शिक्षा बजट में बढ़ोतरी से ही प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा

शिक्षा बजट में बढ़ोतरी से ही प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा

Education Budget 2025

Education Budget 2025

Education Budget 2025: शिक्षा किसी भी राष्ट्र और राज्य की प्रगति का आधार होती है। हाल ही में राष्ट्रपति भवन में आयोजित दो दिवसीय "विजिटर कॉन्फ्रेंस" में देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपति मुर्मू ने भी कहा है कि किसी भी देश के विकास का स्तर उसकी शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता से झलकता है। 

देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 लागू की गई है। केंद्र सरकार का दावा है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 2030 तक पूरे देश में पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा, वहीं हरियाणा सरकार का भी वादा है कि प्रदेश में इसी वर्ष के अंत तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को पूरी तरह लागू किया जाएगा।‌ नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए के. ‌जी. से विश्वविद्यालय तक की शिक्षण संस्थाओं में कई प्रकार के सुधारात्मक कार्यक्रम लागू किए जाने हैं, जिनमें शिक्षण संस्थानों में अध्यापकों की कमी को पूरा करना, रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का पूरा प्रबंध करना विशेष रूप से शामिल है। इन सभी व्यवस्थाओं के लिए राज्य के बजट में शिक्षा के लिए बजट बढ़ाने की आवश्यकता है। तभी शिक्षा में सुधार हो पाएगा और प्रदेश में शिक्षा से संबंधित ढांचागत सुविधाएं बढ़ेगी।

आज हम बात कर रहे हैं 2025-26  के हरियाणा के बजट में शिक्षा के बजट के प्रावधान की, जो इसी माह पेश किया जाना है। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने बजट से संबंधित सुझाव और सलाह मांगी हैं। दस हजार से भी अधिक लोगों ने अपने सुझाव और सलाह हरियाणा सरकार को भेजी हैं। इसके साथ-साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने अपने विधायकों से भी बजट से संबंधित सलाह और सुझाव लिए हैं। पिछले वर्ष यानी 2024- 25 में हरियाणा का कुल बजट 1,89,876 करोड़ रुपए रखा गया था, जिसमें शिक्षा के लिए 20,638 करोड रुपए का प्रावधान किया गया था, जो कुल बजट का 11% के लगभग था। काबिले –गौर है कि पिछले कई सालों से आमतौर पर प्रदेश के कुल बजट में‌ शिक्षा के लिए लगभग 14% का प्रावधान किया जाता रहा है। इस बार राज्य के  बजट में 14% से भी अधिक शिक्षा के लिए प्रावधान किया जाना चाहिए।

हरियाणा सरकार द्वारा इसी माह के दौरान पेश किए जाने वाले बजट में शिक्षा के सुधार से संबंधित सैकड़ों सुझाव आए, लेकिन सवाल  यह है  कि  क्या शिक्षा से संबंधित इन सुझावों को बजट में शामिल किया जाएगा ? 
 वर्तमान में प्राथमिक स्कूल शिक्षा‌ की वस्तु स्थिति के बारे में बात की जाए तो हरियाणा में 487 ऐसे प्राथमिक विद्यालय हैं  जहां कोई शिक्षक नहीं है। 294 ऐसे विद्यालय हैं जिनमें  छात्र ही नहीं हैं।‌ यमुनानगर जिला में 79, भिवानी में 46, पंचकूला में 45, अंबाला में 41 और सिरसा में 38 ऐसे स्कूल हैं जहां कोई भी अध्यापक नहीं है। इसी प्रकार से विद्यार्थियों की बात की जाए तो यमुनानगर में 32, भिवानी में 22, पंचकूला में 9, अंबाला में 22 और सिरसा जिले में 23 स्कूल ऐसे हैं, जहां कोई भी छात्र नहीं है। इन्हीं जिलों में क्रमशः 132, 75, 64, 82 और  62 स्कूलों में 20 से भी कम छात्र हैं। इन आंकड़ों से पता चलता है कि शिक्षक पदों के पुनः आवंटन के बाद भी, सरकार में 2,262 शिक्षकों की कमी है।बात करें बिना शिक्षक वाले स्कूलों की तो, सबसे अधिक संख्या (79) यमुनानगर में है। राज्य के कम से कम 1,095 स्कूलों में 20 से कम छात्र हैं, जिसमें यमुनानगर फिर से शीर्ष पर है। उसके बाद पंचकुला (64) और करनाल (62) हैं। दिलचस्प बात यह है कि पंचकुला एकमात्र ऐसा जिला है, जहां शिक्षकों के 88 सरप्लस पद हैं।‌ हालाँकि, सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों के लिए रेस्नलाइजेशन में 5,313 शिक्षक पदों में कटौती की है। शिक्षक पदों की कुल संख्या 37,487 से घटाकर 32,174 कर दी गई है। विभागीय वरिष्ठ अधिकारी से जानकारी के अनुसार इन पदों को समाप्त नहीं किया गया है, बल्कि अगले शैक्षणिक सत्र में अधिक प्रभावी आवंटन के लिए इन्हें तर्कसंगत बनाया गया है।

अब जिक्र करते हैं हरियाणा की उच्च शिक्षा प्रणाली का। उच्च शिक्षा प्रणाली पर ध्यान दिया जाए तो जाए तो उच्च शिक्षा गंभीर संकट का सामना कर रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य के सरकारी एवं एडिड कॉलेजों में लैक्चरर्स के आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हैं।  4,465 लैक्चरर्स पदों पर भर्ती का इंतजार है,जिससे शिक्षण व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है। हरियाणा में कुल 184 सरकारी कॉलेज हैं ,जिनमें 97 एडिड (अनुदान प्राप्त) कॉलेज हैं, लेकिन इन कॉलेजों में स्थायी शिक्षकों की भारी कमी बनी हुई है। 7,986 स्वीकृत पदों में से केवल 3358 पर नियमित शिक्षक कार्यरत हैं जबकि 2058 अतिथि एवं एक्सटैंशन लैक्चरर्स के भरोसे शिक्षण कार्य चल रहा है। इसके बावजूद 4465 पद खाली पड़े हैं। खास बात यह है कि प्रदेश के 97 एडिड कॉलेजों में से वर्तमान में 39 कॉलेजों में प्राचार्यों के पद भी खाली हो गए हैं। हर माह खाली पदों की यह संख्या बढ़ती जा रही है। इसके अलावा हैड क्लर्क से लेकर स्वीपर तक के पद भी बहुतायत में खाली पड़े हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में लैक्चरर्स पदों का रिक्त होना राज्य के उच्च शिक्षा स्तर को प्रभावित कर सकता है। स्थायी शिक्षकों के अभाव में अतिथि लैक्चरर्स पर अत्यधिक निर्भरता बनी हुई है,जिनकी नियुक्ति अस्थायी आधार पर होती है। इससे पूर्ण शैक्षणिक स्थिरता प्रदान नहीं हो पाती।

इसी के साथ राजकीय कॉलेजों में हालात बेहद खराब होते  जा रहे हैं। राजकीय कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या लाखों में है, लेकिन शिक्षकों की इस कमी के चलते विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है। उच्च शिक्षा का यह संकट न केवल शिक्षण गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है बल्कि राज्य के युवाओं के भविष्य पर भी सवाल खड़े कर रहा है। सरकार के पास पर्याप्त बजट होते हुए भी वर्षों से खाली पड़े पदों को भरा नहीं गया है। उच्च शिक्षा विभाग को इस ओर ध्यान देकर जल्द से जल्द स्थायी भर्ती प्रक्रिया शुरू करनी होगी। हरियाणा के विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों ने सरकार से मांग की है कि शिक्षकों की स्थायी भर्ती तुरंत शुरू की जाए।
 हरियाणा में राजकीय महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापकों के 2424 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया फिर से‌ तीसरी बार शुरू हो गई है। इच्छुक उम्मीदवार 15 मार्च तक hpsc.gov.in पर आवेदन कर सकते हैं। इसी के साथ  एचपीएससी ने स्किल टेस्ट स्क्रीनिंग टेस्ट और सब्जेक्ट नॉलेज टेस्ट का शेड्यूल भी जारी कर दिया है। परीक्षाएं आगामी 25 अप्रैल से शुरू होंगी और 31 अगस्त तक चलेंगी.‌।अब देखना यह है कि हरियाणा लोक सेवा आयोग असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों की चयन प्रक्रिया को कितनी जल्दी पूरा कर पता है। आने वाले शिक्षा सत्र से पहले अगर इन  असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती कर ज्वाइन करवाया जाता है तो यह शिक्षा सुधार में एक सकारात्मक कदम होगा । 

सतीश मेहरा