Now the martyrs were not remembered, suddenly the love awakened...

अब तो याद नहीं थे शहीद, अचानक जागा प्रेम...

Now the martyrs were not remembered, suddenly the love awakened...

Now the martyrs were not remembered, suddenly the love awakened...

चंडीगढ़ (साजन शर्मा)। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश पर जान कुर्बान करने वालों में शहीदे आजम भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु का नाम बड़े आदर सत्कार से लिया जाता है। हाल ही में पंजाब की सत्ता पर बरकरार हुई आम आदमी पार्टी ने सरकार में आते ही न केवल मुख्यमंत्री भगवंत मान का शपथ ग्रहण समारोह उनके निवास स्थान गांव खटकडक़लां में आयोजित किया बल्कि उनके शहीदी दिवस पर छुट्टी भी घोषित कर दी। केवल पंजाब सरकार ने ही नहीं, चंडीगढ़ प्रशासन ने भी मंगलवार देर शाम छुट्टी का नोटीफिकेशन जारी कर दिया। विभिन्न पार्टियों के नेताओं व आमजन ने इस पर अलग अलग प्रतिक्रिया दी है। राजनीतिक दलों के नेताओं का कहना है कि अगली पीढ़ी में शहीदों के प्रति जागरुकता फैले, इसका प्रचार प्रसार करना निहायत जरूरी है। कोई स्मारक तमाम स्वतंत्रता सैनानियों की याद में महत्वपूर्ण स्थानों पर स्थापित किये जाएं ताकि अगली पीढ़ी को मालूम पड़ सके कि स्वतंत्रता कोई पुरस्कार में नहीं मिली थी बल्कि इसके लिए अंग्रेजों से संघर्ष करना पड़ा था। कुछ का कहना है कि यह अब इस देश में परंपरा बन गई है। हर कोई अपनी सरकार आने पर एक नया नाम सामने करता है ताकि पुराने की लकीर छोटी की जा सके। यह परंपरा गलत है। सब शहीदों को बराबर सम्मान मिलना चाहिए। एक मत ये भी आया कि इस देश के नेताओं को पहले स्वतंत्रता संग्राम का पाठ व देश पर जान कुर्बान करने वालों का इतिहास बताने व सिखाने की जरूरत है। पीढ़ी को तो बाद में सिखा देंगे, इन्हें पहले सिखाना होगा।

हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता: पूरे देश में आज शहीदे आजम  देश सर्वोपरि है। बाकि सब चीजें बाद में हैं। संकल्प करने की जरूरत है कि सबसे पहले मेरा देश है। देश पर अगर कोई विपत्ति आएगी तो देश पर जान न्यौछावर कर देंगे। छुट्टियां करने से शहीदों के प्रति आत्मीयता या उनके प्रति सद्भावना पैदा होती है ऐसा नहीं है। बल्कि ये तो मन से होता है। मन से आपके विचार कैसे हैं। पालिसी कैसे हैं। देश के प्रति आपकी सोच कैसी है।

भारत के एडिशनल सॉलीसिटर जनरल सतपाल जैन: देश के लिए शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव सहित अन्य कई स्वतंत्रता सैनानियों ने बड़ी कुर्बानी दी। खटकडक़लां में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जो शपथ ली या इसको लेकर किसी सरकार या प्रशासन ने छुट्टी घोषित की, इससे आम लोगों में शहीदों के प्रति श्रद्धा ही जागेगी। उनके बारे में विस्तार से जानने का मौका मिलेगा। किसी भी सरकार या प्रशासन ने यह कदम उठाया है, सही दिशा में उठाया कदम है। पार्टियों के अलग-अलग विषय हो सकते हैं लेकिन प्रमुख दलों को शहीदों के प्रति सम्मान सत्कार के मामले में एक होकर सहमति बनानी चाहिए ताकि उनके प्रति श्रद्धा का निर्माण हो। भले ही छुट्टी का कदम लेट आया लेकिन यह कदम अच्छी दिशा में है। लोगों को पता लगना चाहिए कि स्वतंत्रता कैसे मिली। दी कश्मीर फाइल्स फिल्म भले ही घटना से 25 से 30 साल बाद आई हो लेकिन इस फिल्म से आज की पीढ़ी जागरुक हो रही है कि घाटी में कुछ ऐसा भी घटा था।   

चंडीगढ़ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण सूद: छुट्टी घोषित करने से शहादत का प्रचार-प्रसार नहीं होता। इससे श्रद्धा उमड़ेगी, ऐसा भी नहीं है। छुट्टी अलग विषय है। शहादत बिलकुल अलग विषय। अब तक राजनीतिक दलों ने शहीदे आजम भगत सिंह को जिस तरह से इगनोर किया उससे सब वाकिफ हैं। किताबों व इतिहास में तो उन्हें उग्रवादी ही बताया जाता रहा। छुट्टी करना उनके पक्ष में नहीं बल्कि उनकी विचारधारा को आगे बढ़ाना ज्यादा अहम है। जिसने देश के लिए छोटी उम्र में बड़ी कुर्बानी दे दी, उसे छुट्टी तक सीमित करना सही नहीं। छुट्टी के दौरान तो भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की फोटो पर लोगों ने पुष्पांजलि तक अर्पित नहीं की होगी। आम आदमी पार्टी इस पर राजनीति करने की कोशिश कर रही है और शहीदी को भुनाने का प्रयास है। छुट्टी से क्या लाभ हुआ उन्हें ये भी बताना चाहिए।

चंडीगढ़ भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कैलाश जैन: शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव के शहीदी दिवस को केवल इन्हीं तक सीमित नहीं रखना चाहिए बल्कि उन सब शहीदों को यह दिवस समर्पित करना चाहिए जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम या उसके बाद देश के लिए कुर्बानी दी। जैसे दिल्ली में अमर जवान ज्योति है, इसी तरह का स्वतंत्रता सैनानियों का स्मारक विभिन्न शहरों में बनाया जाना चाहिए जहां लोग पुष्पांजलि अर्पित कर शहीदों के बारे जानें। वॉर मेमोरियल स्थापित किये जाएं। वीर सावरकर, बिस्मिल्ला खां या अन्य जो भी शहीद हुए उन्हें इस दिवस पर याद करना चाहिए। योग दिवस की तरह शहीद दिवस को भी सरकार की तरफ से मान्यता मिले। यह राष्ट्रीय मान्यता का दिवस हो। यह छुट्टी तभी सार्थक होगी यदि इस दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम हों।

चंडीगढ़ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चावला: जब भी कोई पार्टी सत्ता में आती है तो वह पुराने चले आ रहे स्वतंत्रता सैनानियों या देश के लिए कुछ कर गुजरने वालों के नामों को मिटाती है। यह परंपरा बनती जा रही है। महात्मा गांधी के नाम को भाजपा ने हैडगेवर, सावरकर या सरदार पटेल के नाम को आगे बढ़ाकर मिटाने की कोशिश की। ठीक यही काम अब अरविंद केजरीवाल कर रहे हैं। केजरीवाल की विचारधारा पर अगर नजर डालें तो वह कामरेड विचारधारा है। इसी विचारधारा को वह आगे बढ़ाना चाहते हैं। चूंकि भगत सिंह पंजाबी थे लिहाजा इससे बढिय़ा नाम उन्हें नहीं सूझा हालांकि भगत सिंह का जन्म पाकिस्तान के लायलपुर में हुआ था। हर पार्टी का विचारधारा को आगे बढ़ाकर राजनीतिक मकसद होता है। केजरीवाल भी इंकलाब जिंदाबाद के अक्सर नारे लगाते हैं। यही नारे क्रांतिकारी लगाते थे। कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता व शिरोमणि अकाली दल की धर्म को फैलाने की विचारधारा रही तो आप ने भी अपनी नई विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए ऐसा किया। जिसने भगत सिंह को पढ़ा होगा वह जानता होगा कि उनकी विचारधारा में लेनिन की झलक थी। उन्हें बसंती रंग से प्यार था इसलिए वह बसंती पगड़ी पहनते थे। बीते सात-आठ साल में केजरीवाल की इसी क्रांतिकारी सोच को बढ़ावा देने की झलक मिलती है।  

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रदीप छाबड़ा: छुट्टी घोषित करने या उन्हें याद करने का मकसद राजनीतिक फायदा लेना कतई नहीं। यह कुछ स्वार्थी तत्वों की छोटी सोच का परिचायक है। शहीदे आजम भगत सिंह की कुर्बानी को भुलाया नहीं जा सकता। देश को स्वतंत्र कराने के लिए वह देश से लड़े। उन्हें अब तक न कांग्रेस ने और न ही भाजपा ने याद किया। कभी सावरकर, कभी सरदार पटेल, कभी हेडगेवर या अन्य किसी नाम की राजनीति करते हैं। हम केवल देश की राजनीति करते हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि वह कभी अपने दादा के साथ शहीदे आजम भगत सिंह के गांव खटकडक़लां में आया करते थे। तो कहीं न कहीं उनमें भगत सिंह के आदर्शों पर चलने की सोच है। पंजाब की विधानसभा में कुछ नेता ऐसे भी हैं जिन्हें भगत सिंह की जन्म की तारीख तक नहीं मालूम। इस तरह के नेताओं को पाठ पढ़ाने की जरूरत है कि शहादत क्या होती है और किस किस ने देश के लिए दी।