दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट की डीपीआर को लेकर नहीं कोई मुद्दा
दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट की डीपीआर को लेकर नहीं कोई मुद्दा
रेल मंत्रालय ने जारी किया इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट को लेकर अपना पक्ष, बताया कि डीपीआर को लेकर कोई मीटिंग नहीं हुई
चंडीगढ़, 24 अगस्त (साजन शर्मा) दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड कोरीडोर की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट को लेकर चल रही अटकलों को विराम देते हुए रेल मंत्रालय की ओर से स्पष्ट किया गया है कि इसका कोई मुद्दा ही नहीं है।
रेलवे ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि इस प्रोजेक्ट को लेकर जो भ्रामक जानकारियां मीडिया में आ रही हैं वह सत्यता से बिलकुल परे हैं। दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर)को लेकर न तो कोई मुद्दा है और न ही कोई विवाद। रेल मंत्रालय की ओर से एडीजी (पीआर) राजीव जैन ने पत्र जारी कर कहा है कि प्रिंसिपल ईडी/ इन्फ्रा आरएन सिंह व नेशनल हाई स्पीड रेल कारपोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों के बीच दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) को लेकर कोई मीटिंग नहीं हुई है। न ही इसकी डीपीआर को लेकर कोई फैसला हुआ है। रेलवे की ओर से कहा गया है कि कुछ अखबारों ने मीटिंग की गलत खबर चलाकर रेलवे की छवि को खराब करने की कोशिश की है। पूरी खबर तथ्यों से परे है। न ही इस तरह की भ्रामक खबर करने से पहले रेलवे का पक्ष लिया गया।
865 किलोमीटर एरिया कवर करेगा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट
यहां बता दें कि चूंकि वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। यही वजह है कि वाराणसी के लोगों को बुलेट ट्रेन की महत्वाकांक्षी परियोजना तोहफे में दी जा रही है। दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेलवे प्रोजेक्ट 865 किलोमीटर हाई स्पीड रेल लाइन पर दिल्ली व वाराणसी को कनेक्ट करेगा। यह उत्तरप्रदेश के 12 स्टेशनों से होकर गुजरेगा। इसकी अनुमानित लागत 1.21 लाख करोड़ रुपये बताई जा रही है। लखनऊ-अयोध्या के बीच 135 किलोमीटर की लाइन भी इसी के अंतर्गत आएगी। 2017 में इसकी फिसिबिल्टी रिपोर्ट तैयार की गई थी। इसके मुताबिक दिल्ली-लखनऊ के बीच यात्री महज 1 घंटा 38 मिनट में पहुंच जाएंगे तो वहीं दिल्ली वाराणसी के बीच भी दूरी केवल 2 घंटा 37 मिनट की रह जाएगी। फरवरी 2020 में नेशनल हाई स्पीड रेल कारपोरेशन लिमिटेड ने फाइनल एलाइनमेंट डिजाइन के लिए बिड्स जारी की थी। यह लाइन डायमंड क्वाड्रीलेटरल प्रोजेक्ट का हिस्सा है और इसे आगे भविष्य में बिहार के पटना व अन्य जिलों के साथ कोलकात्ता तक ले जाने की योजना है।