अरबों एटम बम दृष्टि मात्र से नष्ट करने की क्षमता; राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा पर पुरी शंकराचार्य की चेतावनी, मोदी-योगी पर क्या बोले?
Puri Peeth Shankaracharya Nischalananda Saraswati Ayodhya Ram Mandir
Puri Shankaracharya Nischalananda: अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन और रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा (Ramlala Pran-Pratishtha) को लेकर पूरे देश में उत्साह है। लेकिन इसी बीच देश में चारो पीठों के शंकराचार्यों के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का मामला भी गरमाया हुआ है। एक तरफ ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा अनुचित ढंग से की जा रही है। क्योंकि राम मंदिर का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इसलिए आधे-अधूरे मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा (Ayodhya Ramlala Pran-Pratishtha) करना शास्त्र सम्मत नहीं है। वहीं दूसरी ओर पुरी गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का भी यही कहना है कि राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा में शास्त्रीय विधा का पालन नहीं किया जा रहा है। पुरी शंकराचार्य ने तो दुष्परिणामों की चेतावनी तक दे डाली है।
मैं प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं जाऊंगा
पुरी शंकराचार्य ने कहा कि, मैं 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने नहीं जाऊंगा। हालांकि मैं अयोध्या में जाता रहता हूं और आगे जाता रहूंगा। पुरी शंकराचार्य ने कहा कि हमारे पास आमंत्रण आया था कि आप अपने साथ एक व्यक्ति को साथ लेकर समारोह में आ सकते हो। लेकिन मैं वहां जाकर क्या करूंगा, ताली बजाऊँगा क्या? शंकराचार्य ने कहा मैं नाराज नहीं होता और न ही रूठता हूं, आमंत्रण न भी आता तो भी मैं मुंह फुलाकर नहीं बैठता, मैं छूई-मुई नहीं हूं, भगवान की कृपा से बहुत धैर्य है। इसलिए मैं न तो किसी आमंत्रण को भूलता हूं और न ही क्रोध करता हूं लेकिन मेरी अपनी ही नीति है, और मेरे पद की अपनी गरिमा है और अपना सिद्धांत है इसलिए मेरा जान वहां उचित नहीं है। वहां शास्त्र सम्मत जो स्थिति है वो सही नहीं है।
सनातन धर्म के लोग क्या कहेंगे... आप नहीं जा रहे तो
पुरी शंकराचार्य ने कहा कि, सनातन धर्म के लोगों को भी पता ही है कि मैं क्यों नहीं जा रहा। पुरी शंकराचार्य ने खुलकर कहा कि मैं क्या करूंगा वहां जाकर... जब मैं प्राण-प्रतिष्ठा से सहमत नहीं हूं, कौन मूर्ती का स्पर्श करे और कौन न करे, कौन प्राण प्रतिष्ठा करे, कौन प्राण प्रतिष्ठा न करे... इस सबका कुछ ध्यान ही नहीं है। पुरी शंकराचार्य ने कहा कि, प्रधानमंत्री मोदी खुद गर्भ गृह में होंगे, मूर्ती छुएंगे और उसकी प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। प्राण प्रतिष्ठा को राजनीतिक रूप दे दिया गया है। चूंकि भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्र सम्मत विधि विधान से होनी चाहिए जो हो नहीं रही, इसलिए मैं नहीं जा रहा।
न विरोध कर रहा, न जाऊंगा, अपना पक्ष रख रहा
पुरी शंकराचार्य ने कहा कि, मैं अयोध्या में राम मंदिर का कतई विरोध नहीं कर रहा, मैं सिर्फ अपना पक्ष रख रहा हूं और वो कह रहा हूं जो उचित है। जो होना चाहिए लेकिन किया नहीं जा रहा। इसलिए मैं वहां नहीं जाऊंगा। पुरी शंकराचार्य ने उदाहरण देते हुए कहा कि जब व्यक्ति यातायात नियमों का पालन करके चलता है तभी वह अपने गंतव्य तक पहुंचता है। इसी प्रकार जब शास्त्र सम्मत विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है तो फल की प्राप्ति होती है। आधा तीतर-आधा बटेर जैसी कहावत चरितार्थ नहीं होनी चाहिए।
राम जी सेक्युलर नहीं हैं...
पुरी शंकराचार्य ने कहा कि, राम जी सेक्युलर नहीं हैं, शास्त्रीय पक्ष का ज्ञान करते हुए शास्त्र सम्मत विधि विधान से ही प्राण प्रतिष्ठा होनी चाहिए और पूजा किसे, कैसे, क्या करनी है, इसका भी एक क्रम होना चाहिए। पुरी शंकराचार्य ने कहा कि स्कन्द पुराण के मुताबिक देवी-देवताओं की मूर्ती में जब प्राण प्रतिष्ठा होती है तो मांत्रिक, यांत्रिक और तांत्रिक विधा से देवी-देवताओं के व्यापक तेज को एकत्र कर मूर्ती में समाहित किया जाता है। यह व्यापक तेज अग्नि रूप में होता है। अगर सही ढंग से प्राण प्रतिष्ठा न की जाये तो देवता का जो तेज है वो तिरोहित होकर विस्फोटक हो जाता है और और तेज तिरोहित हो जाने पर डाकिनी, शाकिनी, भूत, प्रेत, पिशाच उक्त मूर्ती जिसकी प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है उसमें प्रवेशित हो जाते हैं और पूरे क्षेत्र को तहस-नहस कर देते हैं। इसलिए शास्त्रीय विधा से ही सब काम होना चाहिए।
मैं किसी पार्टी का नहीं
पुरी शंकराचार्य ने कहा कि, मैं किसी पार्टी का नहीं हूं और न ही राजनीतिक दृष्टिकोण रखता हूं, मेरा अपना व्यापक दृष्टिकोण है। इसलिए मैं साफ कहता हूं कि अगर दो साल बाद भी मोदी मूर्ती स्पर्श करके प्राण प्रतिष्ठा करते तब भी मैं इसे उचित नहीं ठहराता। क्योंकि ऐसा करना शास्त्र सम्मत नहीं है। इसलिए यह बिलकुल स्पष्ट है कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में किसी भी तरह से शास्त्र सम्मत ध्यान नहीं रखा जा रहा।
मैं क्रोध नहीं करता, मुस्कराकर पछाड़ देता हूं
शंकराचार्य ने कहा कि, मैं क्रोध नहीं करता क्योंकि अग्नि जहां से प्रकट होती है उसे स्थान को पहले जलाती है इसलिए क्रोध भी एक अग्नि है और क्रोध से बचना चाहिए। व्यक्ति को क्रोध पर क्रोध करना चाहिए। इसलिए मैं मुस्कराते हुए सब काम करता हूं और जो मुझसे युद्ध करने आता है उसे बलवान बनाता हूं और मुस्कराते हुए यूं करता हूं और वह पछाड़ खा जाता है।
आतंकवादी को नकली शंकराचार्य बनाकर घुमा रहे
पुरी शंकराचार्य का कहना है कि देश में नकली प्रधानमंत्री नहीं है, नकली मुख्यमंत्री नहीं है, नकली राज्यपाल नहीं है और न ही नकली राष्ट्रपति है तो नकली शंकराचार्य क्यों घुमाया जा रहा है। इनसे घटिया पद है क्या शंकराचार्य का। अरे शंकराचार्य का पद तो वो है जो शासकों पर शासन करता है। शंकराचार्य ने कहा कि शासन ने एक नकली शंकराचार्य बना रखा है और वह आतंकवादी है जो कि यूपी में रहता है। शासन ने उसे सुरक्षा दी हुई है। ये जो कुछ किया जा रहा है इसमें देश का अपकर्ष सुनिश्चित है।
पीठ से टकराने वाला चार खंड चूर-चूर हो जाएगा
पुरी शंकराचार्य ने कहा कि, शास्त्र सम्मत विधि विधान से रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा न करने से परिणाम काफी भयावह होगा और जो भी व्यास पीठ से टकराने की कोशिश करता है चार खंड चूर-चूर हो जाता है। मुट्ठी से हिमालय पर प्रहार करने पर जिस प्रकार मुट्ठी टूटती है वही हाल उसका होता है। इसलिए हम लोगों से टकराना उचित नहीं है, अरबों एटम बम की शक्ति को केवल दृष्टि मात्र से नष्ट करने की क्षमता हम लोगों में है, हम आधुनिक प्रभाव या चुनाव की प्रक्रिया से इस पीठ पर नहीं बैठे हैं।
कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता
शंकराचार्य ने कहा कि, ये जिनकी गद्दी है श्री हरि-हर की उनके द्वारा प्रेरित होकर के हम इस गद्दी पर बैठे हैं। इसलिए कोई भी हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकता। और कोई भी अगर इस गद्दी के साथ खिलवाड़ करना चाहता है तो वो कितना भी बलवान क्यों न हो सुरक्षित नहीं रह सकता। पूरी शंकराचार्य ने कहा मैं जनता को भड़काता नहीं लेकिन जनता हमारी वाणी का अनुगमन करती है। लोकमत भी हमारे साथ है और शस्त्र मत भी। साधू-संत भी हमारे साथ है और देवी-देवता भी हमारे साथ हैं। हर प्रकार से बल हमारे साथ है। हमको कोई दुर्बल न समझे।
मोदी भूल करते हैं और टकराते भी हैं
शंकराचार्य ने कहा कि, मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब भी इनहोने एक आतंकी को अरेस्ट होने से बचाया था। ये मुझसे शुरुवात से भी भिड़ते रहे हैं और प्रधानमंत्री पद के शपथ लेने से पहले दर्शन करने भी आए थे मेरे पास और तब कहा था कि ऐसा आशीर्वाद दीजिये कि कम से कम भूल कर सकूँ। लेकिन मोदी अब इतनी बड़ी भूल कर रहे हैं। उसी से टकरा रहे हैं जिससे कहा था कि मैं कम भूल कर सकूँ। बताओ मोदी बुद्धू हैं या नहीं। मोदी अपनी बुद्धहीनता का परिचय दे रहे हैं। शंकराचार्य ने कहा कि, मोदी हमारे शब्द सुनते रहते हैं और उन शब्दों का प्रयोग भी करते हैं लेकिन मोदी सीखते भी हैं और टकराते भी हैं। ये उनकी विशेषता है।
धार्मिक क्षेत्र का अधिकार मोदी-योगी अपने पास रखना चाहते
शंकराचार्य ने कहा कि, धार्मिक मामले में उनसे सुझाव लेने मोदी-योगी क्यों आएंगे जब वह स्वयं धार्मिक क्षेत्र का अधिकार अपने पास रखना चाहते हैं। और फिर अगर सुझाव लेंगे भी तो क्या वो जजमेंट करेंगे? फिर तो हम वकील हो गए उनके और वो जज बनकर काम करेंगे। इसलिए हम सुझाव भी किस आधार पर दें। शंकराचार्य ने कहा कि, हमारा निर्णय सुप्रीम कोर्ट में भी नहीं काटा जाता। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस हमारा निर्णय अपने आदेश में लिखते हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट भी हमारे निर्णय और सुझावों का खंडन नहीं करता। क्योंकि मैं संविधान का भी ज्ञाता हूं और मुझसे बहुत से व्यक्ति यह सीखने आते हैं कि वकालत कैसे करें, निर्णय कैसे करें। शंकराचार्य ने कहा सुप्रीम कोर्ट के वकील और जज आकर के मुझसे न्याय पर प्रवचन सुन चुके हैं।
हिन्दू राष्ट्र बनने पर बोले पुरी शंकराचार्य
पुरी शंकराचार्य से जब पूछा गया कि भारत के हिन्दू राष्ट्र बनने की बात आपने कही थी तो इस पर शंकराचार्य ने कहा कि भारत हिन्दू राष्ट्र बनने पर ही चल रहा है और बहुत जल्द एशिया महाद्वीप भी हिन्दू महाद्वीप होगा। पूरा विश्व हिन्दुत्व के रंग में रंगेगा। क्योंकि सबके पूर्वज वैदिक काल से हिन्दू ही थे।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा- राम मंदिर पर राजनीति हो रही
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हम चाहते थे कि राम मंदिर का निर्माण पूरी तरह से हो जाये। इसके बाद ही वहां शास्त्र सम्मत विधि विधान से रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की जाये। लेकिन राम मंदिर का निर्माण कार्य अभी चल रहा है और इस दौरान ही प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है, ये सही नहीं है और जो लोग इसमें साथ दे रहे हैं, उनकी मजबूरी है और राजनेताओं की यह जरूरत है क्योंकि चुनाव सामने है और राजनेता चाहते हैं कि वे राजनीति में राम मंदिर का लाभ ले लें।
अविमुक्तेश्वरानंद ने आगे कहा कि जब तक गौ हत्या बंद नहीं हो जाती तब तक हम अयोध्या में राम मंदिर का उत्सव कैसे बना सकते हैं क्योंकि गाय ही राम को लाई थी। लेकिन गाय काटी जा रही है। इसलिए हमारी हिम्मत और स्थिति यह नहीं हो सकती कि गाय की हत्या हो रही हो और हम रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा कर उत्सव बनायें। इसलिए जब देश में गौ हत्या बंद होगी तब ही अयोध्या जाकर हम राम जी के दर्शन करेंगे।
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा- मुझे आमंत्रित भी नहीं किया गया
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने एक टीवी इंटरव्यू में बताया कि उन्हें राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया है और किया भी जाता तो भी उनका जा पाना संभव नहीं था क्योंकि वह जिस पद पर वह आसीन हैं वो पद कभी भी उन्हें शास्त्र उल्लंघ्न की इजाजत नहीं देगा। उनका ऐसे किसी कार्यक्रम या समारोह में जाना निषेध है, जहां शास्त्र सम्मत नियमों का पालन न हो रहा हो और हम देख रहे हैं कि अयोध्या राम मंदिर अभी अधूरा है लेकिन आधे-अधूरे मंदिर में ही भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है, यह उचित नहीं है।
ऐसा करने से दुष्परिणाम सामने आते हैं, ऐसे कार्यक्रम में जो यजमान होते हैं और मंदिर से जुड़े हुए लोग होते हैं उनपे ऊपर दुष्परिणाम होता है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अयोध्या का राम मंदिर देश सबसे बड़ा राम मंदिर होगा, करोड़ों लोगों की मंदिर से आस्थाएं होंगी। ऐसे में ध्यान रखा जाये कि लोगों की आस्थाएं व्यर्थ न हों।
मंदिर निर्माण में सनातन धर्म की जीत विषय नहीं
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा राम मंदिर निर्माण में सनातन धर्म की जीत विषय नहीं है। सनातन धर्म की जीत यह है कि विधर्मियों द्वारा जो हमारी जगह कब्जा कर ली गई थी और वो जगह जिस वक्त हमने सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्राप्त कर ली उसी समय सनातन धर्म की जीत हो गई थी, उस जगह पर बाद में क्या बनता है, क्या आयोजन होता, हम उस जगह का क्या करते हैं, ये सब जीत-हार का विषय नहीं है।