Mohan Bhagwat on Vijayadashmi| भारत को आगे बढ़ने से रोक रहे कुछ लोग... RSS चीफ का किस पर निशाना

भारत को आगे बढ़ने से रोक रहे कुछ लोग... RSS चीफ का किस पर निशाना, संघ के विजयादशमी उत्सव पर एक साथ कई हमले

RSS Chief Mohan Bhagwat Address on Vijayadashmi Dussehra Utsav

RSS Chief Mohan Bhagwat Address on Vijayadashmi Dussehra Utsav

Mohan Bhagwat Address on Vijayadashmi: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने विजयादशमी के मौके पर महाराष्ट्र के नागपुर में अपना वार्षिक उत्सव आयोजित किया। इस बीच शस्त्र पूजा भी की गई। विजयादशमी के दिन ही साल 1925 में आरएसएस की स्थापना हुई थी। अबकी बार आरएसएस के इस उत्सव में प्रसिद्ध गायक शंकर महादेवन को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया था। वहीं आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने इस उत्सव के दौरान देश में शांति और सौहार्द बिगाड़ने वालों पर बड़ा हमला किया। मोहन भागवत ने अपने सम्बोधन में कहा कि, कुछ ऐसे लोग हैं जो भारत को आगे बढ़ते और मजबूत होते हुए नहीं देखना चाहते। वह भारत में सामाजिक स्थिरता में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल, समझने वाली बात यह है कि मोहन भागवत का यह निशाना किस ओर था?

मणिपुर में आग किसने लगाई?

आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा कि, मणिपुर की वर्तमान स्थिति को देखते हैं तो एक बात ध्यान में आती है कि लगभग एक दशक से शांत मणिपुर में अचानक यह आपसी फूट की आग कैसे लग गई? क्या हिंसा करने वाले लोगों में सीमापार के अतिवादी भी थे? अपने अस्तित्व के भविष्य के प्रति आशंकित मणिपुरी मैतेयी समाज और कुकी समाज के इस आपसी संघर्ष को सांप्रदायिक रूप देने का प्रयास क्यों और किसके द्वारा हुआ? वर्षों से वहाँ पर सबकी समदृष्टि से सेवा करने में लगे संघ जैसे संगठन को बिना कारण इसमें घसीटने का प्रयास करने में किसका निहित स्वार्थ है?

मोहन भागवत ने कहा कि, इस सीमा क्षेत्र में नागाभूमि व मिजोरम के बीच स्थित मणिपुर में ऐसी अशांति व अस्थिरता का लाभ प्राप्त करने में किन विदेशी सत्ताओं को रुचि हो सकती है? क्या इन घटनाओं की कारण परंपराओं में दक्षिण पूर्व एशिया की भू- राजनीति की भी कोई भूमिका है? देश में मजबूत सरकार के होते हुए भी यह हिंसा किन के बलबूते इतने दिन बेरोकटोक चलती रही है? गत 9 वर्षों से चल रही शान्ति की स्थिति को बरकरार रखना चाहने वाली राज्य सरकार होकर भी यह हिंसा क्यों भड़की और चलती रही? आज की स्थिति में जब संघर्षरत दोनों पक्षों के लोग शांति चाह रहे हैं, उस दिशा में कोई सकारात्मक कदम उठता हुआ दिखते ही कोई हादसा करवा कर, फिर से विद्वेष व हिंसा भड़काने वाली ताकतें कौन सी हैं।

जुबान पर लगाम लगाना जरूरी

आरएसएस चीफ ने कहा कि भारत के उदय का उद्देश्य हमेशा से विश्व कल्याण रहा है। लेकिन, अपने सांप्रदायिक हितों की मांग करने वाली स्वार्थी, भेदभावपूर्ण और धोखेबाज ताकतें सामाजिक एकता को बाधित करने और संघर्ष को बढ़ावा देने के लिए अपने स्वयं के प्रयास कर रही हैं। इन ताकतों के षडयंत्र में हम भी कभी-कभी फंस जाते हैं। मोहन भागवत ने कहा कि, हमें जुबान पर लगाम लगाना होगा। मेरा इशारा एक की तरफ नहीं है, हर किसी के लिए हैं। हम बल संपन्न संगठित एकता के साथ आगे बढ़ें और शक्ति के साथ दुर्बलों की रक्षा करें। शक्ति का मतलब गुंडागर्दी नहीं है. और अगर गुंडागर्दी होगी तो उसका इलाज एक ही है। शासन-प्रशासन पर फिर अपना काम करेगा। मोहन भागवत ने कहा कि, हमें शासन-प्रशासन का सहयोगी बनकर चलना है और सावधान रहना है। मोहन भागवत ने चेतावनी दी कि आने वाले दिनों चुनाव होना है। गालियां चलेंगी। हथकंडे बढ़ेंगे। जहां उद्देश्य नहीं वहां भी उद्देश्य चिपाकर अपना काम बनाएंगे। खूब राजनीति होगी लेकिन उकसावे में नहीं आना है। भड़कना नहीं है। सबका अनुभव भारत की जनता के पास है। भारत का उत्थान होगा तो दुख जाएगा, शोषण जाएगा, कलह खत्म होगी।

राम मंदिर निर्माण की बात

आरएसएस चीफ ने कहा कि हमारे संविधान की मूल प्रति के एक पृष्ठ पर जिनका चित्र अंकित है, ऐसे धर्म के मूर्तिमान प्रतीक श्रीराम के बालक रूप का मंदिर अयोध्या जी में बन रहा है। आने वाली 22 जनवरी को मंदिर के गर्भगृह में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। व्यवस्थागत कठिनाइयों के तथा सुरक्षाओं की सावधानियों के चलते उस पावन अवसर पर अयोध्या में बहुत मर्यादित संख्या ही उपस्थित रह सकेगी। श्रीराम अपने देश के आचरण की मर्यादा के प्रतीक हैं, कर्तव्य पालन के प्रतीक हैं, स्नेह व करुणा के प्रतीक हैं। अपने-अपने स्थान पर ही ऐसा वातावरण बने। राम मंदिर में श्रीरामलला के प्रवेश से प्रत्येक ह्रदय में अपने मन के राम को जागृत करते हुए मन की अयोध्या सजे व सर्वत्र स्नेह, पुरुषार्थ तथा सद्भावना का वातावरण उत्पन्न हो ऐसे, अनेक स्थानों पर परन्तु छोटे छोटे आयोजन करने चाहिए।

G20 और एशियाई खेलों का जिक्र

इस बीच मोहन भागवत ने G20 और एशियाई खेलों का जिक्र भी किया। मोहन भागवत ने कहा कि, भारत के विशिष्ट विचार व दृष्टि के कारण संपूर्ण विश्व के चिंतन में वसुधैव कुटुम्बकम् की दिशा जुड़ गई। G-20का अर्थ केन्द्रित विचार अब मानव केन्द्रित हो गया। भारत को विश्व मंच पर प्रमुख राष्ट्र के नाते दृढ़तापूर्वक स्थापित करने का अभिनंदनीय कार्य हमारे नेतृत्व ने किया है। वहीं हमारे देश के खिलाड़ियों ने एशियाई खेलों में पहली बार 100 से अधिक 107 पदक (28 स्वर्ण, 38 रजत तथा 41 कांस्य) जीतकर हम सब का उत्साहवर्धन किया है। उनका हम अभिनन्दन करते हैं।

शंकर महादेवन क्या बोले?

वहीं मुख्य अतिथि के तौर पर आए शंकर महादेवन ने भी आरएसएस की तारीफ की। शंकर महादेवन ने कहा कि, मैं सिर्फ धन्यवाद कर सकता हूं। हमारे अखंड भारत का जो विचार है हमारे कल्चर, हमारे ट्रेडिशन, हमारी संस्कृति बचाकर रखने में इस देश में आरएसएस के लोगों से ज्यादा किसी और का योगदान नहीं है। शंकर महादेवन ने एक श्लोक गाते हुए कहा, "...तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय, ॐ शांतिः शांतिः शांतिः...  यह विश्व की शांति का मंत्र है। हर इंसान की शांति के लिए प्रार्थना। यही हमारा देश है..।

Nagpur Rss Vijayadashmi
Nagpur Rss Vijayadashmi