Notice to the central and state government for not having a drug testing laboratory in Himachal
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हिमाचल में दवाओं की परीक्षण प्रयोगशाला ना होने पर केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस

Notice to the central and state government for not having a drug testing laboratory in Himachal

Notice to the central and state government for not having a drug testing laboratory in Himachal

शिमला:हाईकोर्ट  ने प्रदेश में दवाइयों की परीक्षण प्रयोगशाला न होने पर केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कोर्ट ने प्रधान सचिव स्वास्थ्य और ड्रग कंट्रोलर से 186 दवाइयों की टेस्ट रिपोर्ट का रिकॉर्ड मंगाया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हुई।

ड्रग इंस्पेक्टर के खाली पदों की भी जानकारी मांगी

अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि सेंट्रल बैंक की ओर से दवाइयों की परीक्षण प्रयोगशाला बनाने के लिए जारी किए गए 30 करोड़ रुपये का क्या हुआ। कोर्ट ने ड्रग इंस्पेक्टर के खाली पदों की भी जानकारी मांगी है। खाली पड़े पदों को भरने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि वर्ष 2017 में सेंट्रल बैंक ने बद्दी में दवाइयों के परीक्षण के लिए प्रयोगशाला के निर्माण हेतु 30 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की थी। अदालत ने इन सभी निर्माण कार्यों का ब्यौरा तलब किया है। पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस संस्था ने सूबे में दवाइयों के परीक्षण प्रयोगशाला न होने पर याचिका दायर की है।

परीक्षण के लिए प्रयोगशाला ना होने से घटिया दवाइयों का हो रहा उत्पादन

आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2014 में उद्योग विभाग की ओर से 3.50 करोड़ रुपये प्रयोगशाला के निर्माण के लिए खर्च किए गए है। लेकिन अभी तक इसे चालू नहीं किया गया है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने 12वीं पंच वर्षीय योजना के तहत 30 करोड़ रुपये की राशि जारी की थी। दवाइयों के परीक्षण के लिए प्रयोगशाला ना होने के कारण घटिया दवाइयों का उत्पादन किया जा रहा है। बददी में निर्मित खांसी की दवाई पीने के कारण दिसंबर 2019 और जनवरी 2020 में जम्मू के उधमपुर में नौ बच्चों की जान चली गई थी। इसी तरह जून और नवंबर 2022 में जांबिया के 82 बच्चों की किडनी खराब हो गई थी और उनमें से 70 बच्चों की जान चली गई थी। उजबेकीस्तान के 18 बच्चे भी घटिया दवाई के शिकार हुए थे। आरोप लगाया गया है कि प्रदेश में दवाइयों के परीक्षण के लिए प्रयोगशाला न होने के कारण ऐसे हादसे हो रहे हैं। मामले की अगली सुनवाई 28 जून को निर्धारित की गई है।