Punjab Governor Resignation Accept- 2021 में पंजाब गवर्नर बने थे बनवारी लाल पुरोहित, सरकार के साथ नहीं रुका टकराव

2021 में पंजाब गवर्नर बने थे बनवारी लाल पुरोहित, अब विदाई; भगवंत मान सरकार के साथ नहीं रुका टकराव, सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची थी 'जंग'

President Accepted Punjab Governor Banwari Lal Purohit Resignation

President Accepted Punjab Governor Banwari Lal Purohit Resignation

Punjab Governor Resignation Accept: पंजाब के गवर्नर और चंडीगढ़ के प्रशासक पद से बनवारी लाल पुरोहित का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही राष्ट्रपति ने पंजाब में नए गवर्नर की नियुक्ति भी कर दी है। असम के गवर्नर गुलाब चंद कटारिया को अब पंजाब का गवर्नर नियुक्त किया गया है। साथ ही केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक के रूप में भी कटारिया की नियुक्ति की गई है। राष्ट्रपति ने शनिवार रात पंजाब के साथ-साथ राजस्थान, झारखंड और महाराष्ट्र समेत कई अन्य राज्यों में भी नए गवर्नर नियुक्त किए हैं। हालांकि, इस क्रम में बनवारी लाल पुरोहित को कहीं और नियुक्ति नहीं दी गई है।

इसी साल फरवरी में बनवारी लाल पुरोहित ने इस्तीफा दिया

83 वर्षीय बनवारीलाल पुरोहित ने इसी साल 3 फरवरी 2024 को पंजाब के गवर्नर पद और चंडीगढ़ के प्रशासक पद से इस्तीफा दे दिया था. लेकिन उस वक्त उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया। जिसके बाद पुरोहित ने अपना कामकाज जारी रखा। बता दें कि, पुरोहित ने राष्ट्रपति को एक संक्षिप्त पत्र लिखकर अपने इस्तीफे का कारण बताया था। पुरोहित ने अपने इस्तीफा पत्र में लिखा था- ''मैं अपने व्यक्तिगत कारणों और कुछ अन्य प्रतिबद्धताओं के कारण, पंजाब के गवर्नर और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक के पद से इस्तीफा दे रहा हूं। कृपया मेरा इस्तीफा स्वीकार करें।

पुरोहित के इस्तीफे को लेकर शुरू हो गईं थी कई चर्चाएं

बनवारी लाल पुरोहित के पंजाब गवर्नर और चंडीगढ़ प्रशासक पद से अचानक इस्तीफा देने को लेकर कई सवाल खड़े हो गए थे। क्योंकि तब इस तरह की कोई आशंका भी दूर-दूर तक नहीं जताई जा रही थी। इसलिए लोगों की नजर बनवारी लाल पुरोहित के इस्तीफे पर पड़ी तो वह हैरान रह गए। उस समय पुरोहित के इस्तीफे को लेकर लोगों में कई चर्चाएं शुरू हो गईं थीं।  लोग सवाल कर रहे थे कि आखिर एकदम से ऐसा क्या हुआ कि पुरोहित ने इस्तीफा देने का फैसला ले डाला। जबकि पुरोहित इस्तीफे के पीछे व्यक्तिगत कारणों का हवाला दे चुके थे।

इस्तीफे से एक दिन पहले अमित शाह से मुलाकात की

उन दिनों चंडीगढ़ में मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी द्वारा गड़बड़ी के आरोपों को लेकर शहर में गहमागहमी थी। वहीं चंडीगढ़ मेयर चुनाव के 3 दिन बाद बनवारी लाल पुरोहित ने शुक्रवार को दिल्ली जाकर केंद्रीय गृह अमित शाह से मुलाक़ात की थी। दोनों के बीच काफी देर तक बैठक चली और इसके बाद पुरोहित उसी दिन वापस चंडीगढ़ लौट आए और यहां आकर अगले ही दिन इस्तीफे का ऐलान कर दिया था। सवाल उठा था कि, आखिर अमित शाह के साथ मीटिंग में ऐसा क्या हुआ कि पुरोहित अगले ही दिन इस्तीफा देने को मजबूर हो गए।

दूसरी तरफ बनवारी लाल पुरोहित के इस्तीफे का संबंध चंडीगढ़ मेयर चुनाव से बताया गया। कहा जा रहा था कि, चंडीगढ़ मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी और काँग्रेस ने गड़बड़ी का जो आरोप लगाया है और इसके बाद जब सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुँच गया है तो ऐसे में फिर कहीं न कहीं प्रशासन के मुखिया होने के नाते बनवारी लाल पुरोहित की जवाबदेही भी तय होगी। इसलिए पुरोहित का इस्तीफा मेयर चुनाव के संबंध में दिया गया हो सकता है। वैसे भी बनवारी लाल पुरोहित ने अपनी छवी हमेशा बेदाग रखी है।

वहीं बनवारी लाल पुरोहित के इस्तीफे के पीछे जो तीसरी बात सामने आई। वो तो सबके सामने ही है कि किस प्रकार से बनवारी लाल पुरोहित और पंजाब की भगवंत मान सरकार के बीच लगातार टकराव जारी था। कई मसलों के ऊपर दोनों पक्ष आमने-सामने थे। इसलिए अंदर खाते में यह माना गया कि, भगवंत मान सरकार से तनातनी के चलते पुरोहित ने इस्तीफा दिया है।

भगवंत मान सरकार के साथ नहीं रुका टकराव

पंजाब में गवर्नर पद पर रहते बनवारी लाल पुरोहित और भगवंत मान सरकार के बीच तनातनी कभी खत्म नहीं हुई। दोनों तरफ से विवाद की स्थिति लगातार जारी रही। आएदिन पुरोहित और भगवंत मान सरकार के बीच विवाद की खबरें सामने आती थीं। खासकर पंजाब सरकार के विधानसभा सत्र बुलाने और सरकार के विभिन्न विधेयकों को गवर्नर द्वारा मंजूरी नहीं मिलने को लेकर। बनवारी लाल पुरोहित ने कई बार भगवंत मान सरकार के विधानसत्र को मंजूरी नहीं दी और सत्र गैरकानूनी बताया। इसके बावजूद्द बुलाये गए सत्र में पास विधेयकों को मंजूर करने के लिए पुरोहित चिंता जताते रहे और स्पष्टीकरण मांगते रहे।

हालांकि, इस दौरान सीएम भगवंत मान, उनके मंत्री और आम आदमी पार्टी की तरफ से बनवारी लाल पुरोहित को इसके लिए कड़ा जवाब दिया गया। भगवंत मान सरकार ने अक्सर पुरोहित पर केंद्र सरकार और बीजेपी से प्रभावित होने और पंजाब सरकार के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया। इसके साथ ही मान सरकार ने गवर्नर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का भी बार-बार रुख किया। जिसके बाद बनवारी लाल पुरोहित और भगवंत मान सरकार के बीच की जंग पूरे देश ने देखी।

हेलीकाप्टर कभी यूज नहीं करने का किया था ऐलान

मान सरकार के साथ टकराव की स्थिति यहां तक बढ़ गई थी कि एक बार बनवारी लाल पुरोहित ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बड़ा ऐलान कर दिया था। पुरोहित ने कहा कि था, सीएम भगवंत मान कहते हैं कि पंजाब सरकार के दिए गए हेलीकाप्टर से मैं इधर-उधर घूम रहा हूं। वह मुझपर बेवजह के आरोप लगाते हैं। इसलिए मैं ऐलान करता हूं कि अब से जब तक मैं पंजाब में हूं, मैं पंजाब गवर्नर को मिलने वाला हेलीकाप्टर कभी यूज नहीं करूंगा।

पुरोहित ने कहा था कि, अगर मुझे कहीं जाना होगा तो मैं कार से या किसी और तरीके से चला जाऊंगा। इस दौरान पुरोहित ने अपने खर्चों के बारे में भी बात की थी. पुरोहित का कहना था, मैं वैसे भी ज्यादा खर्चा नहीं कराता। मेरे खर्चे बहुत कम हैं। गवर्नर बनने के बावजूद मैं बिजनेस क्लास में यात्रा नहीं करता। इकनॉमिक क्लास में जाता हूं।

मेरी चिट्ठियों को लव लेटर्स कहते हैं भगवंत मान

बनवारी लाल पुरोहित की भेजी चिट्ठियों को विधानसभा में सीएम भगवंत ने 'लव लेटर्स' कहा था। सीएम के इस बयान पर पुरोहित ने नाराजगी जताई थी। पुरोहित ने कहा था कि सीएम भगवंत मान अपनी गरिमा का ख्याल नहीं रख रहे हैं। वह मेरे प्रति गिरी हुई भाषा का इस्तेमाल करते हैं। ये शब्द हैं सीएम के गवर्नर के बारे में। विधानसभा में मेरा मजाक उड़ाया। मुझपर आरोप लगाए। मेरी चिट्ठियों को कहते हैं कि मैंने लव लेटर लिखे।

पुरोहित ने कहा कि, मुझे गरिमा का ख्याल रखना है और मैं सीएम भगवंत मान की तरह भाषा का इस्तेमाल नहीं करूंगा. उन्हें अगर और गिरी हुई भाषा बोलनी है तो बोलें। परन्तु मेरी चिट्ठियों का जवाब तो देना पड़ेगा। गवर्नर ने कहा था कि, मेरा काम संविधान की रक्षा करना है और मैं संविधान के हित में काम करते हुए जवाब मांगता रहूंगा. सुप्रीम कोर्ट भी यही आदेश है.

अब इस्तीफा मंजूर, विदाई हो गई, थम जाएगा टकराव

फिलहाल, बनवारी लाल पुरोहित का इस्तीफा मंजूर होने के साथ पंजाब में गवर्नर और भगवंत मान सरकार के बीच एक लंबा टकराव अब थम जाएगा। पुरोहित के इस्तीफे के साथ इस टकराव का अंत हो रहा है। वहीं अब देखना यह होगा कि, पंजाब के नए गवर्नर गुलाब चंद कटारिया के साथ भगवंत मान सरकार का कैसा तालमेल होता है।

बता दें कि, गुलाब चंद कटारिया राजस्थान के उदयपुर शहर से हैं। वह 1977 में राजस्थान के उदयपुर शहर सीट से पहली बार विधायक चुने गए थे। साल 1998 में उदयपुर छोड़कर बड़ी सादड़ी से चुनाव जीता था। कटारिया राजस्थान में शिक्षा मंत्री, पीडब्ल्यूडी मंत्री, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री सहित दो बार गृहमंत्री रहे हैं। वहीं कटारिया 2023 में असम के 31वें राज्यपाल बनाए गए थे।

अगस्त 2021 में पंजाब के गवर्नर बने थे बनवारी लाल पुरोहित

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने बनवारी लाल पुरोहित को पंजाब का गवर्नर नियुक्त किया था। पुरोहित से पहले वीपी सिंह बदनोर पंजाब गवर्नर थे। वहीं बनवारी लाल पुरोहित ने अगस्त 2021 में पंजाब के 29वें गवर्नर के रूप में शपथ ली थी। तब पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रवि शंकर झा ने पंजाब राजभवन में बनवारी लाल पुरोहित को पद की शपथ दिलाई थी। उस समय पंजाब में काँग्रेस की सरकार थी और कैप्टन अंरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री थे। कैप्टन अमरिन्दर सिंह के साथ बनवारी लाल पुरोहित का अच्छा ताल-मेल रहा।

बनवारी लाल पुरोहित ने पंजाब गवर्नर रहते 2 मुख्यमंत्रियों को शपथ दिलाई

बनवारी लाल पुरोहित ने पंजाब गवर्नर पद पर रहते हुए 2 मुख्यमंत्रियों को शपथ दिलाई। दरअसल, कांग्रेस में अंदरूनी उथल-पुथल के बीच कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सितंबर 2021 में पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। कैप्टन ने बनवारी लाल पुरोहित को ही अपना इस्तीफा सौंपा था। जिसके बाद कांग्रेस की तरफ से चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा की गई। इसके बाद पुरोहित ने चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी। वहीं मार्च 2022 में विधानसभा चुनाव के बाद जब पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो पुरोहित ने भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई।

पंजाब गवर्नर बनने से पहले तमिलनाडू के गवर्नर थे बनवारी लाल पुरोहित

पंजाब गवर्नर बनने से पहले बनवारी लाल पुरोहित तमिलनाडू के 14वें गवर्नर थे। पुरोहित के पास अक्तूबर 2017 से सितंबर 2021 तक तमिलनाडू के गवर्नर का कार्यभार रहा। वहीं इससे पहले बनवारी लाल पुरोहित असम के 25वें गवर्नर रहे। अगस्त 2016 में पुरोहित को असम का गवर्नर नियुक्त किया गया था। सितंबर 2017 तक वह असम गवर्नर का कार्यभार संभालते रहे. इसी बीच पुरोहित को मेघालय के 16वें गवर्नर का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था। पुरोहित के पास मेघालय गवर्नर का कार्यभार जनवरी 2017 से अक्तूबर 2017 तक रहा।

3 बार लोकसभा सांसद रहे बनवारी लाल पुरोहित

बनवारी लाल पुरोहित तीन बार लोकसभा सांसद रहे हैं। वह 1984, 1989 और 1996 में तीन बार नागपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। 1984 में, वह कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में 8वीं लोकसभा के लिए चुने गए। इसके बाद वह 1989 में कांग्रेस के टिकट पर दोबारा निर्वाचित हुए। इसके बाद वह वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए आंदोलन चलाया और 1991 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा। लेकिन वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दत्ता मेघे से हार गए।

मगर 1996 में, वह भाजपा के उम्मीदवार के रूप में 11वीं लोकसभा के लिए चुने गए। वहीं 1999 में, प्रमोद महाजन के साथ गंभीर मतभेद होने के बाद पुरहित ने भारतीय जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद पुरोहित ने 1999 में रामटेक से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। इसके बाद 2003 में पुरहित ने विदर्भ राज्य पार्टी नाम से अपनी पार्टी बनाई और 2004 में नागपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन फिर हार गए। इसके बाद में वह फिर से बीजेपी में शामिल हो गए और 2009 में, उन्होंने फिर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विलास मुत्तेमवार से चुनाव हार गए।

राजनीति में कैसे आए पुरोहित?

16 अप्रैल 1940 को राजस्थान में जन्मे पुरोहित ने अपनी स्कूली शिक्षा बिशप कॉटन स्कूल, नागपुर और राजस्थान से की. इसके बाद उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से वाणिज्य की डिग्री प्राप्त की. पुरोहित की राजनीति में काफी रुचि थी और उन्होंने महाराष्ट्र के पिछड़े क्षेत्र विदर्भ की हालत सुधारने के लिए चुनावी मैदान उतरने का फैसला किया। उन्होंने कांग्रेस (आई) के सदस्य के रूप में 1978 में नागपुर पूर्व क्षेत्र से और 1980 में नागपुर दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीता। 1982 में पुरोहित ने महाराष्ट्र सरकार में शहरी विकास, स्लम सुधार और आवास राज्य मंत्री के रूप में काम किया।

यहां आपको बता दें कि, पुरोहित मध्य भारत के सबसे पुराने अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र 'द हितवाद' के प्रबंध संपादक भी हैं। यह समाचार पत्र 1911 में गोपाल कृष्ण गोखले द्वारा लॉन्च किया गया था। पुरोहित को 1979 में सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी से नागपुर दैनिक समाचार पत्र द हितवाद का स्वामित्व प्राप्त हुआ। इसके अलावा पुरहित नागपुर में रामदेवबाबा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट के अध्यक्ष भी हैं। बेदाग छवि के पुरोहित की पहचान एक प्रख्यात शिक्षाविद्, प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता राष्ट्रवादी विचारक की रही है। उनके पास सार्वजनिक जीवन में चार दशकों से भी अधिक का अनुभव रहा है।