Officers should not be made part of the power game

अधिकारियों को न बनाया जाए पावर गेम का हिस्सा

Officers should not be made part of the power game

Officers should not be made part of the power game

Officers should not be made part of the power game- (IAS & IPS) आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के (Transffer) तबादले सामान्य प्रक्रिया होती है, लेकिन (Chandigarh) चंडीगढ़ में पंजाब कैडर के (IPS SSP Kuldeep Singh Chahal) आईपीएस अधिकारी एसएसपी कुलदीप सिंह चहल को कार्यकाल खत्म होने से 10 माह पहले (Releave) रिलीव कर मूल काडर में भेजने का मामला अचंभित करने वाला है। (Punjab & Haryana) पंजाब, और हरियाणा के बीच चंडीगढ़ को लेकर जंग अब नई बात नहीं रही है, लेकिन नियमानुसार यूटी में एसएसपी का पद (Punjab Cader) पंजाब काडर के पुलिस अधिकारी के पास होता है, लेकिन अब एकाएक चहल को रिलीव करके (Haryana Cader) हरियाणा काडर की (IPS) आईपीएस अधिकारी को चार्ज देना तमाम सवालों से घिर गया है। यह मामला न अफसरशाही में किसी को समझ आ रहा है और न जनसामान्य को। ऐसा तब हुआ है, जब (Kuldeep Singh Chahal) कुलदीप सिंह चहल का कार्यकाल अपेक्षाकृत सफल रहा है, (Punjab) पंजाब में अपनी नियुक्ति के दौरान वे अनेक मामलों में आरोपियों पर त्वरित कार्रवाई के लिए ख्यात रहे हैं, वहीं चंडीगढ़ में उनके कार्यकाल के दौरान कानून और व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण में रही है। एक (SSP Operational) एसएसपी ही ऑपरेशनल होकर यूटी में (Police) पुलिस कामकाज को नियंत्रित करते हैं, तब ऐसा क्या हुआ कि चहल को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उनके मूल राज्य भेज दिया गया। क्या यह वास्तव में एक स्वाभाविक घटना है, या फिर अफसरशाही के जरिए राजनीतिक नेतृत्व का पावरगेम?

(Punjab & Haryana) पंजाब और हरियाणा के बीच 60/40 के रेश्यो में प्रशासन का बंटवारा है। पंजाब काडर के अधिकारियों के पास (Finance Secretary, Municipal Commissioner, SSP, Managing Director of Citco, Special Secretary Finance and Director Health) वित्त सचिव, नगर निगम कमिश्नर, एसएसपी, सिटको के मैनेजिंग डायरेक्टर, स्पेशल सेक्रेटरी फाइनेंस और डायरेक्टर हेल्थ के पद हैं, वहीं हरियाणा के पास (home secretary) होम सेक्रेटरी, डीसी के पद हैं। वहीं (advisor to the administrator) प्रशासक के सलाहकार पद पर (UT Cader) यूटी काडर के अधिकारी तैनात होते हैं। बावजूद इसके पंजाब के (Politics) राजनीतिक आरोप लगा रहे हैं कि यूटी में अधिकारियों की नियुक्ति में पंजाब काडर के अधिकारियों में कमी आ रही है। आरोप यह लगाया जा रहा है कि केंद्र सरकार पंजाब काडर के अधिकारियों का अनुपात खराब कर रही है। ऐसी भी चर्चा है कि यूटी काडर के अधिकारी ऐसी मुहिम चला रहे हैं कि क्यों नहीं एसएसपी पद पर भी यूटी काडर के अधिकारी को ही तैनात किया जाए। सच्चाई क्या है, यह शायद ही सामने आए, लेकिन अधिकारियों की इस फेरबदल का असर जहां कानून और व्यवस्था पर पड़ता है वहीं कामकाज भी प्रभावित होता है। जरूरत इसकी है कि बड़े पदों को मोहरों की तरह इस्तेमाल करने के बजाय दोनों राज्यों और यूटी के बीच समन्वय कायम हो।

(Punjab & haryana) पंजाब और हरियाणा के बीच पहले से ही (Bhakra-Beas Management Board) भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में पंजाब काडर के अधिकारी की नियुक्ति में फेरबदल, यूटी के सरकारी कर्मचारियों को केंद्र के समान वेतनमान देने, पंजाब यूनिवर्सिटी पर नियंत्रण, एसवाईएल का पानी, (Chandigarh ) राजधानी चंडीगढ़ पर कब्जे, (Haryana Assembly) हरियाणा को विधानसभा के जमीन मुहैया कराने जैसे मुद्दे जंग का रूप ले चुके हैं, वहीं बीते दिनों केंद्र सरकार की ओर से बीएसएफ का दायरा बढ़ाने को भी पंजाब की ओर से अपने हक पर नियंत्रण की कोशिश बताया गया है। अब एसएसपी चहल को रिलीव करने को लेकर पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ प्रशासक और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच टकराव और तेज हो गया है। राष्ट्रपति के आगमन के समय (Chief Minister) मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी पर सवाल उठा चुके राज्यपाल ने (Punjab Agricultural University) पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को हटाने पर सवाल उठाए थे। राज्यपाल ने इस पद पर सरकार की ओर से की गई नियुक्ति को अनुचित करार दिया था। इससे पहले (Baba Farid University of Health Sciences) बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंसेज के वाइस चांसलर के रूप में हृदय रोग विशेषज्ञ गुरप्रीत वांडर की नियुक्ति को लेकर भी विवाद हो गया था। सरकार की ओर से उनके नाम की सिफारिश को राज्यपाल ने मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।

(IPS Kuldeep Singh Chahal) आईपीएस कुलदीप सिंह चहल को समय से पहले रिलीव करने के मामले में अफसरशाही के मनोबल पर भी असर पड़ रहा है। एक अधिकारी अगर अपने दायित्व की पूर्ति सही तरीके से अंजाम दे रहे हैं तो उन्हें पद से हटाने के कारणों की पड़ताल जरूरी है। अगर यह राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के बीच की जंग के चलते हुआ है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है, अगर एसएसपी को समय से पहले रिलीव ही करना था तो उनकी जगह पंजाब से (IPS Punjab) आईपीएस अधिकारियों का पैनल मांगा जाना चाहिए था। यह एकतरफा मामला क्यों नजर आ रहा है। बेशक, पंजाब की ऐसी आशंका हो सकती है कि चंडीगढ़ पर उसके अधिकार कमजोर किए जा रहे हैं, लेकिन (Central Government) केंद्र सरकार को इसका ख्याल तो रखना ही होगा कि पहले से तय नियमों का पालन होता रहे। अगर यूटी चंडीगढ़ के एसएसपी का पद पंजाब काडर के आईपीएस के पास है तो फिर इसे बदलने का औचित्य फिजूल की कार्रवाई ही नजर आता है। गौरतलब है कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक एसएसपी को रिलीव कर दिया गया और उन्हेंं विदाई पार्टी तक नहीं दी गई। इस तरह की कार्रवाई से पुलिस फोर्स का मनोबल टूटता है और नए आने वाले अधिकारी पर भी दबाव बना रहेगा। बेशक, परफार्मेंस के आधार पर किसी अधिकारी को जज किया जाना चाहिए लेकिन अगर उसका कार्य संतोषजनक है तो फिर क्यों नहीं उसे कार्यकाल पूरा करने दिया जाए, आखिर उसका भी करियर है, तब वह इस दाग को लेकर क्यों आगे जाए कि कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें वापस भेज दिया गया।

जाहिर है, प्रशासन में ऐसे मामलों के तमाम उदाहरण होंगे, लेकिन व्यवस्था को सुधारने की कोशिश पारदर्शी व व्यवस्थित होनी चाहिए न कि संदिग्ध। हालांकि पंजाब सरकार की ओर से भी (Governor and Chandigarh Administrator) राज्यपाल एवं चंडीगढ़ प्रशासक को विश्वास में नहीं लेने के तमाम उदाहरण आए हैं, एक राजनीतिक दल के प्रति निष्ठा अपनी जगह हो सकती है, लेकिन जिम्मेदार पद पर होने के बाद सभी को उस पद के प्रति समर्पित भाव से ही कार्य करना होगा।

 

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