राहुल गांधी ने बिहार की जाति जनगणना को बताया फर्जी, कहा- "देशभर में कराएंगे वास्तविक जाति जनगणना"!
- By Arun --
- Saturday, 18 Jan, 2025
पटना, 18 जनवरी: Rahul Gandhi Calls Bihar Caste Census Fake: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पटना में आयोजित संविधान सुरक्षा सम्मेलन में नीतीश कुमार सरकार द्वारा कराई गई बिहार की जाति आधारित गणना को फर्जी बताया। उन्होंने कहा कि इस सर्वे के जरिए लोगों को बेवकूफ बनाया गया। राहुल गांधी ने यह भी घोषणा की कि कांग्रेस सरकार बनने पर देशभर में जातिगत जनगणना कराई जाएगी और आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को तोड़ा जाएगा।
जातिगत जनगणना को बताया आवश्यक
राहुल गांधी ने कहा कि जातिगत जनगणना समाज का एक्स-रे है, जिससे हर वर्ग की जनसंख्या और उनकी हिस्सेदारी का पता चलेगा। इसके आधार पर आगे की नीतियां और योजनाएं बनाई जा सकेंगी। उन्होंने बिहार की जाति आधारित गणना को गलत और जनता को भ्रमित करने वाला बताया।
आरक्षण बढ़ाने का संकल्प
राहुल गांधी ने आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से अधिक करने का वादा किया। उन्होंने कहा कि समाज में जिस वर्ग की जितनी भागीदारी है, उनकी संख्या के हिसाब से उनकी हिस्सेदारी भी सुनिश्चित होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री पर निशाना
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में 400 सीटें जीतने पर संविधान बदलने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि हमने उनका रास्ता रोक लिया और संविधान की रक्षा की।
बिहार में जाति आधारित गणना पर सवाल
साल 2023 में बिहार में जाति आधारित गणना हुई थी, जिसे जाति एवं आर्थिक सर्वे कहा गया। यह सर्वे महागठबंधन सरकार के समय हुआ था, जिसमें कांग्रेस भी शामिल थी। हालांकि, अब राहुल गांधी ने इसे फर्जी बताते हुए महागठबंधन सरकार के दावों पर सवाल खड़ा कर दिया।
महागठबंधन पर असर
राहुल गांधी के इस बयान से महागठबंधन सरकार में शामिल दलों के बीच खटास आने की संभावना है। तेजस्वी यादव और आरजेडी इस सर्वे का श्रेय लेते रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी के बयान ने एक नई बहस छेड़ दी है।
राहुल गांधी का दावा
उन्होंने कहा कि कांग्रेस जाति आधारित गणना को सही तरीके से लागू करेगी और हर वर्ग को उनका हक दिलाएगी। उन्होंने देश के संविधान की रक्षा और समाज में समानता का वादा करते हुए केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए।
राहुल गांधी का बयान न केवल बिहार की राजनीति में हलचल पैदा कर सकता है, बल्कि यह जातिगत गणना और आरक्षण के मुद्दे को आगामी चुनावों में बड़ा मुद्दा बना सकता है।