पंजाब सरकार विभिन्न मोर्चे पर जूझते हुए आगे की ओर अग्रसर
The Punjab government is moving forward while battling on various fronts.
The Punjab government is moving forward while battling on various fronts / पंजाब में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की सरकार विभिन्न मोर्चों पर जूझते हुए आगे बढ़ रही है, राज्य में स्कूलों, अस्पतालों के हालात जहां बेहतर हो रहे हैं, वहीं उद्योग और निवेश को लाने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान (Chief Minister Bhagwant Mann) सक्रिय हैं, हालांकि राज्य में केंद्र सरकार (central government) की ओर से प्रदान की गई 3550 करोड़ रुपये की ग्रांट साल खत्म होने के बावजूद खर्च नहीं किए जाने से सरकारी अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। मान सरकार (Mann Sarkar) ने जिस समय कार्यभार संभाला, तब तक यह ग्रांट राज्य को मिल चुकी थी, उसके बाद से इसे इस्तेमाल किए जाने संबंधी कार्य सुचारू रूप से होने चाहिए थे, लेकिन न राजनीतिक रूप से इसकी ओर ध्यान दिया गया और न ही प्रशासनिक स्तर पर। किसी राज्य में विकास कार्यों के संबंध में यह कहा जाता है कि सरकार के पास फंड नहीं है, किसी शहर, कस्बे, गांव में निवासी मूलभूत सुविधाओं को तरसते रहेंगे, कहीं सडक़ों पर गड्ढे होंगे, कहीं सीवरेज (sewerage) खराब होगा, किसी स्कूल में पेयजल नहीं तो किसी कॉलोनी में सफाई नहीं होती। कहीं पर बस अड्डा नहीं है तो कहीं आरओबी या अंडर ब्रिज जैसी सुविधा नहीं। कहने का अभिप्राय यह है कि जो कार्य सरकार की ओर से किए जाने हैं, उनके लिए यह अड़चन बताई जाती है कि फंड की कमी है। हालांकि जब यह सच्चाई सामने आती है कि सरकार के पास भरपूर पैसा था, लेकिन उसका इस्तेमाल ही नहीं हुआ तो फिर इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए?
मुख्यमंत्री भगवंत मान (Chief Minister Bhagwant Mann) ने अब अधिकारियों को चेताया है कि अगर पूरी राशि खर्च नहीं हुई तो कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री का यह सराहनीय कदम (commendable step) है जो उन्होंने अधिकारियों को चेताया है। सरकार का दावा है कि वह सभी क्षेत्रों में कार्य करवा रही है, आम आदमी पार्टी का चुनाव में दावा था कि सरकार बनते ही पंजाब में बदले हुए हालात नजर आएंगे। लेकिन अभी भी सडक़ें बदहाल हैं, उद्योगों की स्थिति ठीक नहीं है। मोहल्ला क्लीनिक (Mohalla Clinic) खुल गए हैं, लेकिन पहले से संचालित सिविल अस्पतालों (civil hospitals) के हाल बुरे हैं, उनके अंदर जाते हुए भी मन कचोटता है। सरकार ने दिल्ली की तर्ज पर सरकारी स्कूलों के हाल बदलने की कोशिश की है, लेकिन जो सिस्टम पहले बिगड़ा हुआ है उसे सुधारने में समय तो लगेगा लेकिन सरकार की इमानदारी पर शक नहीं किया जा सकता। पूरे राज्य में तमाम ऐसे स्कूल हैं, जहां अध्यापकों की कमी है और संसाधन भी नाकाफी हैं। बेशक, इन सभी समस्याओं की वजह तकनीकी है, क्योंकि बीता वित्त वर्ष खत्म होने के बाद ही केंद्रीय ग्रांट मिलती है, फिर इसके बाद उतनी ही राशि राज्य सरकार को जमा करानी होती है। बहुत बार राज्य सरकार अपना हिस्सा जारी नहीं करती और पूरी राशि नहीं होने के कारण कार्यों के टेंडर नहीं लग पाते। इसके अलावा और भी अन्य कारण हैं, जिनकी वजह से पैसा खर्च नहीं हो पाता।
मुख्यमंत्री भगवंत मान (Chief Minister Bhagwant Mann) ने अधिकारियों को केंद्रीय ग्रांट न खर्च कर पाने पर फटकार लगाई है, जोकि प्रशासनिक कार्रवाई है। हालांकि उन्हें सरकार की कार्यप्रणाली को और संगठित और सुचारू बनाने के लिए काम करना चाहिए। यह पता लगाया जाना आवश्यक है कि आखिर वे कौन सी वजह हैं, जिनके चलते अधिकारी भी फंड होने के बावजूद उसे खर्च नहीं कर पाते। बताया गया है कि अधिकारियों की ओर से मुख्यमंत्री के सामने अपना पक्ष रखने की कोशिश की गई, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। आमतौर पर प्रशासनिक मशीनरी (Administrative Machinery) में भ्रष्टाचार की दीमक (Termite of Corruption) की शिकायतें मिलती रहती हैं, यह भी कहा जाता है कि राजनीतिक और नौकरशाह मिलकर जनता के पैसे को अपने खातों में भरते हैं। पंजाब में भ्रष्टाचार के बहुत से मामले सामने आते रहे हैं, और मान सरकार के समय में आने शुरु हुए थे लेकिन मान सरकार जिस तरह भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है उसके लिए यह कहा जा सकता है कि ऐसे में पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने की कोशिश में मुख्यमंत्री मान की अधिकारियों से जवाबतलबी सही है, लेकिन यह समझना भी जरूरी है कि महज नौकरशाह विकास कार्यों में अड़ंगा लगने की वजह नहीं होते, राजनीतिक कार्यप्रणाली भी इसके लिए जवाबदेह होती है। यह भी सच है कि पंजाब सरकार नया कर्ज ले रही है, लेकिन सवाल यह है कि जिन कार्यों के लिए यह कर्ज लिया जा रहा है, वे केंद्रीय ग्रांट के जरिए करवाए जा सकते थे। फिर ऐसा क्या हुआ कि केंद्र से मिला यह पैसा सरकार खर्च नहीं कर पाई।
मुख्यमंत्री मान (Chief Minister) खुद स्वीकार कर रहे हैं कि पंजाब की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है। जाहिर है, सरकार को अपने उन खर्चों पर नियंत्रण पाना होगा जोकि गैर जरूरी लगते हैं। मान सरकार में जनता के लिए कुछ करने के लिए यह ईमानदारी की छवि नजर आती है। मान सरकार को इस समय राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए जहां फंड का समुचित प्रबंध करने की जरूरत है, वहीं गैरजरूरी खर्चों पर नियंत्रण पाते हुए सरकारी मशीनरी को अनुशासित करना आवश्यक है। सरकार को अपने विभागों की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने और सीधे जनता से उसकी जरूरतों के बारे में पूछे जाने की आवश्यकता है। पंजाब पर इस समय तीन लाख करोड़ का कर्ज है, एक सरकार को कर्ज लेना ही पड़ता है, लेकिन कहीं ऐसा न होकि यह राशि बढ़ती ही चली जाए। इसलिए इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
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