एक और मील का पत्थर: पीजीआई के ओटोलरींगोलॉजी विभाग ने पहला ऑडीटरी ब्रेनस्टेम इंप्लांट किया
एक और मील का पत्थर: पीजीआई के ओटोलरींगोलॉजी विभाग ने पहला ऑडीटरी ब्रेनस्टेम इंप्लांट किया
ब्रेनस्टेम इंप्लांटेशन उन रोगियों में किया जाता है जिनमें कोक्लीआ और कॉक्लियर नर्व (तंत्रिका) या तो अनुपस्थित हैं या अच्छी तरह से काम नहीं कर रही
-बच्चे पर किया गया पहला इंप्लांट
चंडीगढ़, 29 अगस्त (साजन शर्मा)
PGIS Department : पीजीआई ने सोमवार को अपनी प्रोफ़ाइल में एक और बड़ा मील का पत्थर जोड़ा। ओटोलरींगोलॉजी विभाग ने ऑपरेशन के साथ ऑडीटरी (श्रवण) ब्रेनस्टेम इंप्लांट कार्यक्रम शुरू किया, जो देश के इस हिस्से में पहली बार ऑडीटरी (श्रवण) ब्रेनस्टेम इंप्लांट है। यह इंप्लांट एक बच्चे पर किया गया।
जटिल सर्जरी के बारे में विस्तार से बताते हुए, पीजीआई के ओटोलरींगोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नरेश पांडा ने बताया कि विभाग पिछले 19 वर्षों से एक सफल कॉक्लियर इंप्लांट प्रोग्राम चला रहा है। हालांकि, ऑडीटरी (श्रवण) ब्रेनस्टेम इंप्लांटेशन उन रोगियों में किया जाता है जिनमें कोक्लीआ और कॉक्लियर नर्व (तंत्रिका) या तो अनुपस्थित हैं या अच्छी तरह से काम नहीं कर रही हैं। वयस्कों में, द्विपक्षीय ध्वनिक न्यूरोमा को हटाने के बाद व्यक्तियों पर श्रवण ब्रेनस्टेम इंप्लांट सर्जरी की जाती है जिसमें दोनों ऑडीटरी नर्व (श्रवण तंत्रिका) कार्यात्मक नहीं हो सकती हैं। श्रवण ब्रेनस्टेम इंप्लांट कोक्लीअ और कॉक्लियर नर्व को बायपास करता है, और इंप्लांट को ब्रेनस्टेम में रखा जाता है। इस जटिल सर्जरी को डॉ. नरेश पांडा (ईएनटी), डॉ प्रवीण सालुंके (न्यूरोसर्जरी), डॉ संजय मुंजाल, डॉ. पारुल सूद (ऑडियोलॉजी) और डॉ निधि पांडा और डॉ. बबीता घई ( एनेस्थीसिया), प्रो. मोहन कामेश्वरम, प्रो. एमसी वासुदेवन, और चेन्नई के प्रो. रंजीत राजेश्वरन की देखरेख में किया गया। डॉ कामेश्वरम और डॉ वासुदेवन को देश में श्रवण ब्रेनस्टेम इंप्लांट सर्जरी करने का एक बड़ा अनुभव है।