पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने आज चंडीगढ़ प्रशासन को दी चेतावनी

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने आज चंडीगढ़ प्रशासन को दी चेतावनी

High Court today warned Chandigarh Administration

High Court today warned Chandigarh Administration

चंडीगढ़! High Court today warned Chandigarh Administration: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने आज चंडीगढ़ प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर मई 2025 तक डड्डूमाजरा कचरा डंप को साफ नहीं किया गया, तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाएगी। मुख्य न्यायाधीश शील नागु और न्यायमूर्ति सुमीत गोयल की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए नगर निगम के कचरा प्रबंधन पर गंभीर चिंता जताई।

सुनवाई के दौरान, एमसी के वकील गौरव मोहंता और प्रशासन के वकील तन्मय गुप्ता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि डंप हटाने में काफी प्रगति हुई है। उन्होंने बताया कि पहले दो डंप हटा दिए गए हैं और तीसरे डंप को मई 2025 तक हटा दिया जाएगा।

हालांकि, याचिकाकर्ता अधिवक्ता अमित शर्मा ने इन दावों का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक से ऐसे ही आश्वासन दिए जाते रहे हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। शर्मा ने 7 जनवरी को ड्रोन से रिकॉर्ड की गई फुटेज पेश की, जिसमें दिखाया गया कि डंप से अब भी गंदा पानी (लीचेएट) बह रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले वर्षों में डंप में 486 आग लगने की घटनाएं हुईं, जिन्हें बुझाने के लिए 45 लाख लीटर पानी इस्तेमाल हुआ।

शर्मा ने एमसी पर ठोस कचरा प्रबंधन नियमों का पालन न करने और कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि 2022 में बनाई गई बाउंड्री वॉल 2023 में ही गिर गई, जिसकी जानकारी एमसी ने छिपाई। शर्मा ने इसे अदालत के प्रति झूठी गवाही (परजरी) का मामला बताया।

एमसी के वकील ने दलील दी कि भारी बारिश के कारण दीवार गिरी, लेकिन शर्मा ने सवाल किया कि यह जानकारी स्टेटस रिपोर्ट में क्यों नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि अगर निर्माण सही तरीके से हुआ होता, तो दीवार इतनी जल्दी नहीं गिरती।

शर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि एमसी ने अदालत में एक झूठी परियोजना रिपोर्ट पेश की, जो किसी आईआईटी के कचरा प्रबंधन विशेषज्ञ ने नहीं, बल्कि एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग ने तैयार की थी।

उन्होंने कहा कि एमसी की रिपोर्ट में वित्तीय आंकड़े हाथ से लिखे गए थे और यह कचरा प्रबंधन नियमों के अनुरूप नहीं थी। शर्मा ने एमसी पर समय बर्बाद करने और कोर्ट को गुमराह करने के आरोप लगाए।

कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए याचिकाकर्ता को झूठी गवाही के आरोपों पर अपना सारांश अगली सुनवाई, 27 फरवरी 2025 तक पेश करने का निर्देश दिया है।