101 Birth Anniversary of Justice AS Bains: जस्टिस अजीत सिंह बैंस का मिशन मक्तल में जाने जैसा ही था
- By Kartika --
- Monday, 15 May, 2023
Remembering Justice AS Bains: The People's Judge, in context of Future of Republic
101 वे जन्मदिवस पर उन्हें नमन करने के लिए लोग दूर दूर से आए
चंडीगढ़: 15 मई 2023: (कार्तिका सिंह/अर्थ प्रकाश):: Remembering Justice AS Bains: The People's Judge, in context of Future of Republic
जब पंजाब में खौफ की आंधी चल रही थी, पुलिस हरासमेंट ज़ोरों पर थी, आम जनता ने इसे स्टेट का आतंकवाद कहना शुरू कर दिया था। उस समय केवल पंथक छवि के लोगों को ही आतंकी बता कर निशाना नहीं बताया जाता था, बल्कि वाम से जुड़े लोग भी हरासमेंट का शिकार होते रहे। उस भयानक समय में जब नियम और कानून को ही ताक पर रख दिया गया था उस समय नियम और कानून को ही हथियार बना कर जस्टिस अजीत सिंह बैंस ही पीड़ित लोगों के साथ आ कर खड़े होते रहे। यह है उनके जीवन की उल्लेखनीय उपलब्धियां। उनका इस तरह बेबाकी से पीड़ित लोगों के साथ खड़ा होना स्वयं मक्तल में जाने के बराबर ही था लेकिन उन्होंने इसे पहल दी। आज उनके परिवार के साथ मिल कर उनके चाहने वालों ने उनका 101 वां जन्मदिवस बहुत ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया। एक ऐसी शख्सियत को नमन किया गया जिसने अपनी वृद्धा अवस्था में भी खतरे उठा कर मानवाधिकारों का हनन करने वालों के खिलाफ ज़ोरदार लड़ाई लड़ी। यह सारी लड़ाई छोटी या आसान नहीं थी। जस्टिस बैंस और उनकी टीम ने ही उस आंधी के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत दिखाई जो आतंकवाद से लड़ने के नाम पर हर विरोधी को कुचलती जा रही थी। इस सरे घटनाक्रम को याद करते हुए प्रोफेसर रंजीत सिंह ने सुल्तान बाहू जी की याद दिलाई जिसमें वह कहते हैं--कबर जिहनां दी जीवे हूँ। जस्टिस बैंस की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा या तो मर जाओ या फिर मर कर जीना सीख लो। जस्टिस ने हमारे सामने स्पष्ट चुनाव रख दिया था।
अमेरिका से आई मल्लिका कौर ने बहुत कुछ याद दिलाया
अमेरिका से आई कानून क्षेत्र की बहुत ही अच्छी शिक्षित विशेषज्ञ मल्लिका कौर, पटियाला से आए प्रोफेसर रणजीत सिंह घुमण, गंभीर मुद्दों पर बेबाक चर्चा करने वाले डाक्टर प्यारे लाल गर्ग और गांधीवादी सोच वाले ऋषि नुमा समाजसेवी हिमांशु कुमार और पुलिस ज़्यादतियों की पड़ताल करते समय स्वर्गीय जस्टिस बैंस के निकट सहयोगी रहे मलविंदर सिंह माली ने उस दौर के जो संकेतक से संक्षिप्त विवरण बताए उन्हें सुन कर आज भी रौंगटे खड़े हो जाते रहे। हर वक्ता ने जस्टिस बैंस की बहुत सी बातें याद दिलाईं। एक तरह से जस्टिस बैंस के जीवन की फिल्म ही सभी के ज़ेहन में चलने लगी थी। गुज़रा हुआ वक्त कुछ समय के लिए लौट आया था। यूं महसूस होता था जैसे जस्टिस बैंस हमारे आस-पास ही हैं, यहीं कहीं छुपे बैठे होंगें।
गणतंत्र के भविष्य पर हुई बहुत ही अर्थपूर्ण चर्चा
पीलीभीत से लेकर चिट्टी सिंघपुरा तक के वारदातों की चर्चा हुई। इन सभी मामलों और वारदातों का यह थोड़ा सा ज़िक्र उस विषय को देखते हुए किया गया जिस पर आज का प्रोग्राम रखा गया था। आज का विषय था "गणतंत्र का भविष्य"। गणतंत्र, संविधान और कानून के साथ साथ फेड्रलिज़्म की भावना को दरपेश चुनौतियों पर हुई चर्चा को हाल में मौजूद लोगों ने बहुत ही ध्यान और एकाग्रता से सुना। प्रोग्राम निश्चित समय से भी काफी ज़्यादा देर तक चला लेकिन लोग अंत तक बैठे रहे। इस आयोजन में उस समय के हालात की तस्वीर आँखों के सामने साकार करने वाला लोक संगीत भी शामिल रहा।
गौरतलब है कि आम जनता को बचाने के लिए शुरू किए गए अपने इस मिशन के लिए जस्टिस बैंस को जेल भी जाना पड़ा था। इसी जेल यात्रा के दौरान उन्होंने दो किताबें भी लिखीं जो उस दौर की जानकारी तथ्यों और आंकड़ों के साथ देती हैं। एक पुस्तक है पंजाबी में-जिसका नाम है--"सिखां दी घेराबंदी" दूसरी पुस्तक हिंदी में है जिसका नाम है "राजकीय आतंकवाद और मानवाधिकार" चंडीगढ़ में हुए आयोजन के दौरान बहुत सा साहित्य दर्शकों और श्रोताओं में निशुल्क वितरित भी किया गया।
वक्ताओं ने वहां मौजूद लोगों को भी फिर से याद दिलाया कि जस्टिस अजीत सिंह बैंस पंजाब के कानूनी क्षेत्रों में एक जाना माना नाम रहे। उन्हें पंजाब में पुलिस और उग्रवादी हिंसा के बावजूद भी न्याय और मानवाधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए अक्सर याद किया जाता है। उनके 101 वें जन्मदिन पर यह आयोजन श्री गुरु ग्रंथ साहिब भवन, चंडीगढ़ में हुआ। उनके जीवन का जश्न मानवाधिकारों के नाम से मनाकर न्याय और मानवाधिकारों के लिए उनके जीवन भर के समर्पण को हम सभी पूर्ण आस्था से याद कर रहे हैं।
उनके काम ने कई युवा वकीलों को न्याय के लिए लड़ने और पंजाब में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों को उठाने के लिए प्रेरित किया है। न्यायमूर्ति अजीत सिंह बैंस के पुत्र आरएस बैंस उनकी विरासत को बड़े जोश और उत्साह के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। हम पंजाब राज्य में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए उनके योगदान के लिए इस विशेष दिन पर जस्टिस अजीत सिंह बैंस को श्रद्धांजलि देते हैं। पंजाब के न्यायाधीश और हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़, न्यायमूर्ति अजीत सिंह बैंस और उनका परिवार और अन्य बहुत से संगतरहं इस मौके पर सक्रिय नज़र आए। जानेमाने पत्रकार हमीर सिंह ने भी उस अतीत का बहुत कुछ याद दिलाया और मौजूदा खतरों की बात भी अपनी पारम्परिक बेबाकी से की। किसान नेताओं और कुछ युवा लोगों ने भी अपने बातें रखीं। महिलाएं इस आयोजन बड़ी संख्या में शामिल हुईं।
उनकी तस्वीर सिख अजायबघर अमृतसर में लगाने की मांग का प्रस्ताव पारित
सिख अजायबघर अमृतसर में जस्टिस अजीत सिंह बैंस की तस्वीर लगाने की मांग एस जी पी सी से ज़ोरदार ढंग से की गई। इस आशका प्रस्ताव भी सर्वसम्मत राय से पारित किया गया।