकिन मदरसे की आड़ में ना सिर्फ आरएसएस को आतंकी संगठन बताकर बरगलाया जा रहा रहा था बल्कि यहाँ पुलिस ने नकली नोट छापने का कारखाना भी पकड़ा है।
डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने अंग्रेजी हुकूमत की विभाजनकारी नीति के विरोध और देश को सशक्त एवं संगठित बनाये रखने के लिए वर्ष 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना की। वसुधैव कुटुंबम् यानि सम्पूर्ण विश्व ही मेरा परिवार है का मूलभाव है आरएसएस की बुनियाद में। संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक इसी भावना से ऊर्जावान होकर न सिर्फ भारतवर्ष में अपितु विश्वभर में शांति, सेवा, संस्कार, एवं देशप्रेम के सन्देश का संचार करता है। अंग्रेजों से लेकर इमरजेंसी तक आरएसएस पर हुए अत्याचारों का इतिहास साक्षी है। लेकिन देशद्रोही ताकतें और विघटनकारी सोच समय समय पर हमें यह याद दिलाती है की सदैव राष्ट्रनिर्माण के पथ पर चलते रहें और सम्पूर्ण विश्व जगत में भारत को एक सशक्त देश बनाने में काम करते रहें।
सोच कर सिहर उठता हूँ की ऐसी विनाशकारी साजिशे सरकारों और सुरक्षा एजेंसियों से बचकर कैसी रहती हैं और लगातार देश को दीमक की तरह खोखला करती रहती है। पर यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी की देश आज़ादी के 76 साल बाद भी आतंक की बेड़ियों में बंधा हुआ है I
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