अब सरकारी स्कूलों में पढने वाले बच्चे जवाहर नवोदय, सैनिक कॉलोनी जैसे स्कूलों में पढने की हसरत पूरा कर सकेंगे

अब सरकारी स्कूलों में पढने वाले बच्चे जवाहर नवोदय, सैनिक कॉलोनी जैसे स्कूलों में पढने की हसरत पूरा कर सकेंगे

Now Children Studying in Government Schools

Now Children Studying in Government Schools

_पलवल में पहली बार नन्हे क्लाम प्रोग्राम की हुई शुरूआत

_पलवल के पांच राजकीय विद्यालयों में बच्चे के साथ शुरू किया गया यह प्रोग्राम

_वर्ष 2017 में रेवाडी से शुरू संस्था तीन राज्यों हरियाणा, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश में कर रही है काम

_अब तक 500 बच्चों को जवाहर नवोदय विद्यालयों दिला चुकी है दाखिला

पलवल। दयाराम वशिष्ठ: Now Children Studying in Government Schools: अब पलवल जिले के राजकीय स्कूलों की चौथी व पांचवीं कक्षा में पढने वाले बच्चे जवाहर नवोदय विद्यालय व सैनिक कॉलोनी स्कूल जैसे सरकार के आदर्श आवासीय विद्यालयों में दाखिला लेने की हसरत पूरा कर सकेंगे। इसे लेकर सेल्फ रिलायंट इंडिया (एसआरआई) संस्था के सहयोग से पलवल में पहली बार नन्हे कलाम प्रोग्राम की शुरूआत की गई है। अब तक यह संस्था तीन राज्यों के लगभग 500 बच्चों को जवाहर नवोदय विद्यालयों दिला चुकी है। पहले चरण में पांच स्कूलों को शामिल किया गया है।

जेएसडब्ल्यू एमआई व जेएसडब्ल्यू फाउंडेशन द्वारा संस्था के सहयोग से यह प्रोग्राम शुरू किया गया है। सेल्फ रिलायंट इंडिया  की तरफ से पूनम ने बताया कि संस्था पिछले 8 सालों से राजकीय विद्यालयों के बच्चों को निशुल्क जवाहर नवोदय विद्यालय और सैनिक स्कूल जैसे सरकार के आदर्श आवासीय विद्यालयों के प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाई जाती है। यह तैयारी केवल राजकीय विद्यालयों में पढ़ने वाले चौथी व पांचवी कक्षा के बच्चों के लिए होती है। इस तैयारी को करवाने के लिए गांव के आस पास के ही ऐसे युवाओं को चुनते हैं जिनमें शिक्षा के क्षेत्र में कुछ करने की चाहत होती है। साल 2017  से सेल्फ रिलायंट इंडिया (एसआरआई) की शुरुआत रेवाड़ी से हुई थीं और आज यह संस्था देश के 3 राज्यों ( हरियाणा, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश) में काम कर रही हैं। अभी तक हम 500 बच्चों को नवोदय विद्यालय में दाखिला दिला चुके हैं।

छह दिवसीय इंडक्शन वर्कशाप का झज्जर में किया आयोजन

पलवल जिले के जिन पांच गांवों में इस प्रोग्राम की शुरूआत की गई है, उनमें बघौला, पृथला देवली, गदपुरी व डूंडसा शामिल हैं। इनमें चयनित किए गए सभी युवा साथियों की छह दिवसीय इंडक्शन वर्कशाप झज्जर के गांव सौंधी में आयोजित की गई। जिसमें कई बिंदुओं पर चर्चा की गई। इस दौरान सेल्फ रिलायंट इंडिया जैसे संगठनों की आवश्यकता क्यों ? सामुदायिक सरकारी विद्यालय की आम समस्याएँ क्या हैं? फेलो और समुदाय द्वारा संभावित समाधान क्या हो सकते हैं?

पाठ्यक्रम क्या है और कक्षा के लिए एक विशिष्ट विषय-वस्तु कैसे तय की जाती है? पाठ योजना क्या है और इसमें मूल्यांकन को कैसे शामिल किया जाए और इसकी आवश्यकता क्या है? विभिन्न स्कूल प्रक्रियाएँ (असेंबली, लाइब्रेरी और एसएमसी मीटिंग) क्या हैं। उनके वर्तमान अंतर क्या हैं, हम उन अंतरों को कैसे जांच सकते हैं और यह बच्चों के सीखने के स्तर को कैसे प्रभावित करता है। जिसकी युवा फैलो समझ बनाकर भविष्य में एक बेहतर शिक्षक बन सके।