NITISH KUMAR पर विपक्ष की टीस: India Block से NDA तक की राजनीति का खेल
- By Arun --
- Monday, 06 Jan, 2025
Opposition's resentment on Nitish Kumar from India Block to NDA politics
बिहार, 6 जनवरी: Nitish Kumar's Political Shift from India Block to NDA: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीति ने विपक्षी दलों को असमंजस में डाल दिया है। हाल ही में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा कि यदि नीतीश महागठबंधन में लौटते हैं, तो उनका स्वागत किया जाएगा। इसके बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया। एनसीपी नेता माजिद मेमन ने नीतीश को "अविश्वसनीय व्यक्ति" करार दिया, तो शिवसेना (उद्धव गुट) के संजय राउत ने भाजपा पर जेडीयू के सांसदों को तोड़ने की कोशिश का आरोप लगाया।
नीतीश कुमार: इंडिया ब्लॉक के संस्थापक
नीतीश कुमार को विपक्षी दलों के इंडिया ब्लॉक का असली संस्थापक माना जाता है। महागठबंधन में शामिल होने के बाद उन्होंने विपक्षी नेताओं को एक मंच पर लाने की कोशिश की। पटना में पहली विपक्षी बैठक की मेजबानी भी नीतीश ने की। उनकी मंशा थी कि गठबंधन का नेतृत्व उनके हाथों में हो, लेकिन पटना बैठक में लालू प्रसाद ने राहुल गांधी को "दूल्हा" बनने की सलाह देकर नीतीश के सपनों पर पानी फेर दिया।
बेंगलुरु और मुंबई बैठकों में नीतीश का बढ़ता असंतोष
बेंगलुरु में गठबंधन का नाम "इंडिया" रखा गया, जो नीतीश को मंजूर नहीं था। मुंबई में जातिगत जनगणना को गठबंधन एजेंडे में शामिल करने की उनकी मांग को भी ठुकरा दिया गया। दिल्ली बैठक में अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार प्रस्तावित किया, जबकि नीतीश का नाम तक नहीं लिया गया।
राजनीति का बड़ा खेल
दिल्ली बैठक के बाद नीतीश ने जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद बुलाई और खुद पार्टी अध्यक्ष बन गए। इसके एक महीने बाद 30 जनवरी 2024 को उन्होंने 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके साथ ही उन्होंने एनडीए का दामन थाम लिया।
विपक्ष की टीस और सवाल
विपक्ष को नीतीश की एनडीए वापसी से गहरी चोट पहुंची है। विपक्ष का मानना है कि अगर नीतीश इंडिया ब्लॉक में बने रहते, तो 2024 में भाजपा की सरकार बनने से रोकी जा सकती थी। विपक्षी दलों की नाराजगी इस बात से है कि नीतीश कुमार ने जो मंच खड़ा किया, उसी से अलग होकर भाजपा के साथ चले गए।
नीतीश कुमार की राजनीति ने न सिर्फ विपक्षी दलों को परेशान किया, बल्कि भाजपा को भी एक मजबूत आधार प्रदान किया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी लोकसभा चुनावों में नीतीश की यह चाल कैसी राजनीतिक तस्वीर उकेरती है।