धर्म और राजनीति का पति-पत्नी जैसे सम्बम्ध है: क्षुल्लक श्री प्रज्ञांशसागर जी गुरुदेव
Religion and Politics
Religion and Politics: परम पूज्य श्रमण अनगाराचार्य श्री विनिश्चयसागर जी गुरुदेव के शिष्य परम पूज्य जिनवाणी पुत्र क्षुल्लक श्री प्रज्ञांशसागर जी गुरुदेव ने सिद्धचक्र महामंडल विधान(Siddhachakra Mahamandal Vidhan) के द्वितीय दिन के पावन अवसर पर सम्बोधित करते हुए कहा धर्म और राजनीति का पति-पत्नी जैसे सम्बम्ध है। धर्म पति है, राजनीति पत्नी है। हर पति का यह कर्तव्य होता है, कि वह अपने पत्नी को संरक्षण दे और पत्नी का यह धर्म है कि वह पति के अनुशासन में रहे।
राजनीति पर धर्म अंकुश जरूरी है। धर्म अंकुश के बिना राजनीति मदोन्मत हाथी की तरह उच्छृंखल हो जाती हैं। जब राजनीति में धर्म आता है तब रामायण रची जाती है और जब धर्म में राजनीति आ जाती है। तब-तब महाभारत आ जाती है। इसलिए धर्म राजनीति नहीं होना चाहिए धर्म राजनीति से ऊपर उठकर है धर्म देती की आत्मा का स्वभाव है श्रद्धा समर्पण क्षमा आदि धर्म में विद्यमान है जो कही धर्म नीति में मूलभूत सिद्धान्त है।
अहंकार आध्यात्मिक मदिरा है अहंकार एक ऐसा नशा है जो मदिरा के नशे से भयंकर और खतरनाक है। असाधारण मदिरा की पान करने से मनुष्य मद्य के नशे में धुत हो जाता है पर अहंकार रुपी मदिरा की पान करने से जो नशा होता है उससे मनुष्य धुत नहीं बल्कि धूर्त हो जाता है।
प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रह्मचारी पुष्पेंद्र शास्त्री दिल्ली के निर्देशन में सिद्धचक्र महामंडल विधान में सोलह महार्घों से सिद्धों की पूजा की गई है। जिस में मंगलाष्टक, दिग्बन्धन, सकलीकरण, अभिषेक-शान्तिधारा का सौभाग्य सौधर्म इन्द्र धर्म बहादुर जैन सपरिवार को प्राप्त हुआ।
नवदेवता पूजा, मूलनायक श्री महावीर पूजा, नन्दीश्वर पूजा, सिद्ध भक्ति, सिद्धचक्र महामंडल विधान आदि क्रियाएं सानंद सम्पन्न हुई। नवरत्न जैन, संत कुमार जैन, मेमलता जैन कुवेर मनीष जैन महायज्ञ नायक त्रिलोक जैन अंकुर जैन आदि गणमान्य लोगों ने इन्द्र बनकर धर्म लाभ प्राप्त किया है।
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