बैंक के कर्जदारों को राहत; RBI ने इस बार नहीं किया ये काम, MPC बैठक के बाद गवर्नर का ऐलान, महंगाई भी होगी कम!
RBI MPC Meeting 2023 Latest Updates
RBI MPC Meeting 2023 Latest Updates: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद बैंक के कर्जदारों को बड़ी राहत दी है। दरअसल, नए वित्त वर्ष की इस पहली बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया गया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने बैठक में हुए निर्णयों और समीक्षाओं की जानकारी दी है।
गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि, मौद्रिक नीति की बैठक (RBI Monetary Policy Committee) में रेपो रेट नहीं बदला गया है। रेपो रेट अपरिवर्तित रूप से 6.50% पर कायम रहेगा। इसके साथ ही महंगाई के अनुमान में भी कटौती की गई है। दास ने बताया कि, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मुद्रास्फीति 5.2% अनुमानित है। जबकि पहले यह अनुमान 5.3 फीसदी पर था। यानि महंगाई से कुछ राहत मिल सकती है।
GDP Growth को लेकर ये है अनुमान
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि, अप्रैल-जून 2023 में जीडीपी की 7.8 फीसदी, जुलाई-सितंबर 2023 में 6.2 फीसदी की ग्रोथ का अनुमान कायम रखा है। जबकि अक्टूबर-दिसंबर 2023 में जीडीपी अब 6.0 फीसदी की बजाय 6.1 फीसदी और जनवरी-मार्च 2024 में 5.8 फीसदी की बजाय 5.9 फीसदी की दर से बढ़ सकती है।
रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं
हालांकि, रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। आरबीआई द्वारा रिवर्स रेपो रेट में अभी कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है। रिवर्स रेपो रेट को उसके पुराने स्तर 3.35 फीसदी पर बरकरार रखा गया है।
मई 2022 से 6 बार बढ़ चुका है Repo Rate
बतादें कि, रेपो रेट में मई 2022 से लगातार बढ़ोतरी की जा रही है। इससे पहले फरवरी 2023 में आरबीआई ने रेपो रेट में .25 अंक की बढ़ोतरी (Repo Rate Hike) की थी। उस दौरान गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना था कि, महंगाई का दवाब कम करने के लिए रेपो रेट बढ़ाया जा रहा है।
मालूम रहे कि, मई 2022 से पहले कोरोना महामारी के दौरान रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया था। इससे पहले आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती भी की थी. साथ ही कई बैठकों में लगातार रेपो रेट को उसी पैमाने पर स्थिर रखा था।
रेपो रेट बढ़ने से क्या असर होता है?
आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढाए जाने से लोन लेने वालों पर सीधा असर पड़ता है। रेपो रेट बढ़ने से बैंक से मिलने वाला लोन (कार लोन, होम लोन सहित अन्य लोन) महंगा हो जाता है। लोन की EMI ज्यादा ब्याज से चुकानी होती है। हालांकि रेपो रेट में बढ़ोतरी का उन ग्राहकों को फायदा होता है जिन्होंने एफडी (FD) करा रखी है। उनकी एफडी पर ब्याज बढ़ जाता है।
क्या होता है रेपो रेट?
दरअसल, आरबीआई जब बैंकों को कर्ज देता है तो रेपो रेट (RBI Repo Rate) के हिसाब से उस कर्ज पर ब्याज लेता है। वहीं जब बैंकों को आरबीआई से कर्ज महंगा पड़ता है तो वह आगे ग्राहकों को भी कर्ज महंगा देती हैं। इसलिए रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाला लोन सस्ता हो जाता है और अगर बढ़ोत्तरी हो जाती है तो आपका लोन महंगा हो जाता है।
रिवर्स रेपो रेट क्या होता है?
जब बैंकें अपना पैसा आरबीआई में जमा करती हैं तो आरबीआई बैंकों को रिवर्स रेपो रेट (RBI Reverse Repo Rate) के हिसाब से उस पैसे पर ब्याज देता है। बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दें।