Puri Rathotsav: Lord, Balabhadra, Subhadra reached Rath Gundicha temple

पुरी रथोत्सव: रथ गुंडिचा मंदिर पहुंचे भगवान, बलभद्र, सुभद्रा

Puri Rathotsav: Lord, Balabhadra, Subhadra reached Rath Gundicha temple

Puri Rathotsav: Lord, Balabhadra, Subhadra reached Rath Gundicha temple

Puri Rathotsav: Lord, Balabhadra, Subhadra reached Rath Gundicha temple- पुरीI ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में दूसरे दिन लाखों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

श्री जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों के तीन समूहों ने मंगल आरती, अवकाश, मैलम, तड़प लागी जैसे देवताओं के दैनिक कार्य किये और रथों पर गोपाल भोग लगाया। भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को कपड़े पहनाये। भक्तों को सुबह 9.20 बजे मरीचिकोट चक से बड़ादंडा के साथ बलभद्र के रथ को खींचने की अनुमति है। इसके बाद देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ आता है और अंत में भगवान जगन्नाथ अपने नंदीघोष रथ पर सवार होकर आते हैं।

गौरतलब है कि रविवार को नंदीघोष रथ को सिंहद्वार के पास पार्किंग स्थल से कुछ मीटर की दूरी पर ही खींचा गया। भक्तों ने तीनों रथों को गुंडिचा मंदिर तक पहुँचाया और यह प्रक्रिया अपराह्न 2.35 बजे पूरी हुई। बिना किसी अवांछित घटना के रथ खींचने की प्रक्रिया शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई। मंदिर पंचांग के अनुसार दूसरे दिन रथ को खींचने की आवश्यकता इसलिये पड़ी, क्योंकि अनासार अवधि को नियमित 15 दिनों से घटाकर 13 दिन कर दिया गया है। इससे रविवार को “नेत्र उत्सव”, “ नबजौबन वेशा” और रथ यात्रा जैसे तीन महत्वपूर्ण अनुष्ठानों का पालन करने की स्थिति बनी।

कार्यक्रम को बनाये रखने के लिये, भक्तों को नेत्र उत्सव और नबाजौबन वेश में देवताओं के दर्शन करने से रोक दिया गया था। मंदिर के सूत्रों ने कहा कि देवता सोमवार को अपने-अपने रथ पर रात बितायेंगे और मंगलवार को तीनों देवताओं को गुंडिचा मंदिर में ले जाया जायेगा और देर शाम दैता सेवकों द्वारा आयोजित औपचारिक गोटी पहंडी में रत्न सिंहासन पर बैठाया जायेगा। इसके बाद पका हुआ महाप्रसाद चढ़ाने के साथ नियमित अनुष्ठान किये जायेगे।