Editorial: पंजाब में पुलिस अधिकारियों को नशे के खिलाफ डेडलाइन
- By Habib --
- Monday, 28 Apr, 2025

Punjab police officers get deadline to fight against drug abuse
Punjab police officers get deadline to fight against drug abuse: पंजाब पुलिस महानिदेशक की ओर से 31 मई तक हर जिले के शहर एवं गांवों से नशे की उपलब्धता को खत्म करने संबंधी एसएसपी और सीपी को जिम्मेदारी सौंपना अपने आप में ऐतिहासिक और बेहद गंभीर कदम है। डीजीपी गौरव यादव ने आदेश दिए हैं कि इस डेडलाइन तक नशे की उपलब्धता को पूरी तरह से खत्म किया जाए, वहीं अगर कहीं से एक ग्राम नशे की मात्रा भी मिलती है तो इसके लिए एसएसपी, सीपी पर कार्रवाई होगी। निश्चित रूप से अपने विभाग के उच्चाधिकारियों को डेडलाइन सौंपकर डीजीपी ने उनके लिए बड़ी लाइन खींच दी है।
पंजाब में जिलों का दायित्व संभाल रहे एसएसपी के पास इस तरह से करीब एक माह का समय है। राज्य में पहले ही पुलिस की ओर से नशे के विरुद्ध युद्ध नाम से ऑपरेशन चलाया जा रहा है। मालूम हो, इससे पहले राज्य पुलिस की ओर से इस प्रकार की मुहिम नहीं चलाई गई हैं, बेशक समय-समय पर पुलिस कार्रवाई चलती रहती थी। यह मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में राज्य सरकार के निर्देश पर पुलिस विभाग की ओर से दर्शाई जा रही सक्रियता है। आप सरकार के वक्त में अपराधियों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है, वहीं पुलिस में छोटे से बड़े स्तर के भ्रष्ट कर्मचारियों एवं अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो रही है।
राज्य की जनता यही चाह रही है कि यहां नशे के खिलाफ अंतिम युद्ध शुरू हो और अब मान सरकार ने इसके प्रयास शुरू कर दिए हैं। यह समय सरकार एवं पुलिस के सहयोग का भी है, क्योंकि जनसहयोग के बगैर इस मुहिम को अंजाम तक पहुंचाना मुश्किल होगा।
वास्तव में नशे के खिलाफ मुहिम समय की मांग हैं, क्योंकि इससे जनता प्रेरित होती है और उसी की रचनात्मक भागीदारी ऐसे अपराधों को रोकने में योगदान देती है। पंजाब एवं हरियाणा सरकारों की ओर से ऐसी मुहिम चलाना बेहद आवश्यक है। दोनों राज्य सरकारों और अन्य राज्यों की भागीदारी से एजेंसियां मिलकर नशे के खिलाफ काम कर रही हैं। इस मुहिम में केंद्र सरकार भी अहम भूमिका निभा रही है। केंद्र सरकार ने देश के 400 जिलों की पहचान कर वहां नशे के खिलाफ अभियान शुरू करने की तैयारी की है।
ऐसी रपट है कि केंद्र सरकार की योजना प्रत्येक राज्य के कम से कम एक तिहाई जिलों को इसमें शामिल करने की है। पंजाब में राज्य सरकार की ओर से इस पर कार्रवाई के लिए लगातार काम किया जा रहा है और अब मोहाली में एएनटीएफ यानी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का कार्यालय स्थापित किया गया है। सरकार ने एएनटीएफ के मौजूदा करीब 400 कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाकर दोगुना कर दिया है।
अवैध नशा ऐसा जुर्म है, जिसमें न जाने कितने लोग संलिप्त हैं और सबसे बढक़र इसकी जड़ें राजनीति तक फैली हुई हैं। दरअसल, पंजाब के लिए अब यह चेतने की आखिरी घड़ी होनी चाहिए, क्योंकि अगर अभी भी गौर नहीं किया गया तो यह समय फिर नहीं लौटेगा। राज्य की जनता को ऐसी मुहिम का सहयोग करना चाहिए और नशे पर लगाम लगानी चाहिए। पंजाब में रंगला बनने का पूरा सामर्थ्य है और उसकी खुशी पूरे देश की खुशी होती है। कितना अच्छा हो अगर पंजाब के बारे में यह सुनने को मिले कि अब नशाखोरी यहां बीते जमाने की बात हो गई है। संभव है, एक दिन ऐसा जरूर होगा। बीते दिनों राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने भी राज्य में नशे के खिलाफ पद यात्रा आरंभ की थी।
इस दौरान पाक सीमा से लेकर राज्य के दूसरे हिस्सों से गुजरते हुए उन्होंने अपनी यात्रा को विराम दिया है। इस यात्रा ने व्यापक स्तर पर जन जागरण का काम किया है। नशे की समस्या आज पूरे देश में है और कमोबेश हर राज्य किसी न किसी रूप में इससे पीड़ित मिलेगा। जब पंजाब की बात आती है तो चिंता का स्तर आसमान छू जाता है। यह भी कितना दुखद है कि इसी स्थिति को देखकर उड़ता पंजाब जैसी फिल्में बनती हैं। राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देशन में नशे के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई कर रही है। बहुत बार इसे राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, लेकिन प्रदेश देख रहा है कि नशे के खिलाफ जितना काम मौजूदा सरकार के समय में हो रहा है, उतना कभी नहीं हुआ है। यह कभी खत्म न होने वाला अभियान है, क्योंकि नशे की लत एकबार लगने के बाद छूटने में बहुत वक्त लेती है। उसी प्रकार नशे की बुराई के अंश बहुत व्यापक हैं।
डीजीपी पंजाब की ओर से अधिकारियों को दी गई डेडलाइन भी जरूर अपना असर दिखाएगी। पुलिस चाहे तो कहीं पर गुनाह न हो, पुलिस विभाग की ढिलाई ही अपराध को पनपने का मौका देती है। अब जब विभाग के प्रमुख खुद ऐसी समय सीमा तय कर आगे बढ़ रहे हैं तो निश्चित रूप से इसका असर जिलों और थानों तक पहुुंचेगा। पंजाब की समस्याओं के समाधान के लिए एक जरूरी बात कड़े अनुशासन की भी है।
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