More than 300 different types of Ramayan who wrote the first one

300 से भी अधिक तरह की है रामायण, जानिए किसने लिखी थी सबसे पहली रामायण | रामायण किसने लिखी और कब लिखी

Ramayan

रामायण पर सियासत और दंगा करने वाले सच्चे राम भक्त हो ही नहीं सकते | ramayan kisne likhi thi 

 

रामायण पर सियासत और दंगा करने वाले सच्चे राम भक्त हो ही नहीं सकते 

चंडीगढ़ : 7 जुलाई, 2023 : (कार्तिका सिंह/अर्थ प्रकाश):: रामायण को लेकर आज भी लोग विभिन्न मतों में बंटे हुए हैं। कुछ लोग इसे इतिहास से सबंधित ग्रंथ मानते हैं और कुछ लोग इसे मिथिहास मानते हुए एक काल्पनिक कहानी मानते हैं। साहित्य में रूचि रखने वाले बहुत से लोग कुछ, और अन्य कुछ लोग इसे महान महाकाव्य मानते हैं। लेकिन जब कुछ दशक पहले इसका प्रसारण दूरदर्शन से हुआ, तो इसे देखने वालों ने सब रिकॉर्ड दिए। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और अन्य जनतक जगहों पर जहां भी टीवी लगा होता तो लोग भीड़ बना कर इसे देखते। आतंक का दौर था। कई जगहों पर आतंकी संगठनों ने बम धमाके भी किए इसके बावजूद लोगों की भीड़ कभी कम न हुई। लोगों की अनमोल ज़िंदगियां बचाने के लिए  सरकार ने प्रशासन के ज़रिए आम जनतक स्थानों पर ऐसी भीड़ जुटने पर पाबंदी भी लगा दी। इस पाबंदी ने रामायण का प्रेम और तेज़ी से फैलाया। घर घर रामायण पहुँच गई। हर दिल तक रामायण पहुंच गई। इसे देखते हुए रामायण के इतिहास की चर्चा भी ज़रूरी लगती है। 

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महाबली हनुमान ने लिखी थी पहली रामायण 

इस संबंध में जानकारी जुटाएं तो पता चलता है कि हिंदू धर्म के ग्रंथ रामायण के बारे में तो सब जानते ही हैं और ये भी जानते ही होंगे कि रामायण किसने लिखी थी। लेकिन आप में से शायद ही ये बात कोई जानता होगा कि भगवान राम को समर्पित एक रामायण स्वयं महाबली हनुमान जी ने लिखी थी, जिसे “हनुमद रामायण” के नाम से जाना जाता है। जी हां, ये बात सत्य है, लेकिन इससे बड़ा सत्य और भी है। आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि खुद हनुमान जी ने इस रामयण को समुद्र में फेक दिया था। आखिर कौन सी वजह से उन्होंने ऐसा किया होगा। तो आइए जानते हैं इसके पीछे की कथा के बारे में भी थोड़ी सी जानकारी। 

सूत्रों की सुनें देखें तो शास्त्रों में बताया गया है कि सबसे पहले रामायण हनुमान जी ने लिखी थी। कहते हैं कि ये रामायण एक पहाड़ पर लिखी थी अपने नाखुनो से ये कथा बाल्मीकि जी के रामायण लिखने से भी पहले लिखी गई है और इसे ही “हनुमद रामायण” का नाम मिला। कहते हैं कि जब राम जी ने लंका पर विजय प्राप्त की और वापस अयोध्या जाकर अपना राज पाठ संभाल रहे थे, इसी दौरान हनुमान जी ने रामायण लिखी। उसे सम्पूर्ण भी किया। यह बहुत ही अदभुत थी क्यूंकि इसे एक चश्मदीद ने लिखा था। उस महान पात्र ने जी स्वयं इस में सक्रिय रहा। आप इसे जंगनामा और यात्रा वृतांत भी कह सकते हैं। पहले पहल वही लोग जंगनामा लिखा करते थे जो युद्ध में इतिहास के खोजी की तरह साथ रहा करते थे और निष्पक्ष हो कर सब लिखते थे। अगर विरोधी ने अच्छा युद्ध कौशल दिखाया होता तो उसकी प्रशंसा भी की जाती थी। 

lord hanuman wrote hanumad ramayan but threw it in the sea know the reason  behind it | Hanuman wrote Ramayan: वाल्मीकि से पहले हनुमान जी ने रामायण  लिखी और समुद्र में फेंक

आखिर हनुमान जी ने हनुमद रामायण को क्यों फेंका समुद्र में?

इसी बीच और घटनाक्रम भी चलते रहे। बहुत समय गुजर जाने के बाद वाल्मीकि जी ने जो रामायण लिखी और उसकी पुष्टि करवाने के लिए वह भगवान शिव के पास जाते हैं और वहां हनुमान जी द्वारा लिखी हनुमद रामायण का पता चलता है। इस के बार में पता चला तो उन्हें अपनी लिखी रामायण बहुत छोटी लगने लगी और वह बड़े उदास हो गए। ऐसा स्वभाविक भी था। आजकल भी साहित्य सभाओं में शामिल होने वाले लेखक और शायर एक दुसरे की कविता सुनते हैं और उसका मूल्यांकन भी करते हैं। पुस्तक रिलीज़ में कुछ ऐसा ही आभास होता है। उनकी उदासी के बारे में जब हनुमान जी को पता चला तो हनुमान जी के दिल का बड़प्पन देखने वाला था। उनकी  देखने वाली थी। उन्होंने ने कहा कि वह तो खुद निस्वार्थ होकर अपने राम की भक्ति के मार्ग पर चलने वाले है और आज से आपकी रामायण ही जग में जानी जाएगी। इतना कहकर वो “हनुमद रामयण” को उठाया और बहुत ही स्नेह और सम्मान के साथ सागर में डाल दिया। सब हैरान रह गए। बहुत बड़ा बलिदान भी था यह। 

Hanuman wrote the first Ramayana but he dumped it in ocean due to this  reason | NewsTrack English 1

प्रभु की भक्ति स्वयं से भी ऊपर है, ये शिक्षा मिलती है राम भक्त हनुमान जी से 

स्वयं वाल्मीकि जी भी हैरान थे। वह बहुत प्रभावित हुए। हनुमान जी के इतने बड़े त्याग को देखकर वाल्मीकि जी ने कहा कि आपसे बड़ा कोई राम भक्त नहीं है और न ही आपसे बड़ा कोई दानी। आप तो महान से भी अत्यंत ऊपर हो आपके गुणगान के लिए मुझे कलयुग में एक जन्म और लेना पड़ेगा। इस दुसरे जन्म की बात भी आगे चल कर इसी घटनाक्रम से जुड़ती है। इससे रामायण की महिमा और भी बढ़ जाती है। 

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गोस्वामी तुलसीदास जी को ही माना जाता है, वाल्मीकि जी का दूसरा जन्म 

इस दुसरे जन्म में भी उन्होंने रामायण रचना की। ऐसा माना जाता है कि रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी को ही वाल्मीकि जी का दूसरा जन्म माना जाता है। हनुमान जी की मदद से ही उन्होंने इस महाकाव्य के कार्य को पूरा किया और आज के समय में भी रामचरितमानस में वर्णित सुन्दरकाण्ड और हनुमान चालीसा लोगों की जुबान पर है। 

रामायण का सन्देश, इसकी रचना से है कहीं अधिक महत्वपूर्ण 

किसने लिखी रामायण ? यह सवाल जितना महत्वपूर्ण है उससे अधिक महत्वपूर्ण है रामायण का संदेश जो आज भी प्रसंगिक है और कदम कदम पर हमें मार्गदर्शन देता है। इसके दिव्य होने की इस बात से भी पुष्टि होती है कि इसकी रचना भी बहुत दिव्य रही। ऐसी मान्यता है सर्वप्रथम श्रीराम की कथा भगवान शंकर ने देवी पार्वती को सुनाई थी। उस कथा को एक कौवे ने भी सुन लिया। उसी कौवे का पुनर्जन्म कागभुशुण्डि के रूप में हुआ। काकभुशुण्डि को पूर्व जन्म में भगवान शंकर के मुख से सुनी वह रामकथा पूरी की पूरी याद रही। Lord Shiva Angry.mahadev.dumru, lord shiva angry, mahadev, lord, shiva, god,  HD phone wallpaper | Peakpx

उन्होंने यह कथा अपने शिष्यों को सुनाई। इस प्रकार रामकथा का प्रचार-प्रसार हुआ। भगवान शंकर के मुख से निकली श्रीराम की यह पवित्र कथा 'अध्यात्म रामायण' के नाम से विख्यात है। इसकी भी अलग से बहुत मान्यता है। इसका अलग से बहुत महत्व है। 

किस रामायण को मिला मूल रामायण का दर्जा 

रामायण में श्रीराम कथा का उल्लेख बहुत रसपूर्ण है। बहुत ही दिव्य है। इस तरह समय समय पर कई रामायण लिखीं गईं। इन सभी रामायणों में श्रीराम कथा में कुछ न कुछ फेरबदल किया गया। इन तमाम पवित्र रामायण ग्रंथों में श्रीराम के बारे में ऐसे प्रसंग मिलते हैं जो मूल वाल्मीकि रामायण में नहीं है। इसलिए महर्षि वाल्मीकि रामायण को ही मूल रामायण माना जाता है। वाल्मीकि रामायण और अन्य रामायण में जो अंतर देखने को मिलता है वह यह है कि वाल्मीकि रामायण को तथ्यों और घटनाओं के आधार पर लिखा गया था, जबकि अन्य रामायण को जनश्रुति के आधार पर लिखा गया।

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महात्मा बुद्ध से भी जुड़ा हुआ है रामायण सम्बन्ध

इसका सम्बन्ध महात्मा बुद्ध जी से भी जुड़ता है। उदाहरण के लिए बुद्ध ने अपने पूर्व जन्मों का वृत्तांत कहते हुए अपने शिष्यों को रामकथा सुनाई थी। बुद्ध के बाद गोस्वामी तुलसीदास रामकथा को श्रीरामचरितमानस के नाम से अवधी में लिखा। ठीक इसी तरह से जनश्रुतियों के आधार पर हर देश ने अपनी रामायण लिखी गई। वहां के लेखन में थोड़ा बहुत अंतर् आना स्वाभाविक भी था। 

कितनी भाषाओं में लिखी जा चुकी है रामायण 

रामायण अब तक अन्नामी, बाली, बांग्ला, कम्बोडियाई, चीनी, गुजराती, जावाई, कन्नड़, कश्मीरी, खोटानी, लाओसी, मलेशियाई, मराठी, ओड़िया, प्राकृत, संस्कृत, संथाली, सिंहली, तमिल, तेलुगु, थाई, तिब्बती, कावी आदि भाषाओं में लिखी जा चुकी है।

 

Kanhaiya Kumar in a fresh spot over

युवा नेता कंन्हैया कुमार ने बताया कि कम से कम 300 तरह की रामायण है मौजूद 

जब आज के जानेमाने युवा नेता जो पहले वाम के साथ थे और आजकल कांग्रेस के साथ हैं अर्थात कन्हैया कुमार, वह भी इस संबंद में पूरा ज्ञान रखते हैं। उन्होंने इसकी चर्चा करते हुए लुधियाना में एक बार मुझे अर्थात कार्तिका सिंह को एक भेंट वार्ता के दौरान बताया था, कि रामायण कम से कम भी 300 से अधिक तरह की है। ज़रूरत उस पर झगड़ा करने की नहीं, बल्कि उसके संदेश को समझ कर जन-जन तक पहुंचाने की है। रामायण पर सियासत और दंगा करने वाले सच्चे राम भक्त हो ही नहीं सकते।

 

Shree Ram Sharnam – Homeअब बात करते हैं, श्री राम शरणम् की संगीतक रामायण के बारे में 

आखिर में एक छोटी सी बात श्री राम शरणम की भी। गोहाना और लुधियाना में श्री राम शरणम अमृतवाणी सुनने के लिए लोग बहुत बड़ी संख्या में पहुँचते हैं। बहुत ही मधुर संकीर्तन है। एक एक शब्द में संगीत की गेहराईआं हैं। आप इसे संगीतक रामायण भी कह सकते हैं। उनके विचार भी हम जल्द ही किसी अलग पोस्ट में आपके सामने रखेंगे। इस अमृतवाणी का अखंड संकीर्तन सब गम  भुला देता है। सुनते सुनते ही दुःख काटने लगते हैं और एक अलौकिक सा आनंद बरसाने लगता है। इस अमृतवाणी की रचना स्वामी सत्यानंद जी ने की थी। इसका गायन भी आश्रम की साध्वियों ने बहुत श्रद्धा से किया है। पानीपत, गोहाना और लुधियाना में लोग  आयोजन में बहुत श्रद्धा और आस्था से आते हैं।