क्यों बिगड़ी हरियाणा की हवा? यहां पढ़ें नूंह-मेवात में भडक़ी हिंसा की इनसाइड स्टोरी
Nuh Violence Inside Story
Nuh Violence Inside Story: बेहद शांतप्रिय राज्य हरियाणा की हवा में किसने जहर घोला? राज्य के नूंह-मेवात में भडक़ी हिंसा के पीछे किसका हाथ है? इन दुस्साहसिक घटनाओं के बाद सरकारी सिस्टम क्या कर रहा है? दो समुदायों के बीच बवाल के पीछे किसने साजिश रची? इस खूनी खेल के पीछे के षड्यंत्रकारियों ने किस तरह से घटनाओं को अंजाम दिया? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब हर कोई जानना चाहता है। यहां पढि़ए हरियाणा के फिजां में घुले जहर की इनसाइड स्टोरी।
भगवा यात्रा के दौरान भडक़ी हिंसा
आरंभिक दौर में बताया गया कि यहां विहिप और बजरंग दल के लोग भगवा यात्रा निकाल रहे थे। इस यात्रा के नूंह झंडा पार्क तक पहुंचते ही कथित तौर पर पथराव होने लगा। यहां कई गाडिय़ों में आग लगा दी गई। आरोप है कि पथराव और गोलीकांड दूसरे समुदाय के लोगों ने किया। तदोपरांत हिंदू पक्ष के लोग भी भडक़ उठे। बताया गया कि मेवात में एक मंदिर को घेरकर हमले किेए गए। मंदिर में सैकड़ों लोग फंसे थे, जिन्हें बाद में रेस्क्यू किया गया।
हंगामा के दौरान भाग गए पुलिसवाले
आरोप है कि प्रशासन को 6 माह पूर्व ही इस यात्रा के बारे में बता दिया था। यात्रा के साथ हरियाणा पुलिस के कुछ जवान भी थे। हंगामा शुरू होते ही पुलिस वाले भाग गए। सूत्रों का कहना है कि एक समुदाय के लोग पिछले काफी दिनों से इस यात्रा का विरोध कर रहे थे। अंतत: यात्रा में हंगामा हो ही गया। नूंह में धार्मिक जुलूस के दौरान हिंसा भडक़ी और अब इस हिंसा की लपटें गुरुग्राम तक फैल गई। हिंसक प्रदर्शन के दौरान पथराव, नारेबाजी और आगजनी की खबरें आने से हालात बिगड़ गए।
मोनू मानेसर की भूमिका संदिग्ध
बताते हैं कि मोनू मानेसर ने लोगों से बजरंग दल के सदस्यों द्वारा निकाली जाने वाली शोभा यात्रा में शामिल होने की अपील की थी। हालांकि, इलाके के लोगों ने इस पर गुस्सा जताया। मोनू के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी गई थी। वहीं, मोनू मानेसर ने कहा कि उन्होंने यात्रा में हिस्सा नहीं लिया। क्योंकि विहिप ने आने से मना कर दिया।
नूंह-मेवात पर पूरे देश की नजर
बहरहाल, पूरे देश में हरियाणा की बिगड़ती फिजां की चर्चा है। हर कोई इस घटना को लेकर चिंतित है। सभी को यह प्रतीत हो रहा है कि कहीं दंगे की लपटें उनके शहरों तक न आ पहुंचे। इसके लिए पुलिस-प्रशासन के अलावा शासन-सत्ता से जुड़े लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। चूंकि मामला पुलिस-प्रशासन के संज्ञान में है इसलिए नूंह-मेवात कांड अनावश्यक टिप्पणी ठीक नहीं है। खैर, देखते हैं आगे क्या होता है।