जब इबादत खुदा तक पहुंचती है, तो घुँघरू टूटने पर भी जारी रहता है नृत्य
जब घुंगरू टूट गए पर नृत्य फिर भी जारी रहा
चंडीगढ़ : 29 जुलाई, 2023: (कार्तिका सिंह/अर्थ प्रकाश) :: साल 1987 में फिल्म आई थी 'परम धर्म', जिसका एक गीत बहुत चर्चित हुआ था। जिसके बोल थे, 'मोहे आई न जग से लाज; मैं इतना ज़ोर से नाची आज; के घुँघरू टूट गए', ये तो फिल्म थी, जिसमें कहानी को किस ओर मोड़ देना है, ये निर्देशक के हाथ में होता है। जिस में परदे वाला इश्क़ भी बाज़ारू होता है और घुँघरू का टूटना भी कहानी का ही हिस्सा होता है। लेकिन असल ज़िन्दगी में जब इश्क़ होता है तो घुँघरू सच में भी टूटते हैं। उनकी आवाज़ भी चहुंओर गूंजती है। ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला एम् एल कौसर ऑडिटोरियम में। जहाँ कत्थक की नृत्यांगना इतनी शिद्दत से नाची कि सच में ही उसके घुंघरू टूट गए। घुँघरू टूट गए फ़िर भी नृत्य ज़ारी रहा। नृत्य के लिए इतनी शिद्दत भी ईश्वर की आराधना का ही एक तरीका है। अगर दुनियाविबिश मतलब इश्क मजाजी में घुंगरू टूटें तो समस्या खड़ी हो सकती है लेकिन अगर इश्क हकीकी में घुंगरू टूटे तो खुदा अपने भक्तों की लाज रख लेता है। इसे पूरी तरह से निभाया कज़ाकिस्तान की लुनारा ने, जो कि अभी प्राचीन कला केन्द्र से भारतीय शास्त्रीय नृत्य में प्रशिक्षण ले रही हैं। उनके साथ ही उनकी बाकी दो साथी रमीना, जो कि कज़ाकिस्तान से ही हैं और बांग्लादेश से आये हुए नाहयान चौधरी। नाहयान ने सांसों पर अपनी पकड़ को मज़बूत करते हुए, कत्थक की अद्भुत प्रस्तुति दी। इस कत्थक नृत्य से पहले उन्होंने बांग्लादेशी नृत्य "नौका" भी खूबसूरत अंदाज़ में पेश किया।
"Know India cultural exchange programme 2023" का सफल आयोजन
दरअसल ये पूरा रंगारंग कार्यक्रम प्राचीन कला केंद्र एवं एक्ट यूनिवर्सल दुबई के संयुक्त तत्वाधान में "Know India cultural exchange programme 2023" के तहत आयोजित किया गया जिस में दुबई की संस्था 'एक्ट यूनिवर्सल' एवं 'प्राचीन कला केंद्र' के गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत सीख रहे विदेशी बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश करके दर्शकों को मोहित कर दिया। इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करके प्राचीन कला केंद्र कला की दुनिया में सफलता के नए आयाम लिख रहा है। इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्र के एम एल कौसर सभागार में सायं 4 बजे से किया गया। इस कार्यक्रम को आयोजित करने में जानी मानी कत्थक नृत्यांगना एवं केंद्र की डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ समीरा कौसर ने विशेष भूमिका अदा की।
पारम्परिक द्वीप प्रज्वलन के पश्चात गणेश वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की गई। उसके बाद केंद्र में कत्थक की शिक्षा ले रही कज़ाकिस्तान की लुनारा द्वारा एक कज़ाक़स्तानी भक्ति नृत्य पेश किया गया। उपरांत बांग्लादेश के नाहयान चौधरी द्वारा बांग्लादेशी नृत्य "नौका " पेश किया गया। उसके उपरांत रमीना द्वारा एक खास कज़ाक़स्तानी क्षेत्रीय नृत्य ओघीयर पेश किया गया जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
इसी के साथ ही बांग्लादेश से आयी हुई शौरीन बहुत ही मधुर आवाज़ में मालकौंस राग पर आधारित गीत 'मन तड़पत हरी दर्शन को आज' पेश किया। उनकी आवाज़ के जादू ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। राग एवं सुर पर पकड़ के साथ ही, उनके हृदय से निकलते रस ने प्रभु मिलाप की तड़पन को बख़ूबी रूप से प्रदर्शित किया। इश्क़ की शिद्दत के बिना ऐसी तड़प आवाज़ में अपने आप नहीं आ सकती, ये शौरीन ने बहुत ही सही अर्थों में साबित किया।
दुबई, यू ऐ ई से आयी 2 बहनों विजया झा और भव्या झा ने भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित बहुत ही खूबसूरत रचना को पेश किया। दोनों बच्चियों की जुगलबंदी देखने लायक थी। सुर पर पकड़ और राग की समझ उनके चेहरे से होते हुए, उनकी आवाज़ में से पूर्ण तौर पर झलक रही थी।
जानी-मानी नृत्यांगना रोहिणी जी और उनकी पूरी टीम की प्रस्तुति क़ाबिल-ऐ-तारीफ थी। दुबई के बच्चो द्वारा भरतनाट्यम नृत्य पेश किया गया जिस में भरतनाट्यम का तकनीकी पक्ष अल्लारीपु पेश किया गया। मोर की चंचलता, उसकी चाल, उसके तौर-तरीके पर आधारित इस नृत्य को एक अलग ही बढ़ंग से प्रस्तुत किया गया। प्रमाण पत्र लेते समय भी ये नृत्यांगनाएं अपने ही अंदाज़ में झुककर गुरु माँ शोभा कौसर जी से आशीष ले रही थी।
इस उपरांत दुबई के बच्चों द्वारा पारम्परिक नृत्य खलीजी पेश किया गया जिस में पारंपरिक एवं मॉडर्न नृत्य का समावेश है, इसके बाद कार्यक्रम को संगीतमयी रंग में रंगा गया। सबसे पहले केंद्र में संगीत सीख रही बांग्लादेश की शौरीन ने राग मालकौंस में निबद्ध एक रचना पेश की। उपरांत दुबई से आयी कलाकार द्वारा कर्नाटक संगीत में राग हिंडोल में निबद्ध एक रचना पेश की गई। इसके बाद केंद्र के बच्चों द्वारा कत्थक नृत्य पेश किया गया।
कार्यक्रम के अंत में बच्चों को सर्टिफिकेट भीं प्रदान किये गए । इस कार्यक्रम में केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ शोभा कौसर एवं डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ समीरा कौसर भी उपस्थित थी और दुबई से आये श्री आलोक कुमार ने कार्यक्रम का संचालन किया।