जैन जीव दया केन्द्र में लाये गये चाईनीज़ डोर से घायल मोर, उल्लु व बगुला

जैन जीव दया केन्द्र में लाये गये चाईनीज़ डोर से घायल मोर, उल्लु व बगुला

जैन जीव दया केन्द्र में लाये गये चाईनीज़ डोर से घायल मोर

जैन जीव दया केन्द्र में लाये गये चाईनीज़ डोर से घायल मोर, उल्लु व बगुला

ईलाज के बाद स्वस्थ होने के बाद जंगल में छोड़ा

यमुनानगर, 2 फरवरी (आर. के. जैन):
विभाग व प्रसाशन द्वारा लोगों से लगातार अपील की जा रही है कि पतंग उड़ाने के लिये चाईनीज़ डोर का प्रयोग न करे, क्योंकि यह डोर बहुत ही घातक सिद्ध हो रही है। इस डोर की चपेट में आने से पशु-पक्षियों के साथ-साथ लोग भी घायल हो रहे है। घायल तथा बीमार पक्षियों के ईलाज़ एवं सेवा को लेकर भारतीय जैन मिलन ने मानवता की अनोखी मिसाल प्रस्तुत की है। मिलन द्वारा पक्षियों के निशुल्क ईलाज के लिये एक अस्पताल स्थापित किया गया है। यमुना किनारे स्थित शमशान भूमि में बनाये गये इस जीव दया केन्द्र में सभी प्रकार के पक्षियों का ईलाज किया जा रहा है। इस केन्द्र की स्थापना भागवान महावीर स्वामी के जियो और जीने दो के पवित्र उद्देश्य को लेकर की गई है।

जैन जीव दया केन्द्र में लाये गये चाईनीज़ डोर से घायल मोर, उल्लु व बगुला

शाखा प्रधान महेश जैन व केन्द्र संयोजक संदीप जैन ने बताया कि केन्द्र में लगभग 10 पक्षी प्रतिदिन ईलाज के लिये लाये जाते है और लगभग 350 पक्षियों का ईलाज प्रति माह किया जा रहा है, और इन पक्षियों के स्वस्थ होने पर उन्हे खुले आसमान में छोड़ दिया जाता है। केन्द्र में डाक्टर व स्टाफ अपनी सेवा निरंतर दे रहे है। घायल व बीमार पक्षियों को पूर्ण चिकित्सा के पश्चात स्वस्थ पक्षियों को पुन: आकाश में स्वतंत्र उड़ान भरने के लिये छोड़ दिया जाता है। सहयोगी सुशील जैन व आशीष जैन ने कहा कि यह अस्पताल समाज के सहयोग से लगभग 40 लाख रुपये की लागत से तैयार किया गया है। उन्होंने सभी जिलावासियों से अपील करते हुये कहा कि आस-पास के  किसी भी क्षेत्रों में कोई घायल व बीमार पक्षी दिखाई देता है जो उडऩे, चलने आदि से लाचार हो उसे उपचार के लिये जैन जीव दया केन्द्र में पहुँचा सकते है। इसके अलावा केन्द्र की हैल्प लाईन नम्बर पर फोन कर के भी इन पक्षियों की सहायता की जा सकती है। वरिष्ठ क्षेत्रीय उपाध्यक्ष आर. के. जैन ने बताया कि इस प्रकार का केन्द्र प्रत्येक पक्षी को अभयदान व मंगलमय जीवन का संदेश देता है। हमें भगवान महावीर के द्वारा बताये संदेशों का पलन करना चाहिये, क्योंकि जीव सेवा ही सच्ची सेवा है। केन्द्र में घायल पक्षियों के आप्रेशन तक की सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन की श्रेष्ठता उनके अच्छे कर्मों के आधार पर प्रभावित होती है। अच्छे कर्म के फल स्वरूप प्राप्त किया हुआ यह मानव जीवन पुण्य प्रभा का प्रतीक है। लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वह भविष्य में भी तन-मन-धन से सेवा करेगें। पशुपालन विभाग से रिटायर्ड डा. तोमर ने कहा कि गत दिवस केन्द्र में एक उल्लु, एक बगुला व एक मोर ईलाज के लिये गये है, जो कि पतंग की डोर के कारण घालय हो गये थे। उन्होंने बताया कि इन पक्षियों के ईलाज के बाद ठीक होने पर इन्हें जंगल छोड़ दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस कार्य में सेवादार सोमनाथ और सहायक राजेश कुमार का पूरा सहयोग मितला है।