श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री बने रानिल विक्रमसिंघे, संकट से जूझ रहे द्विपीय देश को संभालने की है बड़ी जिम्मेदारी
श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री बने रानिल विक्रमसिंघे, संकट से जूझ रहे द्विपीय देश को संभालने की है बड़ी
आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच यूनाइटेड नेशनल पार्टी (United National Party) के नेता रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) आज श्रीलंका (Sri Lanka) के नए प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. आज शाम 6.30 बजे रानिल विक्रमसिंघे प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. बता दें कि रानिल विक्रमसिंघे पहले भी श्रीलंका के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. श्रीलंका की 225 सदस्यीय संसद में रानिल विक्रमसिंघे के पास केवल एक सीट है. यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के 73 वर्षीय नेता ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से बुधवार को बात की थी, जिसके बाद ऐसे कयास लगाए जाने लगे थे कि रानिल एक बार फिर श्रीलंका के प्रधानमंत्री बन सकते हैं.
श्रीलंका के चार बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को अक्टूबर 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था. हालांकि दो महीने बाद ही सिरीसेना ने उन्हें फिर से प्रधानमंत्री बना दिया था. कोलंबो पेज अखबार के मुताबिक सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) ने, विपक्षी समगी जन बालावेगाया (एसजेबी) के एक धड़े ने और अन्य कई दलों ने संसद में विक्रमसिंघे के बहुमत साबित करने के लिए अपना समर्थन जताया है.
यूएनपी के अध्यक्ष वी अबेयवारदेना ने विश्वास जताया कि विक्रमसिंघे को नये प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाए जाने के बाद वह बहुमत हासिल कर लेंगे. देश की सबसे पुरानी पार्टी यूएनपी ने 2020 में पिछले संसदीय चुनाव में केवल एक सीट जीती थी. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने बुधवार को देर रात राष्ट्र के नाम अपने टेलीविजन संदेश में पद छोड़ने से इनकार किया लेकिन इस सप्ताह एक नए प्रधानमंत्री और युवा मंत्रिमंडल के गठन का वादा किया था.
वकालत की पढ़ाई के बाद की राजनीति में रखा कदम
रानिल विक्रमसिंघे का जन्म 24 मार्च, 1949 को श्रीलंका के कोलंबो में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था. रानिल के पिता एस्मॉन्ड विक्रमसिंघे पेशे से वकील थे. रानिल ने भी पढ़ाई करने के बाद वकालत को अपना पेशा चुना. रानिल विक्रमसिंघे ने श्रीलंका की सीलोन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद 70 के दशक में इनकी एंट्री राजनीति में हुई. यहां की यूनाइटेड नेशनल पार्टी के साथ राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत की. 1977 में लोकसभा का चुनाव लड़े और जीते भी. इन्हें विदेश मंत्रालय का डिप्टी मिनिस्टर बनाया गया. इसके बाद युवा और रोजगार मंत्रालय समेत कई मंत्रालय संभालने का मौका मिला.