केरल के लोग हो रहें है म्यूरिन टायफस के शिकार, जाने इस बीमारी के लक्षण और उपचार
2020 में आई महामारी कोरोना के बाद पूरी दुनिया में लोगों के अंदर बीमारी को लेकर दहशक फैल गया है। अभी हाल ही में केरल में एक 75 वर्षीय व्यक्ति में म्यूरिन टायफस की पहचान की गई है, सोचने वाली बात यह है कि आखिर यह बीमारी है क्या जिसने केरल के लोगों में डर का माहौल पैदा कर दिया है। तो चलिए पूरे विस्तार से आपको म्यूरिन टायफाउस के बारे में जानकारी देते हैं।
क्या है म्यूरिन टायफस?
केरल के एक व्यक्ति को हाल ही में म्यूरिन टायफस नामक एक दुर्लभ रोगजनक जीवाणु रोग होने का पता चला। यह आमतौर पर पिस्सू जनित बैक्टीरिया रिकेट्सिया टाइफी के कारण होता है, और संक्रमित पशु द्वारा मनुष्य को काटे जाने पर फैलता है। इस बीमारी के अन्य नाम में पिस्सू जनित टायफस, पिस्सू जनित धब्बेदार बुखार और स्थानिक टायफस शामिल है। यह बीमारी चूहा और नेवले द्वारा फैलाई जाती है। बीमारी फैलाने वाले पशु कभी-कभी कुत्तों और बिल्लियों जैसे पालतू जानवरों में भी पाया जा सकता है।
म्यूरिन टायफस के लक्षण
इस बीमारी के कई लक्षण देखने को मिलते हैं जिनमें पूरे बदन में दर्द आम बात है। इसके अलावा:
- शरीर और मांसपेशियों में दर्द
- पेट दर्द
- खांसी
- सिर दर्द
- बुखार जी मचलना
- उल्टी आना
- और पूरे शरीर में दाने होना आम बात है।
इसके अलावा कुछ लोगों को गंभीर बीमारी का अहसास भी हो सकता है। वैसे कई मामलों में एंटीबायोटिक दवाईयों के इस्तेमाल से इस बीमारी को ठीक किया जाता है साथ ही सीडीसी का कहना है कि अगर बीमारी का तुरंत इलाज नहीं किया जाता है तो कुछ रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है, ज्यादा लेट करने पर मृत्यु होने की भी संभावना रहती है।
कैसे करें म्यूरिन टायफस से बचने के उपाय
पिस्सू के संपर्क से बचने से म्यूरिन टायफस होने का जोखिम काफी कम हो जाता है। इसके साथ ही पालतू जानवरों को कीड़े मकोड़े से मुक्त रखने के लिए कॉलर, मौखिक गोलियां या सामूहिक उपचार सहित उपयुक्त पशु नियंत्रण विकल्पों के बारे में पशु चिकित्सक से परामर्श जरूर करना चाहिए। इसके अलावा चूहों को दूर रखने के लिए अपने घर को साफ सुथरा जरूर रखें इसमें खाने को एयर टाइट कंटेनर में रखना, मलवा हटाना और खुले स्थानों को सील करना भी शामिल है, साथ ही आवारा जानवरों से भी दूर रहे।
म्यूरिन टायफस का उपचार क्या है?
फिलहाल म्यूरिन टाइफाइड के लिए कोई टीका नहीं है सीडीसी का कहना है कि इसके इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक डॉक्सीसाइक्लिन सभी उम्र के लोगों के लिए सुरक्षित है। सर्वोत्तम परिणाम के लिए लक्षण दिखाई देने पर एंटीबायोटिक तुरंत दी जानी चाहिए क्योंकि तत्काल उपचार से शीघ्र स्वस्थ होने में मदद मिलती है।