पीएम मोदी ने फोन पर की सीएम धामी से बात, हालात का लिया जायजा, पूछे ये सवाल
Joshimath Sinking
Joshimath Sinking: उत्तराखंड के जोशीमठ में लगातार हो रहे भू-धंसाव(Sinking) ने चिंता बढ़ा दी है। घरों पर दरारें आने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय(The Office of the Prime Minister) ने एक उच्च स्तरीय बैठक(high level meeting) बुलाई है। वहीं सीएम धामी ने आज पीएम मोदी को फोन पर जोशीमठ के ताजा हालात(current situation) के बारे में बताया। सीएम धामी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने जोशीमठ के संदर्भ में दूरभाष के माध्यम से वार्ता कर प्रभावित नगरवासियों की सुरक्षा व पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों एवं समस्या के समाधान के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक कार्य योजना की प्रगति के विषय में जानकारी ली।
बता दें, लगातार धंसते जा रहे जोशीमठ को बचाने के लिए अब पूरी सरकारी मशीनरी सक्रिय है। टीम निरीक्षण कर रही है। टीम के साथ पहुंचे गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार ने अमर उजाला से विशेष बातचीत की। उन्होंने इस बात को स्वीकारा कि स्थिति गंभीर है और तेजी से काम करने की जरूरत है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस नेता हरीश रावत भी जोशीमठ का दौरा करने जाएंगे।
जोशीमठ के डेढ़ किलोमीटर भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है। भू-धंसाव का अध्ययन करके आई विशेषज्ञ समिति ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है। समिति ने ऐसे भवनों को गिराए जाने की सिफारिश की है, जो पूरी तरह से असुरक्षित हैं। प्रभावित परिवारों के लिए फेब्रिकेटेड घर बनाए जाएंगे।
समिति के अध्यक्ष और सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा के मुताबिक, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) 10 जनवरी तक इसके डिजाइन देगा और वेंडर भी बताएगा। साथ वह जोशीमठ में बने भवनों का अध्ययन करेगा और वहां किस तरह के भवन बनाए जा सकते हैं, इस बारे में अपनी रिपोर्ट देगा।
समिति की प्रमुख सिफारिशें
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी को जोशीमठ में रिस रहे पानी की जांच करने का जिम्मा दिया गया है। वह पानी के मूल स्रोत का पता लगाएगा।
- जोशीमठ की वहन क्षमता का तकनीकी अध्ययन होगा। आईआईटी रुड़की इसके लिए अपनी टीम अध्ययन के लिए भेजेगा। टीम पता लगाएगी कि वास्तव में नगर की वहन क्षमता कितनी होनी चाहिए?
- वहां मिट्टी की पकड़, भूक्षरण को जानने के लिए विस्तृत भू तकनीकी जांच होगी। जरूरत पड़ने पर नींव की रेट्रोफिटिंग का भी अध्ययन होगा। यह काम आईआईटी रुड़की करेगा।
- समिति का मानना है कि जियो फिजिकल स्टडी का नेचर जानना जरूरी है, यह काम वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान को दिया जाएगा।
- वहां हो रहे भू-कंपन की रियल टाइम मानीटरिंग होगी। इसके लिए वहां सेंसर लगाए जाएंगे। हिमालय भू विज्ञान संस्थान यह काम करेगा।
- असुरक्षित भवनों से शिफ्ट किए गए प्रभावितों के लिए स्थायी शिविर तैयार होंगे। स्थायी शिविर तैयार करने का जिम्मा सीबीआरआई को दिया जाएगा।
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