पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम का भंडाफोड़ कर तीन आरोपी सदस्यों को और किया काबू

पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम का भंडाफोड़ कर तीन आरोपी सदस्यों को और किया काबू

Police Busted the Digital Arrest Scam

Police Busted the Digital Arrest Scam

रंजीत शम्मी चंडीगढ़। Police Busted the Digital Arrest Scam: यूटी पुलिस के थाना साइबर सैल के डीएसपी ए वेंकटेश की टीम ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम का भंडाफोड़ कर तीन और आरोपी सदस्यों को और गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियो की पहचान हरियाणा के जिला सिरसा के रहने वाले 21 वर्षीय अवतार सिंह,25 वर्षीय अमृत पाल सिंह और 24 वर्षीय सुनील कुमार के रूप में हुई है। पुलिस ने अब तक रिटायर्ड कर्नल डिजिटल अरेस्ट स्कैम मामले में कुल 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।दो आरोपियों को पुलिस ने हाल ही में गिरफ्तार किया था। पकड़े गए उक्त आरोपियो के खिलाफ धारा 308, 319(2), 318(4), 336(3), 338, 340(2), और 61(2) बीएनएस के संबंध में थाना साइबर सैल में एक अप्रैल को मामला दर्ज है।

आरोपी की भूमिका - आरोपी अमृतपाल सिंह और सुनील कुमार ने अवतार सिंह को उसके नाम से बैंक में खाता खोलने के लिए राजी किया। खाता चालू होने के बाद, उन्होंने इसका इस्तेमाल साइबर धोखाधड़ी के माध्यम से प्राप्त 9.40 लाख रुपये की ठगी की गई राशि प्राप्त करने के लिए किया।अवतार के खाते में धनराशि जमा होने के बाद,अमृतपाल और सुनील ने नकद राशि निकाल ली। कुल राशि में से उन्होंने 1% कमीशन के रूप में अपने पास रख लिया और शेष नकदी किसी अन्य संदिग्ध व्यक्ति को सौंप दी।

क्या था मामला।

चंडीगढ़ निवासी रिटायर्ड कर्नल दिलीप सिंह को डिजिटल अरेस्ट स्कैम के माध्यम से 3 करोड़ 41 लाख रुपये की ठगी का शिकार होना पड़ा। 18 मार्च 2025 को उन्हें एक नबर से एक कॉल आया। जिसमें कॉलर ने झूठा दावा किया कि उनके नाम पर एक वर्चुअल अकाउंट खोला गया है।और वीडियो कॉल के माध्यम से एटीएम कार्ड दिखाया। अगले दिन, कॉलर ने आरोप लगाया कि उसका अकाउंट जेल में बंद व्यवसायी नरेश गोयल से जुड़े 2 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ा हुआ है।और उस पर 20 लाख रुपये कमीशन लेने का आरोप लगाया। सुप्रीम कोर्ट के फर्जी गिरफ्तारी आदेश का उपयोग करके धमकी और दबाव में, शिकायतकर्ता को लगातार वीडियो कॉल पर रखा गया और विभिन्न बैंक खातों में राशि ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया था।

डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी को रोकने के लिए सुझाव:

अज्ञात कॉल पर भरोसा न करें- उचित वेरीफाई के बिना पुलिस, सरकार या वित्तीय संस्थानों से होने का दावा करने वाले कॉल करने वालों पर कभी भी विश्वास न करें - खासकर अगर वे डर की रणनीति का इस्तेमाल करते हैं।

लगातार वीडियो कॉल पर न रहें- स्कैमर्स आपको अलग-थलग करने के लिए वीडियो कॉल पर रख सकते हैं। फ़ोन काट दें और तुरंत मदद लें।

कोई भी कानूनी एजेंसी कॉल पर पैसे नहीं मांगती- पुलिस, ईडी या सीबीआई कभी भी फ़ोन कॉल या वीडियो कॉल पर पैसे नहीं मांगती। गिरफ़्तारी या जाँच कभी भी डिजिटल तरीके से नहीं होती।

दावों को स्वतंत्र रूप से वेरीफाई करें- अगर कोई आपको गिरफ़्तारी वारंट,अदालती आदेश या पहचान पत्र दिखाता है, तो संबंधित आधिकारिक विभागों से सीधे संपर्क करके उन्हें क्रॉस-वेरिफाई करें।

दबाव में पैसे न ट्रांसफर करें- कभी भी डर के मारे पैसे न ट्रांसफर करें। कोई भी असली एजेंसी "गिरफ़्तारी रोकने" के लिए भुगतान नहीं मांगेगी।

संदिग्ध गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करें- साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें या www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें।

व्यक्तिगत जानकारी के साथ सतर्क रहें- ऑनलाइन या कॉल पर किसी अनजान व्यक्ति के साथ बैंक खाते का विवरण, ओटीपी या पहचान पत्र साझा न करें।

यूटी थाना साइबर सैल पुलिस।