Right to Walk made in Punjab

Editorial: पंजाब में राइट टू वॉक बने दूसरे राज्यों के लिए भी प्रेरणा

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Right to Walk made in Punjab

Right to Walk made in Punjab संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में यह उल्लेखित है कि सुरक्षित रूप से पैदल चलना एक बुनियादी मानवीय अधिकार है। भारत में मानवाधिकारों की व्यापक चर्चा होती है और उनके उल्लंघन का आरोप लगाते हुए अदालतों में याचिकाएं दाखिल होती हैं। हालांकि कभी सड़क पर पैदल या फिर साइकिल चलाने के लिए ही सही किसी ने अपने अधिकार की मांग की है? सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ में साइकिल ट्रैक बनाए गए हैं, यहां पर फुटपाथ का भी निर्माण किया गया है, बेशक चंडीगढ़ तो दो राज्यों की राजधानी है और देश का डिजाइन किया गया पहला शहर है। लेकिन बाकी राज्यों में क्या इसकी जरूरत समझी गई है कि लोगों को सड़क पर चलने का अधिकार मिले।

बेशक, दूसरे राज्यों में अभी इसकी कवायद जारी होगी, लेकिन पंजाब वह पहला राज्य बन चुका है, जिसने अपने नागरिकों को सड़कों के किनारे सुरक्षित चलने के लिए फुटपाथ और साइकिल ट्रैक का निर्माण अधिकार के रूप में देने की तैयारी की है। यह पंजाब की आम आदमी पार्टी की ओर से जनता को एक और उपहार है। आखिर क्यों नहीं सड़कों के किनारे पैदल परिचालन सुरक्षित हो और क्यों नहीं सड़क, हाईवेज के किनारे साइकिल ट्रैक की व्यवस्था हो।

वास्तव में पंजाब समेत सभी राज्यों में मौजूदा स्थिति यह है कि सड़क और हाईवेज केवल वाहनों के लिए बन रहे हैं। किसी पुल, ओवर ब्रिज, सड़क, हाईवे के किनारे न तो यथोचित तरीके से पैदल चलने के लिए फुटपाथ बनते हैं, न ही साइकिल ट्रैक के लिए व्यवस्था होती है। होता यह भी है कि टू व्हीलर चालक भी उसी रोड से गुजर रहे होते हैं, जहां से भारी वाहनों का आना-जाना लगा रहता है। अनेक बार तो लगता है कि सड़क सिर्फ भारी वाहनों के लिए बनाई जाती है, क्योंकि उस पर कहीं पैदलगामी या फिर साइकिल या फिर टू व्हीलर चालकों के लिए प्रयोजन होता है। बेशक टू-व्हीलर चालकों के लिए भी सडक़ के एकतरफ मार्किंग कर दी जाए और उसी निर्धारित जगह में ड्राइव करने को कहा जाए तो इससे हादसे कम होंगे।

दोपहिया चालक न तो हेलमेट पहनना जरूरी समझते हैं, और न ही स्पीड लिमिट का ख्याल रखना। वे सड़क के बीच में अपने वाहन को दौड़ाते हैं, जिससे हादसे घटते हैं और जान चली जाती हैं। हालांकि पंजाब सरकार ने अब राइट टू वॉक लागू करके इस दिशा में कार्य शुरू किया है। अभी सड़क पर पैदल चलने वालों और साइकिल चलाने वालों की परवाह की जा रही है, संभव है आगे चल कर दोपहिया चालकों के लिए भी कोई पॉलिसी सामने आए।
 

मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने अनेक कल्याणकारी कदम जनता के लिए उठाए हैं। उनमें से एक यह है। राज्य के मुख्य सचिव की ओर से सर्वोच्च न्यायालय की ओर से बीते वर्ष राइट टू वॉक के लिए जारी किए गए आदेशों को लागू कराने के लिए ट्रैफिक सलाहकार को निर्देशित किया गया है। पंजाब सरकार इस दिशा में अब यह करेगी कि भविष्य में बनने वाली नई सड़कों और मौजूदा सड़कों के विस्तार के समय राइट टू वॉक को ध्यान में रखकर साइकिल ट्रैक और फुटपाथ का निर्माण अनिवार्य करेगी। इस संबंध में सड़क निर्माण से जुड़े विभागों और राष्ट्रीय राजमार्ग अथॉरिटी आफ इंडिया को भी पत्र लिखा गया है। इसमें कहा गया है कि सड़कों पर साइकिल ट्रैक और फुटपाथ बनाने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया जाए एवं इसके लिए बजट का प्रबंध भी हो।

गौरतलब है कि पंजाब जैसे घनी आबादी वाले राज्य में इससे पहले कभी इसकी जरूरत नहीं समझी गई है कि सडक़ों पर सुरक्षित पैदल चालन के लिए प्रावधान किया जाए। पंजाब में सडक़ों पर लगातार ऐसे हादसे घटते रहते हैं, जिनमें लोग सडक़ पर पैदल चल रहे होते हैं और पीछे से आकर कोई उन्हें कुचल कर चला जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि फुटपाथ बनाए ही नहीं जाते। अगर वे बनाए भी जाते हैं तो उन पर अवैध कब्जे हो जाते हैं और उन पर रेहड़-फड़ी आदि लगा दी जाती हैं।

इसके अलावा उन्हीं फुटपाथ पर मैकेनिक आदि के कार्य होते रहते हैं। वास्तव में   यह आज की सबसे बड़ी जरूरत है कि सड़कों पर परिचालन को सुरक्षित बनाया जाए। बेशक, राज्य सरकारें भी वाहन चालकों को एडवाइजरी जारी करके अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेती हैं, लेकिन जीवन जिस प्रकार से मौलिक अधिकार है, उसी प्रकार से सड़कों पर गाड़ी चलाने, दो पहिया वाहन चलाने और उसके किनारे पैदल या फिर सुरक्षित साइकिल चलाने का अधिकार मिलना चाहिए। पंजाब सरकार की यह मुहिम बेहद प्रशंसनीय और दूसरे राज्यों के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत है। हादसों को रोकने के लिए वाहन चालकों को जागरूक करने के अलावा सड़कों को ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित बनाने की भी बहुत ज्यादा आवश्यकता है।

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