सम्मेद शिखर को लेकर अब नया विवाद: आदिवासी समाज ने किया आंदोलन शुरू
- By Vinod --
- Tuesday, 10 Jan, 2023
Now new controversy regarding Sammed Shikhar
Now new controversy regarding Sammed Shikhar- सम्मेद शिखर को लेकर अब नया विवाद शुरू हो गया है। पहले जहां जैन मुनि अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की राह पर थे, वहीं अब झारखंड के आदिवासी संथाल समुदाय ने दावा किया है कि पूरा पहाड़ उनका है। आदिवासियों का कहना है कि यह उनका मरांग बुरु यानी बूड़ा पहाड़ है। ये उनकी आस्था का केंद्र है। यहां वे हर साल आषाढ़ी पूजा में सफेद मुर्गे की बलि देते हैं। इसके साथ छेड़छाड़ उन्हें मंजूर नहीं होगी।
हालांकि रविवार को जैन समाज और आदिवासियों के साथ जिला प्रशासन ने बैठक की। आम राय बनाने के लिए कमेटी बना दी, जिसमें प्रशासनिक अफसर, जनप्रतिनिधि, जैन समाज और आदिवासियों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
सम्मेद शिखर को लेकर जैनियों के आंदोलन के बाद पारसनाथ में आदिवासियों का महाजुटान होगा। दरअसल, पारसनाथ पर आदिवासियों का मरांग बुरु है और वहीं जैन समाज के लिए यह स्थान सम्मेद शिखर है जहां जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकर ने निर्वाण प्राप्त किया था। यहां पर सरकार ने ईको टूरिज्म बनाने का निर्णय लिया जिसके बाद जैन समाज ने इसका विरोध किया। इनके विरोध के बाद सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।
बता दें कि सरकार के फैसले के बाद आदिवासी समाज नाराज हो गया था। आदिवासी समाज के लोग मंत्रालय और राज्य सरकार द्वारा जारी पत्र में मरांग बुरु का जिक्र नहीं करने और जरूरत से ज्यादा बाध्यता लगाने से नाराज हैं। इसके खिलाफ मंगलवार को मधुबन में आदिवासी मूलवासियों का महजुटान हो रहा है। इस कार्यक्रम में बोरियो से झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम के अलावा गीता उरांव, सालखन मुर्मू, सूर्य सिंह बेसरा, झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक जयराम महतो समेत कई नेता पहुंच रहे हैं। साथ ही कार्यक्रम में मरांग बुरु पारसनाथ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले यह कार्यक्रम हो रहा है। कार्यक्रम को सफल बनाने में जुटे सांवता सुसार बैसि के जिला सचिव सिकंदर हेम्ब्रोम ने कहा कि पारसनाथ बचाने और सरकारी नोटिफिकेशन में मरांग बुरु का जिक्र करवाने के लिए आंदोलन की रूप रेखा तैयार की गई है। इस महजुटान कार्यक्रम में आदिवासी और मूलवासी के अलावा देश भर से आदिवासी समाज के लोग शामिल होंगे।
सिकंदर के अनुसार पारसनाथ पर्वत जैनियों का मोक्ष स्थल बताया जा रहा है। मरांग बुरु का कहीं जिक्र नहीं है, जबकि इस पारसनाथ पर्वत को आदिवासी समाज मरांग बुरु कहते हैं। साथ ही बता दें कि जब तक अधिसूचना में मरांग बुरु का जिक्र नहीं किया जाएगा तब तक आंदोलन चलता रहेगा।
बता दें कि महाजुटान कार्यक्रम में काफी अधिक भीड़ की संभावना बनी हुई है। पुलिस के अनुसार कार्यक्रम में भीड़ बढऩे को लेकर काफी उम्मीद बनी हुई है। साथ ही प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर काफी काम किया है। एएसपी हारिश बिन जमां के नेतृत्व में यहां सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया है। विधि व्यवस्था को लेकर डुमरी एसडीएम प्रेमलता मुर्मू, एसडीपीओ मनोज कुमार, इंस्पेक्टर परमेश्वर लियांगी, थानेदार मृत्युंजय सिंह, दिलशन बिरुआ ने रणनीति बनाई है। कार्यक्रम में आने वाले लोगों को परेशान नहीं होने दिया जाएगा।
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