चंडीगढ़ के उद्यमियों के लिए यह दिन महत्वपूर्ण सलाहकार करेंगे समस्याएं दूर
- By Vinod --
- Thursday, 04 May, 2023
On this day important advisors will solve problems for the entrepreneurs of Chandigarh
On this day important advisors will solve problems for the entrepreneurs of Chandigarh- चंडीगढ़ (अर्थ प्रकाश/साजन शर्मा)। चंडीगढ़ में इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को अपने से जुड़े मसलों को लेकर अब आस की किरण दिखाई दे रही है। प्रशासन ने 18 मई सुबह 10.30 बजे इनसे जुड़ी समस्याओं के हल को लेकर नए सेक्रेट्रिएट में ओपन हाऊस बुलाया है। इसे ठीक कुछ राज्यों में होने वाले जनता के दरबार की तर्ज पर लगाया जा रहा है जहां कई मसलों का मौके पर ही हल निकाला जा सकता है।
इस ओपन हाऊस में एमएसएमई से जुड़ी इंडस्ट्री के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होगी। विभिन्न एसोसिएशन से जुड़े सदस्यों को स्लॉट अलॉट किया गया है ताकि सभी अपने मुद्दे उठा सकें और उनका कोई हल निकल सके। सदस्य पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन भी प्रस्तुत कर सकते हैं। कहा गया है कि इस पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन का समय 5 से 7 मिनट तक ही होना चाहिए। कल शुक्रवार 5 मई तक एसोसिएशन के सदस्य पीपीटी जमा करा सकते हैं या ईमेल कर सकते हैं।
इसी के अनुसार टाइम का स्लॉट अलॉट किया जाएगा। सदस्यों को अपनी आर्गेनाइजेशन का नाम, प्रतिनिधि का नाम, अपना कांटेक्ट नंबर, समस्या का विषय और पीपीटी शेयरिंग को लेकर जानकारी उपलब्ध करानी होगी। अगर स्लॉट के अनुसार प्रतिनिधि समय नहीं मांगते तो उन्हें ओपन टू ऑल सेशन में 15 मिनट के दौरान ओपन हाऊस के बाद समय दिया जाएगा। इससे पहले जब प्रशासक के एडवाइजर के पद पर विजय देव थे तो इसी तरह का ओपन हाऊस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के लिये आयोजित किया गया था।
इंडस्ट्री के बहुत मसले हैं पैंडिंग
चैंबर ऑफ चंडीगढ़ इंडस्ट्री के प्रेसिडेंट सुरेंद्र गुप्ता, वाइस प्रेसिडेंट नवीन मंगलानी, चंडीगढ़ इंडस्ट्रीज कनवर्टिड प्लॉट ओनर्स एसोसिएशन के चेयरमैन चंद्र वर्मा, इंडस्ट्रियल शैड वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन अवि भसीन और इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ चंडीगढ़ के प्रेसिडेंट अरुण महाजन का कहना है कि इंडस्ट्री से जुड़े बहुत सारे मसलों का हल प्रशासन को निकालना है। मौके पर ही अधिकारियों को बुलाकर कई मसले सुलझाये जा सकते हैं बशर्ते सकारात्मक दृष्टिकोण रखा जाए। विभिन्न एसोसिएशन के इन पदाधिकारियों ने बताया कि 2015 से इंडस्ट्रियल पॉलिसी लागू है। एमएसएमई एक्ट लागू होना चाहिए।
लीज होल्ड से फ्री होल्ड करना एक अन्य मसला है। बहुत से मामले कानूनी पचड़ों में इसको लेकर चल रहे हैं। मिसयूज वायलेशन का भी इश्यू है। 500 रुपये प्रति फुट के हिसाब से प्रशासन पैनेल्टी लगा रहा है जो सही नहीं है। गारबेज सैस एक अन्य इश्यू है। सुरेंद्र गुप्ता व नवीन मंगलानी के मुताबिक ईज ऑफ डुइंग बिजनेस की केवल बातें हैं लेकिन असलियत में इसमें चंडीगढ़ प्रशासन बिलकुल लॉस्ट में है। मसले हल न होने से इंडस्ट्री से जुड़े लोग यहां से दूसरे राज्यों के शहरों में शिफ्ट हो रहे हैं। 1982 के बाद किसी को कोई प्लॉट नहीं दिया गया। एफएआर का मसला भी एक बड़ा मसला है।
पंचकूला व मोहाली में एफएआर चंडीगढ़ से काफी ज्यादा है जिससे इंडस्ट्री उधर जा रही है। समय के साथ चंडीगढ़ प्रशासन ने कोई बदलाव पॉलिसी में नहीं किया। प्रशासन को हल निकालना होगा कि एफएआर कैसे बढ़ायें। इनका कहना है कि प्रशासन इंडस्ट्री इनफ्रास्ट्रक्चर पर कुछ खर्च नहीं कर रहा। एलांते माल के आसपास जो भी इंडस्ट्री है वहां ट्रक तक की मूवमेंट मुश्किल से हो पाती है। अन्य कई जगहों पर इस तरह के मसले हैं। ज्वाइंट एक्शन कमेटी से जुड़े इन सभी विभिन्न पदाधिकारियों ने बताया कि इंडस्ट्रियल एरिया एक व दो में 1900 प्लॉट हैं और 2200 से 2500 तक यूनिट हैं जिसमें से मसलों का हल न होने के चलते 400 से 500 तक दूसरे राज्यों को मूव कर गये हैं।
अभि भसीन ने बताया कि 2005 में पहले सबके लिये कनवर्जन पालिसी दी गई थी जिसे बाद में महज 150 प्लाटों के लिए कर दिया गया। ये प्लाट 2 कनाल से ज्यादा के थे। यानि छोटे प्लाट मालिकों को इससे महरूम कर दिया गया। अभि भसीन के मुताबिक इसे सबके लिये खोलना चाहिए ताकि सबको लाभ मिले। छोटे प्लाट वालों के तो प्रशासन ने पैसे भी वापिस कर दिये थे हालांकि अभी भी कई इस मसले में प्रशासन के खिलाफ कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं। अभि भसीन ने बताया कि ऑटोमोबाइल एसोसिएशन को 2015 में काम करने का अधिकार दिया लेकिन इसे बी 2 बी तक बाद में सीमित कर दिया। यानि गाड़ी बेचने को तो मंजूरी है लेकिन स्पेयर पार्ट बेचना अलाऊड नहीं।
अब एक प्लेटफार्म पर एकत्रित हुए उद्योगपति
चंद्र वर्मा, अभि भसीन, नवीन मंगलानी, अरुण महाजन व सुरेंद्र गुप्ता का कहना है कि सबसे मुख्य बात यह है कि अब इंडस्ट्रियल एरिया एक व दो में ज्वाइंट एक्शन कमेटी बना दी गई है जो सभी छोटी-बड़ी इंडस्ट्री की सांझा लड़ाई लड़ेगी। हर मसले को इसी फोरम के जरिये सुलझाया जाएगा। इसके पदाधिकारी जाकर हर इंडस्ट्री से जुड़े मसले पर प्रशासन से मिलेंगे और हल निकालेंगे। चंद्र वर्मा ने बताया कि कुछ साल पहले जब एडवाइजर विजय देव थे तो इसी तरह का ओपन हाऊस हुआ था। उनके मुताबिक स्थानीय मसलों का हल मौके पर ही अधिकारियों को बुलाकर होना चाहिए, तभी ओपन हाऊस कारगर है।
ये हैं मसले
- एमएसएमई से जुड़ा मसला
- लीज होल्ड से फ्री होल्ड
- एमसी से जुड़े फायर, पानी व गारबेज सैस के मसले
- मिसयूज वायलेशन से जुड़े मामले
- सिटको के शैड
- वैट स्कीम में वन टाइम सैटलमेंट
- टैंपरेरी शैड
- प्रदूषण से जुड़ा मसला
- कलेक्टर रेट कम करने का मामला
- ऑटोमोबाइल से जुड़ी इंडस्ट्री को नोटिस भेजे जाने का मामला
- जीएसटी का मसला
- कनवर्जन पालिसी
इंडस्ट्री से जुड़े लोग परेशान, ईज ऑफ डुइंग बिजनेस कहां
चंडीगढ़ में भले ही प्रशासन ईज ऑफ डुइंग बिजनेस का ढ़ोल पीटे लेकिन असलियत यह है कि शहर से इंडस्ट्री पंचकूला, मोहाली व अन्य साथ सटते राज्यों को शिफ्ट हो रही है। वजह है प्रशासन की ओर से कई सारे मसलों को बरसों से लटकाये रखना जिन्हें सुलझाने की इंडस्ट्री से जुड़े लोग मांग कर रहे हैं। चंडीगढ़ प्रति कैपिटा इनकम, क्वालिटी ऑफ इंडेक्स में सबसे आगे है लेकिन ईज ऑफ डुइंग बिजनेस में लॉस्ट है क्योंकि इंडस्ट्री से जुड़े लोग त्रस्त हैं। प्रशासन को मसलों का जल्द हल निकालना चाहिए।