Record breaking business on Rakhi across the country

देश भर में राखी पर रिकॉर्ड तोड़ व्यापार

Record breaking business on Rakhi across the country

Record breaking business on Rakhi across the country

Record breaking business on Rakhi across the country- नयी दिल्लीI रक्षाबंधन के पावन त्यौहार पर सोमवार को देश भर में व्यापारियों ने भी राखी का त्यौहार बड़े उत्साह से मनाया। इस वर्ष राखी के पर्व की बिक्री पिछले सालों के मुक़ाबले रिकॉर्ड स्तर पर रही जिससे त्यौहार मनाने की ऊर्जा दुगनी हो गई।

पिछले कई वर्षों की तरह इस वर्ष भी चीन से न तो राखियां ख़रीदी गई अथवा राखियों का सामान ही आयात नहीं हुआ। देश भर में लोगों ने जमकर भारतीय राखियाँ ही ख़रीदी।

कनफ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) के अनुसार देश भर के बाज़ारों में उपभोक्ता राखियों की खरीदी के लिए उमड़े जिसके चलते पिछले वर्षों के राखी बिक्री के सभी रिकॉर्ड टूटे और लगभग 12 हजार करोड़ रुपये का राखियों के व्यापार का आंकलन किया गया है ! इसके साथ ही उपहार देने के लिए मिठाई, गिफ्ट आइटम्स, कपडे. एफएमसीजी के सामान आदि का कारोबार भी लगभग पांच हजार करोड़ रुपये का आँका गया!

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री तथा चाँदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल को प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय संगठन की बहनों ने विशेष रूप से उनके निवास पर जाकर राखी बांधी।

श्री खंडेलवाल एवं कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया ने बताया की इस वर्ष अनेक प्रकार की राखियों के अलावा विशेष रूप से ‘तिरंगा राखी तथा वसुधैव कुटुंबकम’ राखियां विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं, इसके अलावा देश के विभिन्न शहरों के मशहूर उत्पादों को लेकर भी अनेक प्रकार की राखियां बनाई गई जिनमें मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ की कोसा राखी, कलकत्ता की जूट राखी, मुंबई की रेशम राखी, नागपुर में बनी खादी राखी, जयपुर में सांगानेरी कला राखी, पुणे में बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना में ऊनी राखी,झारखण्ड में आदिवासी वस्तुओं से बनी बांस की राखी,असम में चाय पत्ती राखी, केरल में खजूर राखी, कानपुर में मोती राखी, वाराणसी में बनारसी कपड़ों की राखी, बिहार की मधुबनी और मैथिली कला राखी, पांडिचेरी में सॉफ्ट पत्थर की राखी, बैंगलोर में फूल राखी आदि शामिल हैं!

सर्वश्री भरतिया एवं खंडेलवाल ने बताया की वर्ष 2018 में तीन हजार करोड़ रुपये के राखी व्यापार से शुरू होकर केवल छह वर्षों में यह आंकड़ा 12 हजार करोड़ रुपये तक पहुँच गया है। इसमें से केवल सात प्रतिशत व्यापार ही ऑनलाइन के जरिये हुआ है जबकि बाकी सारा व्यापार देश के सभी राज्यों के बाज़ारों में जा कर उपभोक्ताओं ने स्वयं ख़रीदा है ! राखियों के साथ भावनात्मक सम्बन्ध होने के कारण लोग स्वयं देख और परख कर राखियां खरीदते हैं और यही वजह है की इस वर्ष राखियों का व्यापार अच्छा हुआ ! इससे यह स्पष्ट है कि लोग अब त्यौहारों को दोबारा से पूरे उल्लास और उमंग के साथ मना रहे हैं और विशेष रूप से भारत में बने सामान को ही खरीदने में रूचि रखते हैं !