Reliance-Future डील हो गई खत्म, फ्यूचर रिटेल के सिक्योर्ड क्रेडिटर्स ने खारिज किया सौदा
Reliance-Future डील हो गई खत्म, फ्यूचर रिटेल के सिक्योर्ड क्रेडिटर्स ने खारिज किया सौदा
फ्यूचर ग्रुप (Future Group) ने रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के साथ हुई डील पर शेयर होल्डर्स और क्रेडिटर्स की मंजूरी के लिए बैठक की थी. अब खबर है कि फ्यूचर रिटेल (Future Retail) के क्रेडिटर्स ने 24,713 करोड़ रुपये की इस डील को रिजेक्ट कर दिया है.
69.29% ने खारिज की डील
फ्यूचर रिटेल ने शुक्रवार को शेयर बाजार को जानकारी दी कि उसने रिलायंस के साथ हुई डील पर शेयरहोल्डर्स और क्रेडिटर्स की मंजूरी लेने की वोटिंग प्रक्रिया पूरी कर ली है. इस डील के पक्ष में कंपनी के 30.71% सिक्योर्ड क्रेडिटर्स ने वोट किया है. जबकि 69.29% क्रेडिटर्स ने इसका विरोध किया है.
कंपनी के 85.94% सिक्योर्ड शेयरहोल्डर्स ने इसके पक्ष में वोट किया, जबकि 14.06% ने इसके विरोध में मत दिया है. इतना ही नहीं कंपनी के अनसिक्योर्ड क्रेडिटर्स में 78.22% इसके पक्ष में तो 21.78% इसके विपक्ष में हैं.
नियम के मुताबिक फ्यूचर ग्रुप अगर इस डील को पूरा करना चाहता है तो उसे बैठक में मौजूद सभी क्रेडिटर्स में से 51% के वोट पक्ष में चाहिए होंगे. साथ ही इन 51% क्रेडिटर्स द्वारा कंपनी को दिए गए कर्ज का मूल्य कुल कर्ज के 75% के बराबर होना चाहिए. कंपनी के कुल कर्ज में 80% हिस्सेदारी स्थानीय बैंकों की है.
Reliance के होंगे Big Bazaar?
वोटिंग प्रोसेस खत्म होने के बाद Future-Reliance Deal पर संकट के बादल दिख रहे हैं. क्योंकि फ्यूचर रिटेल इस मामले में शेयर होल्डर्स और अनसिक्योर्ड क्रेडिटर्स का बहुमत हासिल करने के बावजूद 75% सिक्योर्ड क्रेडिटर्स की मंजूरी हासिल नहीं कर सकी है. जबकि समूह की एक और कंपनी फ्यूचर लाइफस्टाइल फैशंस लिमिटेड (FLFL) के 82.75% सिक्योर्ड क्रेडिटर्स ने डील के विरोध में मतदान किया है.
किसी कंपनी के लिए सिक्योर्ड क्रेडिटर्स काफी अहम होते हैं, क्योंकि कंपनी के एसेट बिकने की नौबत आने पर पेमेंट के मामले में उन्हें अनसिक्योर्ड क्रेडिटर्स के ऊपर वरीयता मिलती है.
अब दिवाला प्रक्रिया से होगा फैसला?
इस तरह डील के समर्थन में वोट नहीं पड़ने के बाद Future Retail को NCLT में दिवाला प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है. पिछले हफ्ते ही कंपनी को लोन देने वाले सरकारी बैंक Bank of India ने NCLT में कंपनी के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने की याचिका दायर की थी.
Future-Reliance Deal का Amazon ने विरोध किया था. इसे लेकर फ्यूचर समूह और एमेजॉन के बीच लंबे समय तक कानूनी वाद-विवाद भी चला. लेकिन हाल में रिलायंस ने कंपनी के अलग-अलग स्टोर्स का टेकओवर करना शुरू कर दिया.
Amazon ने इन बैठकों को गैर-कानूनी करार दिया था. Amazon ने किशोर बियानी और अन्य प्रमोटर्स को भेजे गए 16-पेज के एक पत्र में कहा कि इस तरह की बैठकें गैर-कानूनी हैं. कंपनी ने कहा है कि इन मीटिंग्स का आयोजन Amazon द्वारा 2019 में किए गए निवेश की शर्तों और रिलायंस को रिटेल एसेट्स की बिक्री को लेकर सिंगापुर आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के फैसले का उल्लंघन है. हालांकि इसके जवाब में फ्यूचर रिटेल (FRL) ने कहा कि उसने ये बैठकें नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के 28 फरवरी 2022 के आदेशानुसार की हैं.