संत–महापुरुषों का गुणगान भक्ति, शक्ति व समृद्धि दिलाता है : राष्ट्रसंत वसंतविजयजी म.सा.
Rashtrasant Vasantvijayji M.S.
काशी कोतवाल भैरव उत्सव में पहुंचे संतोषदासजी महाराज का हुआ सत्कार
पूजा, जप, साधना–आराधना के साथ हवन यज्ञ में आहूतियों का क्रम जारी
मशहूर भजन गायक हंसराज रघुवंशी की भक्तिमय प्रस्तुतियों पर झूमे श्रद्धालु
वाराणसी। Rashtrasant Vasantvijayji M.S.: तुलसी वृक्ष न जानिए, गाय न जानिए ढोर, गुरु मनुष्य न जानिए यह तीनों नंदकिशोर..., पानी पीजे छान के, संत–गुरु बनाए जान के.. कुछ ऐसी ही अनेक पौराणिक पंक्तियों के साथ संतों एवं गुरु की महिमा का गुणगान(glorifying the glory of the guru) करते हुए श्रीकृष्णगिरी शक्तिपीठाधीपति, विश्वशांतिदूत, राष्ट्रसंत, सर्वधर्म दिवाकर पूज्यश्री वसंतविजयजी(Pujyashree Vasantvijayji) महाराज साहेब ने कहा कि संत की पहचान बातों से नहीं चर्या से होती है, उनकी चर्या ईश्वरमुखी होती है अर्थात वे निर्विकारी होते हैं। यही नहीं संत–महापुरुषों का गुणगान भक्ति, शक्ति, सुख–समृद्धि के साथ यश कीर्ति दिलाता है। शनिवार को वे यहां नरिया–सुंदरपुर स्थित रामनाथ चौधरी शोध संस्थान में काशी कोतवाल भैरव उत्सव के चौथे दिन श्रीभैरव महापुराण कथा में अपने अमृतमयी प्रवचन में त्रिकाल योगी भैरव देव के प्राकट्य एवं महिमा बताते हुए अविमुक्त क्षेत्र काशी की विशेषता तथा तैलंग स्वामीजी सरीखे अनेक महापुरुषों की महिमा पर विस्तार से प्रकाश डाल रहे थे। उन्होंने बताया कि भगवान विश्वनाथ एवं भगवती के आनंदवन नाम से मशहूर काशी–वाराणसी क्षेत्र है, जहां तीनों लोकों में पहुंच जाने वाले यमराज का भी प्रवेश निषेध है। यहां आकर हर व्यक्ति मोक्ष एवं मुक्ति को प्राप्त अर्थात कैलाश धाम में ही स्थान प्राप्त करता है।
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महंतश्री संतोषदासजी महाराज ने भी शिरकत की
आयोजन में आज स्थानीय सतुआ बाबा आश्रम के महंतश्री संतोषदासजी महाराज ने भी शिरकत की। इस दौरान अनेक संगीतमय भजन भक्ति की सुरमयी प्रस्तुतियों व शिव तथा भैरवदेव की दुर्लभ बीज मंत्रों की स्तुतियों के साथ पूज्यश्री वसंतविजयजी म.सा. ने बताया कि संतों के चरणों में अंतर भाव के फल मिलते हैं। संसार क्रियाओं की प्रतिक्रिया करता है जबकि संत एवं भगवान भक्ति की प्रतिक्रिया समृद्धि प्रदान करके करते हैं। उन्होंने बताया कि व्यक्ति की जीवनचर्या उसके गुण स्वभाव को प्रकट करती है। जीवन में श्रेष्ठता पाने के लिए अतृप्ति का लक्ष्य लेकर मेहनत के साथ-साथ एक सकारात्मक तरंग की तरफ से आगे बढ़ना चाहिए, सफलता निश्चित मिलेगी। भैरव देव के सिद्ध साधक संत, मंत्र शिरोमणि पूज्यश्री वसंतविजयजी महाराजा ने आयोजन स्थल पर स्थापित आठ दिशाओं के अष्ट भैरव देव के दर्शन की विशेष महत्ता व महिमा पर भी प्रकाश डाला। पूज्य गुरुदेवजी की निश्रा में सुबह के सत्र में पूजा, जप, साधना आराधना व शाम के सत्र में श्रीदेवी मां पद्मावती–भैरव देव की प्रसन्नता के लिए दक्षिण भारत के 30 विद्वान पंडितों के माध्यम से हवन यज्ञ में आहुतियां दी जा रही है। रात्रि में मशहूर भजन गायक कलाकार हंसराज रघुवंशी ने एक से बढ़कर एक शिवमय माहौल में संगीतमय प्रस्तुतियां देकर देश–विदेश से आए हजारों श्रद्धालुओं को काशी में तालियों की गूंज के साथ झूमने पर मजबूर कर दिया। इस मौके पर संतोषदासजी महाराज का श्रीपार्श्व पद्मावती सेवा ट्रस्ट के डॉ संकेश जैन, राजू सोनी, डॉ रितेश नाहर, सुरेश जैन आदि ने माल्यार्पण कर, गुरु महिमा साहित्य व मेमेंटो भेंट कर स्वागत सत्कार किया।
"आज जीवन धन्य हुआ, वसंतगुरुजी के भक्तों को भी प्रणाम"
22 वर्षों के काशी प्रवास में संतत्व जीवन में आज यहां काशी कोतवाल भैरव उत्सव की भाव भंगिमा देखकर मन पहली बार प्रफुल्लित हुआ है। साक्षात शिव एवं भैरव स्वरूप श्रृंगार में राष्ट्रसंत पूज्यश्री वसंतविजयजी महाराज साहेब की तप, साधना अद्वितीय दर्शनीय है जो कि अलौकिकता प्रदान कर रही है। इनके चरणों को वंदन करते हैं, व देश और दुनियाभर से आए समस्त वसंतगुरुभक्तों को हम प्रणाम करते हैं। यह विचार सतुआ बाबा आश्रम काशी के संतोषदासजी महाराज ने व्यक्त किए। पूज्य श्री की निश्रा में अपने संक्षिप्त संदेश में संतश्रीजी से आशीर्वाद लेकर संतोषदासजी महाराज बोले, जहां साधना के शिखर पुरुष रूपी ऐसे गुरुओं के चरण पड़े वहां स्वयं ब्रह्म भी पहुंच जाते हैं। उन्होंने कहा कि भैरव देव के श्रृंगार रस की अद्भुत अमृतवर्षा अभिभूत करने वाली है। वे स्वयं का उदाहरण देते हुए बोले कि काशी की मिट्टी किसी को भक्त तो बनाती है गुरु बना देती है व श्रेष्ठ पदवी का सम्मान भी दिला देती है। आयोजन स्थल पर स्वयं की उपस्थिति को धन्य बताते हुए संतोषदासजी महाराज ने यह भी कहा कि बाबा विश्वनाथजी से प्रार्थना करते हैं है कि पूज्यश्री वसंतविजयजी महाराज जैसे महापुरुषों का जन्म पृथ्वी पर इसी प्रकार दिव्य अवतार के रूप में होते रहना चाहिए।