चलने फिरने में असमर्थ रोगियों को उनके घर द्वार पर देखभाल तथा बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाई जाए इसीलिए जेरीएट्रिक होम केयर देने वाला प्रदेश का पहला जिला बना कांगड़ा, इन रोगियों को लाभ
- By Arun --
- Tuesday, 18 Jul, 2023
Patients who are Unable to Walk should be Provided Care and Better Health Care at their DoorStep, Ka
कांगड़ा:कांगड़ा जिला में सेहत सेवा अभियान के तहत वरिष्ठ नागरिकों, चलने फिरने में असमर्थ रोगियों को उनके घर द्वार पर देखभाल तथा बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाई जाएगी। इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत जिला के तीन चिकित्सा खंडों की 189 गांवों में 378 देखभाल सहायक एवं मेडिकल तकनीशियन प्रशिक्षित किए जाएंगे। जेरीएट्रिक केयर हेल्प सर्विस देने वाला कांगड़ा जिला प्रदेश का पहला जिला है, जहां इस तरह की पहल की गई है।
इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से रेड क्रॉस सोसायटी, स्वास्थ्य विभाग तथा एजुकेयर के सहयोग से पायलट आधार पर तीन चिकित्सा खंडों शाहपुर, त्यारा, नगरोटा बगवां में जेरीएट्रिक होम केयर प्रबंधन प्रणाली विकसित करने का प्लान तैयार किया गया है।
सोमवार को एनआईसी सभागार में सेहत सेवा अभियान के जेरीएट्रिक होम केयर प्रबंधन प्रणाली के पायलट प्रोजेक्ट की कार्य योजना तैयार करने के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त डा. निपुण ने इस पहल की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत कांगड़ा जिला के तीन चिकित्सा खंडों की 189 गांवों में 378 देखभाल सहायक एवं मेडिकल तकनीशियन प्रशिक्षित किए जाएंगे।
ग्रामीण क्षेत्र में सीनियर सिटीजन तथा चलने-फिरने में असमर्थ रोगियों को घर द्वार पर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाई जा सके। उपायुक्त डा. निपुण जिंदल ने कहा कि बुजुर्गों और जरूरतमंद लोगों के स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल सुनिश्चित होगी। (एचडीएम)
क्या है जेरीएट्रिक केयर हेल्प सर्विस
जेरीएट्रिक केयर हेल्प सर्विस बुजुर्गों की हेल्थकेयर, होम केयर, हाउसिंग, डे केयर जरूरतों को पूरा करती है। प्रशिक्षित देखभाल सहायक बुजुर्गों तथा चलने फिरने में असमर्थ रोगियों की बिलकुल नियोजित तरीके से देखभाल करते हैं, ये प्रोफेशनल्स बुजुर्गों के अकेलेपन को काफी नजदीक से समझते हैं। ये उनको मानसिक और शारीरिक रूप से सक्रिय करने के लिए समय-समय पर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे तथा हर गतिविधि को लगातार मॉनिटर किया जाएगा। बुजुर्गों के आदत, खान-पान के तरीके या फिर व्यवहार में हो रहे बदलाव के बारे में परिवार के सदस्यों को समय-समय पर अवगत करवाएंगे। शूगर, बीपी, यूरेन जैसे टेस्ट भी घर द्वार पर ही करने की सुविधा प्रशिक्षित देखभाल सहायकों द्वारा किया जाता है।
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