नॉन-एचसीएस से आईएएस चयन प्रक्रिया में शामिल 11 उम्मीदवारों की योग्यता पर सवाल

नॉन-एचसीएस से आईएएस चयन प्रक्रिया में शामिल 11 उम्मीदवारों की योग्यता पर सवाल

नॉन-एचसीएस से आईएएस  चयन प्रक्रिया में शामिल 11 उम्मीदवारों की योग्यता पर सवाल

नॉन-एचसीएस से आईएएस चयन प्रक्रिया में शामिल 11 उम्मीदवारों की योग्यता पर सवाल

चंडीगढ़ - हरियाणा में नॉन-एचसीएस (गैर राज्य सिविल सेवा)  कोटे से आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा ) की 5 रिक्तियों (सेलेक्ट लिस्ट 2019) के लिए बीते करीब दो वर्षो से जारी  चयन प्रक्रिया में  योग्य उम्मीदवारों के इंटरव्यू (साक्षात्कार ) जिन्हे पहले संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी ) द्वारा  15 फरवरी 2021  को निर्धारित किया गया था जिसे स्थगित कर अंतत: गत वर्ष दिसंबर, 2021 में लिया गया.   2 फरवरी 2021  को यूपीएससी  द्वारा हरियाणा के तत्कालीन  मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में वर्ष 2020 में  हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी ) द्वारा  ली गयी लिखित वस्तुनिष्ठ  परीक्षा में शॉर्टलिस्टेड किये गए  27 उम्मीदवारों का नाम था.

इस सम्बन्ध में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि उक्त   चयन प्रक्रिया जो जून,2020 में  प्रारम्भ हुई  जिस पर  पहले 18  अगस्त 2020  को  पंजाब एवं हरियाणा  हाई कोर्ट ने  स्टे लगा दिया   हालांकि  23 सितम्बर 2020 को  वह  हटा दिया गया था. नियमानुसार  31 दिसंबर 2020 तक उपरोक्त  चयन  प्रक्रिया (सेलेक्ट लिस्ट 2019 हेतु) पूर्ण हो जानी चाहिए थी परन्तु ऐसा नहीं हो सका  हालांकि चयन समिति की एक बैठक 31 दिसंबर 2020 से पूर्व आयोजित करवा दी गयी थी. बहरहाल,  हाई कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई की तारिख  9 फरवरी 2022 को निर्धारित  है.

इसी बीच हेमंत ने  बताया कि उपरोक्त चयन प्रक्रिया के  इंटरव्यू (साक्षात्कार) हेतु शोर्टलिस्टेड  एवं  योग्य पाए गए उम्मीदवारों एवं जिनका दिसंबर, 2021 में इंटरव्यू लिया गया उनमें  हरियाणा सरकार के   पशुपालन और डेयरी  विभाग से  आठ -डॉ. ब्रह्मजीत सिंह रंगी, डॉ. धर्मेद्र  सिंह यादव, डॉ. हरीश  कुमार वशिष्ठ,  डॉ. लाल चंद रंगा, डॉ. संदीप, डॉ. संजय कुमार, डॉ. सुशील कुमार और डॉ. वीरेंद्र सेहरावत, स्वास्थ्य महानिदेशक से तीन  - डॉ. चांदनी मलिक, डॉ. मुक्ता कुमार और डॉ. रविंद्र  अहलावत, उद्द्योग एवं वाणिज्य विभाग से अश्वनी कुमार गुप्ता, तकनीकी शिक्षा विभाग से कुलदीप सिंह जामवाल, आबकारी एवं कराधान विभाग से राजीव कुमार  और  नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग से विजेंद्र  सिंह ओर वेद प्रकाश का नाम  है.

उपरोक्त के साथ साथ उच्चतर शिक्षा विभाग से भी ग्यारह उम्मीदवारों -आदर्श सिंह पंजेटा, अजय कुमार मान, जैन्द्र सिंह छिल्लर, ममता गोयल, प्रदीप कुमार, रोहतास गोदारा, संदीप मान , विवेक भारती, रीना, मनीषा ओर हरी ओम का नाम है.


हेमंत ने बताया कि उच्चतर शिक्षा विभाग के अंतर्गत  राजकीय (सरकारी )  कॉलेजो में कार्यरत वरिष्ठ लेक्चरर, जिन्हें   कई वर्षो पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर का पदनाम दिया गया एवं जिन्हे अक्टूबर, 2010 में तत्कालीन भूपिंदर हुड्डा सरकार दौरान जारी एक  नोटिफिकेशन द्वारा   क्लास वन  का दर्जा दिया गया था, वह आज तक वास्तव में    कानूनी एवं आधिकारिक रूप में राज्य  सरकार के ग्रुप ए अर्थात  क्लास वन  अधिकारी नहीं है क्योंकि आज तक  इन पर लागू होने वाले सेवा नियमों में इनके  ग्रुप बी  होने का ही उल्लेख है. अब इसके बावजूद इस वर्ग से उपरोक्त 11 उम्मीदवारों  को  कैसे साक्षात्कार के लिए योग्य पाया गया है, यह देखने लायक है.

 हेमंत   ने इस विषय पर जुलाई-अगस्त 2020  में  हरियाणा के उच्चतर  शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव एवं  विभाग के महानिदेशक  एवं अन्य  को अलग अलग लिखा भी था  जिसमें उन्होंने विभाग द्वारा  सरकारी कॉलेजों के 100 के करीब   असिस्टेंट/एसोसिएट  प्रोफेसरों के नाम एचपीएससी  को भेजने पर   आपत्ति जताई  क्योंकि  वो  कानूनन राज्य सरकार के ग्रुप ए अधिकारी नहीं हैं चूँकि  उक्त चयन प्रक्रिया में केवल न्यूनतम 8 वर्ष नियमित सेवा वाले राज्य सरकार के ग्रुप ए अधिकारी ही  योग्य हैं.  इसके  जवाब में 4 सितम्बर 2020  को उन्हें   विभाग द्वारा  सूचित किया गया  कि   सरकारी कॉलेजों के  प्रोफेसरों  के  सेवा नियमो में वांछित संशोधन नहीं किया गया है हालांकि  इस सम्बन्ध में अगस्त, 2020 में    मिसल (फाइल ) सेवा नियमों में संशोधन हेतू मुख्यमंत्री महोदय को प्रस्तुत कर दी गयी है. बहरहाल, आज तक उक्त सेवा नियमो में संशोधन नहीं किया गया है.

अब इसके दृष्टिगत प्रश्न यह उठता है  जब न केवल मौजूदा तौर पर बल्कि  जून-जुलाई 2020  में आवेदन करते समय  और 9 अगस्त 2020  को लिखित परीक्षा के दौरान  उपरोक्त  कॉलेज प्रोफेसर नॉन-एचसीएस से आईएएस  चयन प्रक्रिया  के लिए योग्य ही नहीं थे, तो उनके नाम उच्चतर शिक्षा  विभाग  द्वारा एचपीएससी को कैसे और क्यों भेजे गए ?  हेमंत का कानूनी मत  है कि अगर अब  राज्य सरकार द्वारा सरकारी कॉलेज के प्रोफेसरों के सेवा नियमो में उपयुक्त संशोधन कर उन्हें   ग्रुप ए बना  भी दिया जाता  है, तो ताज़ा सेवा नियम  तत्काल प्रभाव से ही लागू होंगे. हालांकि उक्त आईएएस  चयन प्रक्रिया के लिए शॉर्टलिस्टेड किये गए उम्मीदवारों को   योग्य घोषित बनाना  है तो संशोधित सेवा नियमो को दस वर्ष पूर्व अर्थात  1 जनवरी 2011 से. लागू करना होगा क्योंकि उक्त नॉन -एचसीएस से आईएएस चयन प्रक्रिया अर्थात  सेलेक्ट लिस्ट 2019  के लिए  1 जनवरी 2019 को  ग्रुप ए अधिकारी के तौर पर 8 वर्षो की न्यूनतम सेवा पूर्ण होनी आवश्यक है. अब यह देखने लायक होगा कि क्या  ताज़ा सेवा नियमो को दस वर्ष पूर्व की तिथि से लागू करना कानूनन उपयुक्त होगा ?