हिसार में रेलवे ट्रैक उखाड़ा, किसने ली जिम्मेदारी देखें पूरी खबर
Railway track uprooted in Hisar, who took responsibility, see full news
हिसार। हिसार के बरवाला स्थित खेदड़ थर्मल पावर प्लांट के पास अज्ञात लोगों ने रेलवे लाइन उखाड़ दी। इस लाइन से रेलवे ट्रेन कोयला लेकर खेदड़ स्थित राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट जाती है। रेल पटरी उखाड़े जाने की सूचना मिलने पर पुलिस-प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे।
रेल पटरी उखाडऩे की जिम्मेदारी खालिस्तान समर्थक प्रतिबंधित संगठन सिख्स फार जस्टिस (एसएफजे) ने ली है। एसएफजे प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू ने इससे जुड़ा एक वीडियो जारी किया, जिस पर 14 जुलाई 2022 की तारीख है। फिलहाल रेलवे ट्रैक की मरम्मत का काम हो गया है। शुक्रवार रात 7 बजे और शनिवार सुबह साढ़े 4 बजे रेलवे की गाड़ी कोयला लेकर खेदड़ स्थित राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट गई। सुबह 4 बजे के बाद भी एक गाड़ी गई। दिन की रोशनी होने पर इस लाइन की पटरी के 64 क्लीप निकले हुए मिले। यह क्लीप रेलवे पटरियों के पास ही पड़े थे।
रेल पटरियां उखाडऩे संबंधी एसएफजे का वीडियो सोशल मीडिया पर जारी होने के बाद थर्मल प्रबंधन को इसका पता चला। इसके बाद पूरी रेल लाइन को चेक किया गया। बता दें कि खेदड़ थर्मल प्लांट की राख को लेकर आसपास के गांवों के लोगों और हिसार जिला प्रशासन में दो दिन पहले ही समझौता हुआ है।
एसएफजे नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू ने वीडियो में रेल पटरी उखाड़े जाने की जिम्मेदारी ली। पन्नू ने कहा कि 15 अगस्त 2022 को पूरे देश को अंधेरे में धकेल दिया जाएगा। देश के सभी थर्मल पावर प्लांट में कोयले की सप्लाई बाधित कर दी जाएगी। यह तो शुरूआत है। अब देश के सभी थर्मल पावर प्लांट की कोयला सप्लाई बाधित की जाएगी। एसएफजे किसी हिंसा की कार्रवाई में विश्वास नहीं करता।
पन्नू ने जनवरी 2023 से खालिस्तान रेफरेंडम शुरू करने का दावा भी किया। उसके वीडियो में रेल लाइन के पास खालिस्तान का झंडा लहराता दिखाई दे रहा है। साथ ही थर्मल प्लांट की दीवार पर खालिस्तान जिंदाबाद भी लिखा हुआ दिख रहा है। हालांकि पुलिस-प्रशासन की जांच में थर्मल पावर प्लांट की दीवार पर कहीं भी ऐसा लिखा हुआ नहीं मिला।
राख की मांग को लेकर ग्रामीणों ने खेदड़ पावर प्लांट के अंदर जाने वाले रेलवे ट्रैक पर पड़ाव डालने का फैसला लिया। इसके बाद किसान ट्रैक्टरों पर सवार होकर ट्रैक की ओर चल दिए। पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रोकने का प्रयास किया। किसानों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए। इसी बीच एक ट्रेक्टर किसानों को रौंदता हुआ आगे निकल गया। पुलिस ने किसानों को तीतर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और वाटर कैनन का प्रयोग किया। किसानों का दावा है कि पुलिस के लाठीचार्ज से किसानों को चोटें लगी। एक किसान धर्मपाल की मौत भी इसी कारण हुई। जबकि पुलिस का कहना है कि धर्मपाल की मौत ट्रेक्टर के नीचे आने से हुई है। तीन पुलिस कर्मचारी भी गंभीर रुप से घायल हो गए थे। इस मामले में 10 नामजद किसानों और करीब 800 अज्ञात के खिलाफ 11 धाराओं में मामला दर्ज किया गया था।