Banwari Lal Purohit- ''सीएम साहब से बोल देना, मैं खुशी-खुशी जा रहा हूं''; पंजाब गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित की विदाई

''सीएम साहब से बोल देना, मैं खुशी-खुशी जा रहा हूं''; पंजाब गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित की विदाई, बोले- मैंने 1008 चांद देख लिए, अब...

Punjab Governor Banwari Lal Purohit Farewell Ceremony Chandigarh News

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Banwari Lal Purohit: पंजाब के गवर्नर और चंडीगढ़ के प्रशासक पद से बनवारी लाल पुरोहित का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही राष्ट्रपति ने पंजाब में नए गवर्नर की नियुक्ति कर दी है। जिसके बाद अब बनवारी लाल पुरोहित अपनी विदाई ले रहे हैं। मंगलवार को चंडीगढ़ स्थित पंजाब राजभवन में पुरोहित का विदाई समारोह हुआ। जहां पुरोहित जाते-जाते अपने मन की कई बातें कह गए। पंजाब को लेकर और यहां अपने बिताए गए कार्यकाल पर बनवारी लाल ने बातचीत की। उनकी बातों में भावुकता झलक रही थी। इस दौरान पुरोहित ने यह भी साफ कर दिया कि, वह पंजाब सीएम भगवंत मान के साथ कोई नाराजगी या कोई मनमुटाव लेकर यहां से नहीं जा रहे हैं। वह खुशी-खुशी आनंद के साथ यहां से जा रहे हैं।

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सीएम से मेरा 36 का आंकड़ा नहीं- पुरोहित

दरअसल, सीएम भगवंत मान के साथ बनवारी लाल पुरोहित के टकराव की तस्वीरें लगातार सामने आती रहीं। वहीं बनवारी लाल पुरोहित के इस्तीफे को लेकर भी टकराव ही मुख्य कारण माना गया। इसीलिए अपने विदाई समारोह में बनवारी लाल पुरोहित ने टकराव के इस अंत को शब्दों में ऐसा पिरोया कि उन्होंने जाते-जाते यह साफ कर दिया कि, वह यहां से जाते हुए किसी के साथ कोई द्वेष या मनमुटाव लेकर नहीं जा रहे हैं। पुरोहित ने यह भी कहा कि, मेरा सीएम पंजाब से कोई छत्तीस का आंकड़ा नहीं है और न ही किसी से नाराजगी, ना मनमुटाव है। मैं खुशी खुशी आनंद से यहां से जा रहा हूं। यह बात सीएम साहब से बोल देना। वहीं पुरोहित ने कहा कि, सेक्रेटरी और मंत्रियों के बीच तालमेल होना चाहिए। कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए।

पंजाब का अनूठा इतिहास, युवा जिम्मेदारी को निभाएं

बतौर गवर्नर पंजाब में बिताए कार्यकाल को लेकर भी बनवारी लाल पुरोहित ने अपने विचार रखे। साथ ही पंजाब की युवा पीढ़ी को एक अहम संदेश दिया। पुरोहित ने पंजाब और पंजाब के लोगों की तारीफ की है। पुरोहित ने कहा कि, पंजाब का अनूठा इतिहास है। यहां के युवा और नई पीढ़ी अपनी जिम्मेदारी को निभाएं। वहीं पुरोहित ने कहा कि, पंजाब के लोग खुले दिल के हैं, यहां के युवाओं में कुछ कर गुजरने की इच्छा है। पंजाब को देख कर आनंद की अनुभूति हुई। मैं पंजाब को हमेशा याद रखूँगा।

पुरोहित बोले- मैंने 1008 चांद देख लिए, अब...

बनवारी लाल पुरोहित ने कहा कि वह अब रिटायर हो रहे हैं। 84 साल की अब उनकी उम्र हो गई है। ऐसे में उन्हें लगा कि अब रिटायर हो जाना चाहिए। पुरोहित ने कहा कि, हिंदू अध्यात्म में स्पष्ट लिखा है कि जिसने एक हजार चांद का दर्शन कर लिया, उसे रिटायर हो जाना चाहिए। मेरी उम्र 84 साल हो गई और मैंने 1008 चांद देख लिए। ये उपलब्धि अप्रैल में हासिल की। मैंने पूरे परिवार के साथ कई धार्मिक यात्राएं भी कीं। अब रिटायर होने की इच्छा हुई तो इसके बाद रिजाइन कर दिया। लेकिन इस्तीफा पहले स्वीकार नहीं हुआ। ऊपर से कहा गया, इलेक्शन के बाद देखेंगे।

अगस्त 2021 में पंजाब के गवर्नर बने थे बनवारी लाल पुरोहित

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने बनवारी लाल पुरोहित को पंजाब का गवर्नर नियुक्त किया था। पुरोहित से पहले वीपी सिंह बदनोर पंजाब गवर्नर थे। वहीं बनवारी लाल पुरोहित ने अगस्त 2021 में पंजाब के 29वें गवर्नर के रूप में शपथ ली थी। तब पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रवि शंकर झा ने पंजाब राजभवन में बनवारी लाल पुरोहित को पद की शपथ दिलाई थी। उस समय पंजाब में काँग्रेस की सरकार थी और कैप्टन अंरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री थे। कैप्टन अमरिन्दर सिंह के साथ बनवारी लाल पुरोहित का अच्छा ताल-मेल रहा।

बनवारी लाल पुरोहित ने पंजाब गवर्नर रहते 2 मुख्यमंत्रियों को शपथ दिलाई

बनवारी लाल पुरोहित ने पंजाब गवर्नर पद पर रहते हुए 2 मुख्यमंत्रियों को शपथ दिलाई। दरअसल, कांग्रेस में अंदरूनी उथल-पुथल के बीच कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सितंबर 2021 में पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। कैप्टन ने बनवारी लाल पुरोहित को ही अपना इस्तीफा सौंपा था। जिसके बाद कांग्रेस की तरफ से चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा की गई। इसके बाद पुरोहित ने चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी। वहीं मार्च 2022 में विधानसभा चुनाव के बाद जब पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो पुरोहित ने भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई।

पंजाब गवर्नर बनने से पहले तमिलनाडू के गवर्नर थे बनवारी लाल पुरोहित

पंजाब गवर्नर बनने से पहले बनवारी लाल पुरोहित तमिलनाडू के 14वें गवर्नर थे। पुरोहित के पास अक्तूबर 2017 से सितंबर 2021 तक तमिलनाडू के गवर्नर का कार्यभार रहा। वहीं इससे पहले बनवारी लाल पुरोहित असम के 25वें गवर्नर रहे। अगस्त 2016 में पुरोहित को असम का गवर्नर नियुक्त किया गया था। सितंबर 2017 तक वह असम गवर्नर का कार्यभार संभालते रहे. इसी बीच पुरोहित को मेघालय के 16वें गवर्नर का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था। पुरोहित के पास मेघालय गवर्नर का कार्यभार जनवरी 2017 से अक्तूबर 2017 तक रहा।

3 बार लोकसभा सांसद रहे बनवारी लाल पुरोहित

बनवारी लाल पुरोहित तीन बार लोकसभा सांसद रहे हैं। वह 1984, 1989 और 1996 में तीन बार नागपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। 1984 में, वह कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में 8वीं लोकसभा के लिए चुने गए। इसके बाद वह 1989 में कांग्रेस के टिकट पर दोबारा निर्वाचित हुए। इसके बाद वह वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए आंदोलन चलाया और 1991 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा। लेकिन वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दत्ता मेघे से हार गए।

मगर 1996 में, वह भाजपा के उम्मीदवार के रूप में 11वीं लोकसभा के लिए चुने गए। वहीं 1999 में, प्रमोद महाजन के साथ गंभीर मतभेद होने के बाद पुरहित ने भारतीय जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद पुरोहित ने 1999 में रामटेक से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। इसके बाद 2003 में पुरहित ने विदर्भ राज्य पार्टी नाम से अपनी पार्टी बनाई और 2004 में नागपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन फिर हार गए। इसके बाद में वह फिर से बीजेपी में शामिल हो गए और 2009 में, उन्होंने फिर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विलास मुत्तेमवार से चुनाव हार गए।

राजनीति में कैसे आए पुरोहित?

16 अप्रैल 1940 को राजस्थान में जन्मे पुरोहित ने अपनी स्कूली शिक्षा बिशप कॉटन स्कूल, नागपुर और राजस्थान से की. इसके बाद उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से वाणिज्य की डिग्री प्राप्त की. पुरोहित की राजनीति में काफी रुचि थी और उन्होंने महाराष्ट्र के पिछड़े क्षेत्र विदर्भ की हालत सुधारने के लिए चुनावी मैदान उतरने का फैसला किया। उन्होंने कांग्रेस (आई) के सदस्य के रूप में 1978 में नागपुर पूर्व क्षेत्र से और 1980 में नागपुर दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीता। 1982 में पुरोहित ने महाराष्ट्र सरकार में शहरी विकास, स्लम सुधार और आवास राज्य मंत्री के रूप में काम किया।

यहां आपको बता दें कि, पुरोहित मध्य भारत के सबसे पुराने अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र 'द हितवाद' के प्रबंध संपादक भी हैं। यह समाचार पत्र 1911 में गोपाल कृष्ण गोखले द्वारा लॉन्च किया गया था। पुरोहित को 1979 में सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी से नागपुर दैनिक समाचार पत्र द हितवाद का स्वामित्व प्राप्त हुआ। इसके अलावा पुरहित नागपुर में रामदेवबाबा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट के अध्यक्ष भी हैं। बेदाग छवि के पुरोहित की पहचान एक प्रख्यात शिक्षाविद्, प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता राष्ट्रवादी विचारक की रही है। उनके पास सार्वजनिक जीवन में चार दशकों से भी अधिक का अनुभव रहा है।