Pakistan condition bad
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Editorial: पाकिस्तान के हालात खराब, सीखना होगा सबक

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Pakistan condition bad पाकिस्तान के पेशावर में आत्मघाती हमले में 100 से ज्यादा लोगों की मौत बेहद दुखद है, लेकिन पाक के लिए यह सबक सीखने का समय है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो देश अपने पड़ोसी के साथ आतंक का खेल कर रहा है, वही इस तरह के भयानक आत्मघाती हमलों का शिकार हो रहा है। पाकिस्तान की आर्थिक हालत भी इस समय बेहद नाजुक है, बावजूद इसके देश मेें सुधारात्मक कदम उठाए जाने के विपरीत ऐसी घटनाएं अंजाम दी जा रही हैं, जोकि उसके समेत पूरे एशिया महाद्वीप के लिए संकट का सबब है।

गौरतलब है कि इस हमले के बावजूद पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां और राजनयिक ऐसे बयान दे रहे हैं, जोकि उसकी कुंठा को दर्शाते हैं। पाकिस्तान Pakistan में हैरानी जताई जा रही है कि आखिर क्यों उसे निशाना बनाया गया है। फिर यह भी कहा गया है कि लग रहा है कि इस हमले का उद्देश्य उसे एक ताकत के रूप में गिराना था। सवाल पूछा जा सकता है कि आखिर आर्थिक रूप से तंगहाल, अल्पसंख्यकों के मामले में लगातार आरोप झेल रहा पाकिस्तान किस प्रकार से एक ताकत है।

गौरतलब है कि पाकिस्तान की सेना army of pakistan अपनी जनता को लगातार भारत विरोधी खुराक देती आई है। उसने यही दर्शाया है कि पाकिस्तान के स्थाई शत्रु भारत से केवल वह उनकी रक्षा कर सकती है। पाकिस्तानी जनता भी एक बड़ी हद तक उसके इस प्रचार को स्वीकार करती है। इससे फौज को न केवल देश की भारत नीति तय करने का अधिकार मिल जाता है, अपितु अपने व्यापक वाणिज्यिक एवं आर्थिक उपक्रमों से वह बड़ा लाभ भी कमाती है। पाकिस्तान की अफगानिस्तान के मामलों में दखल और खैबर पख्तूनख्वा आदि में जारी संघर्ष भी देश के हालात को खराब करने का आधार बन रहा है। सबसे बड़ी चुनौती खराब आर्थिक हालात से बाहर निकलने की है। इसकी भी चिंता है कि पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर पहुंच रहा है।

दरअसल, पाकिस्तान पहुंची अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की टीम ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सामने जो शर्तें रखी हैं, उन्हें मानना उनके लिए आसान नहीं है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि अगर शर्तों को माना गया तो सरकार अलोकप्रियता का नया दर्जा हासिल कर लेगी और अगर वह शर्तों से मना करते हैं तो देश के दिवालिया होने का खतरा है। ऐसे में पाकिस्तान की स्थिति एक ओर कुआं, दूसरी ओर खाई जैसी हो गई है।

हालांकि इन हालात में भारत के लिए सावधान रहने का समय है। न जाने पाकिस्तान इन हालात से बाहर कैसे निकलेगा, लेकिन देश के बिगड़ते हालात इस ओर इशारा कर रहे हैं कि अगर देश के हुक्मरानों ने अपने यहां निर्णायक बदलाव के लिए कदम नहीं उठाया तो यह पाकिस्तान की जनता और वैश्विक समाज के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है।

विश्लेषक मानते हैं कि पाकिस्तान की अस्थिरता से भारत अप्रभावित रहे तो इसके लिए समय रहते आवश्यक कदम उठाने होंगे। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि एक अस्थिर और अराजक पाकिस्तान अपने पड़ोसी देशों खासकर भारत के लिए ज्यादा खतरनाक है। इसके अलावा यह भी समस्या है कि पाकिस्तान एक परमाणु हथियार संपन्न देश है और उसके यहां आतंकियों की फैक्ट्री चल रही हैं। इन फैक्ट्रियों में न जाने कितने आतंकी प्रशिक्षण लेकर  दुनिया के लिए खतरा खड़ा कर रहे हैं। अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देश इस बात को बखूबी समझते हैं कि अगर पाकिस्तान में परमाणु हथियार आतंकियों के हाथों में पड़ जाएं तो यह किस प्रकार दुनिया के लिए तबाही मचाने वाली बात होगी। जेहादी आतंकवाद इस समय चरम पर है, अमेरिका इसका दंश भुगत चुका है वहीं दूसरे देशों में भी इसकी विभीषिका झेली जा चुकी है।

इस समय तंगहाल पाकिस्तान के लिए दुनिया के सभी बड़े देशों से आर्थिक मदद मिलने के रास्ते बंद हो गए हैं। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की शर्तों के सामने घुटने टेकने के अलावा उसके पास कोई चारा बाकी नहीं रहा है। ऐसा भी आकलन है कि तंगहाल पाकिस्तान की हालत बहुत जल्द श्रीलंका जैसी हो सकती है। ऐसी रिपोर्ट हैं कि फरवरी में पाकिस्तान की ईंधन आपूर्ति ठप हो सकती है। कारोबार और विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट के चलते बैंकों ने आयात के लिए भुगतान बंद कर दिया है।

ऐसे में यह आवश्यक है कि पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिले, उसके पास इस समय तीन हफ्ते के आयात के लिए विदेशी मुद्रा बची है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान सरकार के समक्ष ईंधन और बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी घटाने, स्थानीय मुद्रा एक्सचेंज रेट को बाजारोन्मुखी करने आदि की शर्तें रखी हैं। पाक सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह रेवड़ी संस्कृति पर रोक लगाकर देश को बचाए। 

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