Sunil Dutt Death Anniversary : रेडियो जॉकी का करते थे काम, देखें सुनील दत्त की 18वीं पुण्यतिथि पर उनके जीवन के कुछ अनसुने किस्से
- By Sheena --
- Thursday, 25 May, 2023
Read Interesting Facts About Sunil Dutt On His 18th Death Anniversary
Sunil Dutt Death Anniversary : सुनील दत्त ने बॉलीवुड और राजनीति दोनों ही क्षेत्रों में अपनी खास पहचान बनाई है। सुनील दत्त के जीवन में काफी संघर्ष रहा है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी मेहनत और लगन से सफलता के झंडे लहराते गए। एक अभिनेता के रूप में, उन्होंने अपने प्रभावशाली प्रदर्शन और यादगार किरदारों के माध्यम से एक अमिट छाप छोड़ी। इस लेख में, हम उन प्रतिष्ठित फिल्मों के बारे में बात करेंगे, जिन्होंने सुनील दत्त की प्रतिभा का प्रदर्शन किया और उन्हें बॉलीवुड में एक महान व्यक्ति के रूप में स्थापित किया। आयी जानते है उनके जीवन के अनसुने किस्से।
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रेडियो जॉकी का करते थे काम
सुनील दत्त उस वक्त रेडियो सेयलॉन में हिंदी के सबसे फेमस अनाउंसर के पद पर तैनात थे। हालांकि उनके अंदर हमेशा से एक्टर बनने का सपना पनप रहा था। सालों तक आरजे की नौकरी करने के बाद सुनील दत्त की किस्मत तब चमकी जब आजाद भारत के 8 साल बाद 1955 में उन्हें पहली फिल्म मिली।फिल्म का नाम था रेलवे प्लेटफॉर्म।
दिलीप कुमार ने दिया मौका
सुनील दत्त ने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद रेडियो में 25 रुपए महीने की तनख्वाह पर रेडियो जॉकी का काम शुरू किया और फिर वह इस दौरान फिल्मी सितारों के इंटरव्यू लेते थे। आपको बतादें कि दत्त साहब पहले ही ये नरगिस, देव आनंद जैसे बड़े सितारों का इंटरव्यू ले चुके थे। एक बार इन्हें दिलीप कुमार का इंटरव्यू लेने का मौका मिला। शिकस्त फिल्म के सेट पर पहुंचे तो देखा दिलीप साहब तो काम में बिजी हैं। सुनील दत्त वहीं बैठकर उनका इंतजार करने लगे। इतने ही पास से गुजर रहे डायरेक्टर रमेश सहगल ने जब उनको देखा तो लुक से इंप्रेस होकर उन्होंने वहीं स्क्रीन टेस्ट लेकर फिल्म रेल्वे प्लेटफॉर्म में काम दे दिया।
पंजाब दौरे पर 78 दिनों तक चले पैदल
साल 1987 में पंजाब में जब खालिस्तानी उग्रवादी आंदोलन चरम पर था तो सद्भाव व भाईचारे के लिए सुनील दत्त ने मुंबई से अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर तक के लिए महाशांति पदयात्रा निकाली थी। 78 दिनों की इस पैदल यात्रा में सुनील दत्त के साथ 80 से ज्यादा बड़े नेता भी बीच-बीच में शामिल होते थे। रास्ते में जगह-जगह लोग सुनील दत्त की एक झलक पाने में उमड़ रहे थे। 2000 किमी की पूरी यात्रा के दौरान 500 से ज्यादा सभाएं की थी।
1994 के मुंबई दंगों के दौरान उनका सेक्युलर टेक
दत्त न केवल पंजाब बल्कि मुंबई में भी शांति और सद्भाव लाने में सहायक थे। बाबरी मस्जिद के विध्वंस और मुंबई में सिलसिलेवार धमाकों के बाद, वह एकमात्र राजनेता थे जो 'धर्मनिरपेक्ष' थे। उन्होंने हिंदू और मुस्लिम दोनों परिवारों का दौरा किया और राहत प्रदान की। जबकि अधिकांश लोगों ने उनके मानवीय कार्य की सराहना की, समाज के कुछ वर्ग खुश नहीं थे और जल्द ही उन्हें और उनके परिवार को जान से मारने की धमकियाँ मिलने लगीं। लेकिन इसने उन्हें पीड़ितों के परिवार की मदद करने से नहीं रोका।
बेटे संजय दत्त की रिहाई के लिए भी हुए परेशान
पंजाब में शांति और सद्भावना के लिए पैदल यात्रा करने वाले सुनील दत्त को जब पता चला कि मुंबई हमला में उनके बेटे व अभिनेता संजय दत्त का नाम भी आ रहा है तो उन्हें काफी धक्का लगा था। संजय दत्त को AK-56 रखने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद सुनील दत्त के राजनीतिक करियर को बड़ा झटका लगा था।
नरगिस और सुनील दत्त की पहली मुलाकात
नरगिस और सुनील दत्त की पहली मुलाकात किसी फैन मूमेंट की तरह थी। जहां नरगिस के फैन सुनील दत्त को अपनी कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ऑल इंडिया रेडियो में जॉब मिली। इसी काम के सिलसिले में उन्हें नरगिस का इंटरव्यू करने का मौका मिला। जिसके लिए वह फिल्म 'दो बीघा' के सेट पर मिले। जावेद अख्तर ने एक बार दोनों के रिश्ते पर बात करते हुए बताया था कि इस मुलाकात में सुनील दत्त नरगिस को देखकर इतने मोहित हो गए थे वह कुछ देर तक बिना पलक झपकाए उन्हें देखते रहे थे। उन्होंने मुश्किल से खुद को संभाला था और फिर इंटरव्यू किया था।
जब फिल्म में साथ किया काम
यह इंटरव्यू वाली मुलाकात दोनों के लिए कुछ खास नहीं थी। लेकिन दोनों के बीच दोस्ती की शुरुआत तब हुई जब साल 1957 में रिलीज हुई फिल्म 'मदर इंडिया' में दोनों ने काम किया। फिल्म में नरगिस ने सुनील दत्त और राजेंद्र कुमार की मां का रोल निभाया था। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान दोनों कलाकारों के बीच ठीक बातचीत होने लगी। सुनील दत्त तो पहले से ही नरगिस के फैन थे लेकिन उनकी सहजता ने सुनील के दिल पर कब्जा कर लिया था।
नरगिस के लिए आग में कूदे थे सुनील
फिल्म 'मदर इंडिया' की शूटिंग के दौरान सेट पर आग लग गई थी। जब सुनील दत्त को पता लगा कि नरगिस आग में फंसी हुई हैं तो वह किसी फिल्मी हीरो की तरह ही आग में जा कूदे और नरगिस को सही सलामत बाहर निकालकर लाए। सुनील की इस जांबाजी ने जहां पूरी इंडस्ट्री में उनकी वाह-वाह करा दी, वहीं नरगिस भी इस जांबाज नौजवान को अपना दिल दे बैठीं।
सुनील दत्त के यादगार फिल्में
6 जून, 1929 को पाकिस्तानी पंजाब में जन्में सुनील दत्त बहुमुखी अभिनय कौशल के लिए जाने जाते थे। सुनील दत्त ने 1950 के दशक के अंत में अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी और "मदर इंडिया," "वक्त," "पड़ोसन," और "मेरा साया" जैसी फिल्मों में यादगार काम किया।